Saturday, June 29, 2024
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एै परिस्थिति तू मुझे कितना रूलाएगी

एै परिस्थिति तू मुझे कितना रूलाएगी
हार कर तू खुद मुझे
जीत तक पहुँचाएगी
एै परिस्थिति तू मुझे कितना रूलाएगी
फैला कर अपना मकड़
जाल तू खुद
फस जाएगी
एै परिस्थिति तू मुझे कितना रूलाएगी
अपने उलझे हुुए डाेर काे
तू खुद सुलझाएगी
पथ के सही मार्ग तक
तू मुझे खुद पहुँचाएगी
एै परिस्थिति तू मुझे कितना रूलाएगी
हार कर तू खुद मुझे जीत तक पहुँचाएगी
बूँद एबूँद में
हाैसले बन कर चट्टानो
से भी टकराएगी
एै परिस्थिति तू मुझे कितना रूलाएगी
डूब कर दरिया में भी
अपने हाैसले से
अपना मंजिल बनाउंगी
एै परिस्थिति तू मुझे कितना रूलाएगी।