महंगी बिजली खरीद कर टोरेंट को बेचने में विभाग का 9 वर्षों में लगभग रुपया 1350 करोड़ नुकसान
लखनऊ, जन सामना। प्रदेश में निजीकरण के दोनों प्रयोग नोएडा पावर कंपनी व टोरेंट पावर के अनुबंध को निरस्त करवाने की उपभोक्ता परिषद् की लामबंदी में नया मोड़ प्रदेश सरकार के ऊर्जा विभाग ने प्रबंध निदेशक पावर कारपोरेशन से अबिलम्ब तलब की पूरी रिपोर्ट दोनों निजी कम्पनियों में मचा हड़कंप।
प्रदेश के ऊर्जा क्षेत्र में निजीकरण के दोनों प्रयोग टोरेंट पावर आगरा व नोएडा पावर कंपनी के करार को रद्द कराने को लेकर उपभोक्ता परिषद् द्वारा चलायी जा रही लामबंदी जोड़ पकड़ने लगी है। उपभोक्ता परिषद् द्वारा 8 अक्टूबर 2020 को ऊर्जा मंत्री को साक्ष्यों के साथ सौंपे गये दोनों निजी घरानों के प्रपत्र पर अब सरकार गंभीर हो गयी है। उसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा विभाग द्वारा दोनों निजी घरानों से सम्बंधित सभी अभिलेख व पूर्व में कराई गयी जाँच रिपोर्ट तलब की गयी है। ऊर्जा विभाग के विशेष सचिव की तरफ से प्रबंध निदेशक पावर कार्पोरेशन से अबिलम्ब पूरे मामले पर शासन को आख्या भेजने का निर्देश दिया गया। जिससे ऊर्जा मंत्री को अवगत कराया जा सके।
गौर तलब है कि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री के निर्देश पर पावर कार्पोरेशन के निदेशक वाणिज्य की अध्यक्षता में बनी उपभोक्ता परिषद् की शिकायत पर उच्च स्तरीय कमेटी कीे रिपोर्ट में यह सिद्ध हो गया कि टोरेंट पावर आगरा अनुबंध की शर्तों का उलंघन कर रही है और विभाग का पुराना बकाया लगभग रुपया 2200 करोड़ जिसे टोरेंट को वसूल कर वापस करना था उसे दबा कर बैठीं है सैकड़ो करोड़ रुपया रेगुलेटरी सरचार्ज का दबाए है। साथ ही जाँच कमेटी ने टोरेंट की और विस्तृत जाँच के लिए किसी चार्टेड अकाउंट फर्म से भी जाँच की सिफारिश की। और वही दूसरी ओर नोएडा पावर कंपनी के बारे में यह सिफारिश की की क्यों की नोएडा पावर कंपनी एक विजली कंपनी खुद है। इसलिए प्रदेश सरकार उसके खिलाफ जाँच कमेटी गठित करें। उच्च स्तरीय जाँच कमेटी की रिपोर्ट अगस्त में आने के बाद उसे दबाये रखा गया था क्यों की इसी बीच निजीकरण का आंदोलन शुरू हो गया था जब उपभोक्ता परिषद् ने ऊर्जा मंत्री से शिकायत की फिर अब मामले में रिपोर्ट तलब हुई है।
उ0प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा अब तक महंगी बिजली खरीद कर टोरेंट को बेचने में विभाग का 9 वर्षों में लगभग रुपया 1350 करोड़ नुकसान हुवा ऐसे में टोरेंट के अनुबंध को तत्काल समाप्त किया जाना जनहित में होगा। इसी प्रकार वर्ष 1993 में नोएडा पावर कंपनी को नोएडा एक चलता हुवा एक खंड एनपीसीएल को दिया गया। अगर चलता हुवा नेटवर्क मिला उसने खूब फायदा कमाया ऐसे में अगर उसकी नियति सही है तो आज तक एनपीसीएल द्वारा बिजली दरों में कमी किए जाने का कभी बिजली दर प्रस्ताव क्यों नहीं डाला सबको पता नोएडा क्षेत्र में वहा के 100 गांवों को मात्रा 10 से 11 घंटे बिजली महज इसलिए दी जाती वहां से उसको ज्यादा लाभ नहीं मिलता ऐसे में एनपीसीएल का अनुबंध भी खारिज होना चाहिए।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा चलता हुवा पूरा नेटवर्क टोरेंट पावर आगरा को दिया गया उसी वक्त केस्को को भी देने की बात हुई लेकिन केस्को ने सुधार कर यह बता दिया की सरकारी क्षेत्र में सुधार ज्य्ाादा संभव है। आज केस्को में मात्र 9 प्रतिशत वितरण हानियां है और टोरेंट 15 प्रतिशत पर आज भी नहीं पहुंचा। टोरेंट पावर की तुलना केस्को से करके उसके अनुबंध को सरकार खारिज करने पर निर्णय ले इसी प्रकार यदि नोएडा पावर कंपनी बहुत सुधार कर लिया तो आज तक वह बिजली दरों में कमी का एआरआर क्यों नहीं दाखिल हुवा 5 साल बाद अगर बिजली दरों में कमी का प्रस्ताव कोई भी निजी कंपनी देती है तब सुधार के मानक सही माने जाएगे। इसलिए नोएडा पावर कंपनी के अनुबंध को खारिज कर उसे पश्चिामांचल को पुनः वापस करने के सम्बंद में सरकार निर्णय लेकर उपभोक्ता हित में फैसला करें।