⇒नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों से आगे है अवैध फैक्ट्री संचालकों की स्थानीय स्तर पर सेटिंग-सूत्र
⇒महाराजपुर क्षेत्र पुरवामीर व आसपास के क्षेत्र में चल रहीं हैं अवैध चमड़ा पकाने की फैक्ट्रीयां
कानपुरः स्वप्निल तिवारी। एक तरफ एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने प्रदूषण को कम करने के लिए समय समय पर अनेक आदेश जारी किए जाते हैं। बावजूद इसके जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में कई स्थान हैं जहां लोग न सिर्फ प्रदूषण की मार झेल रहे हैं, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को भी महसूस कर रहे हैं। इसका प्रमुख कारण है स्थानीय स्तर के जिम्मेदार अधिकारी। क्योंकि स्थानीय स्तर के इन्हीं अधिकारियों की अनदेखी के कारण या यूं कहें कि ‘कुछ’ के कारण सबकुछ अनदेखा किया जा रहा है और इसका खामियाजा पुरवामीर क्षेत्र के कई ग्रामीण इलाकों के वासिन्दें भुगत रहे हैं। ऐसे में ग्रामीणों के माथे में चिंता की लकीरें उभर आई हैं और उन्होंने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि स्थानीय स्तर के अधिकारी ले दे कर चलता कर देते हैं और हम लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।बताते चलें कि दरअसल चमड़ा पकाने व गलाने (ग्लू भट्टी) वाली फैक्ट्री से निकलने वाली रसायनयुक्त जहरीली गैसों के कारण ग्रामीणों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। महाराजपुर के रूमा व पुरवामीर जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या बड़ी गंभीर बनी हुई है। इस कारण लोगों को सांस संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि मीडिया के नाम पर कई पत्रकार आते हैं, खबरें बनाते हैं, लेकिन उनकी खबरें कहीं नहीं दिखतीं। उन्होंने कहा कि लगता है कि फैक्ट्री वालों से पत्रकारों की सेटिंग हो गई है और वह उनको भी हर महीने कुछ ना कुछ दिया करते हैं इसीलिये उनका हर महीने आना-जाना तो रहता है लेकिन उनकी खबरें देखने या पढ़ने को नहीं मिलती हैं।