Wednesday, April 23, 2025
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रामलीला में हनुमान-मेघनाद संवाद ने भरा जोश

शिवली/कानपुर देहात,जन सामना। गौरी धाम में चारों तरफ भक्ति रस धारा बह रही है सीताराम नाम जप यज्ञ की प्रतिमा कर वक्त अपने जीवन को कृतार्थ कर रहे हैं वहीं रामलीला के मंचन में लक्ष्मण नखा की लीला को दर्शक देख भाव विभोर हो गए हैं भक्तों की असीम आस्था का केंद्र शोभन आश्रम के गौरीकुंड में इन दिनों आश्रम की आधारशिला रखने वाले ब्रह्मलीन परम पूज्य गुरुदेव भगवान स्वामी रघुनंदन दास महाराज व आश्रम की तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने वाले 1008 परमहंस स्वामी विरक्तानंद जी महाराज की स्मृति में वार्षिक उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। आश्रम में सर्वकार हरि शरणम पांडे पवन तनय आश्रम के महंत बाबा गोपालानंद  महाराज व गौरीकुंड के बाबा कल्लू महाराज की देखरेख में चल रहे वार्षिक उत्सव चल रहा है। वही एक ओर यज्ञ पूर्ण करने में यज्ञाचार्य उमेश शुक्ला, शिव श्याम शास्त्री हरि गोपाल शास्त्री आनंद प्रकाश शास्त्री आचार्य वीरेंद्र तिवारी उमाशंकर शास्त्री जगत शास्त्री आचार बच्चन गणेश शास्त्री पंडित अशोक त्रिवेदी पवन त्रिवेदी वेद मंत्रों के साथ सीताराम नाम जप यज्ञ कराया जा रहा है। आचार्य ने बताया कि यज्ञ के पीछे ना केवल धार्मिक कारण है। बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी यज्ञ से वातावरण शुद्ध होता है। अनेक प्रकार के रोगों से लोगों को मुक्ति मिलती है यह यज्ञ में प्रयुक्त होने वाले हवन सामग्री में में दुर्लभ प्रकार की 1 औषधीय और जड़ी बूटियां डाली जाती है। यह सारे विश्व का कल्याण संभव है ।
सप्तदिवसीय लीला के आज छठवें दिन लंका दहन, रामेश्वर स्थापना, सेतु निर्माण की लीला का मंचन किया गया।माता सीता की खोज में हनुमान जी लंका के अशोक वाटिका में पहुँच कर माता सीता के दर्शन करने के उपरांत राक्षसों का बल जानने के लिए अशोक बाटिका को वीरान बना डाला ।अक्षय कुमार को एक ही मुट्ठी के प्रहार से वध कर दिया। इसके उपरांत मेघनाद के द्वारा ब्राह्म अस्त्र में खुद को बंधा लिया क्योकि ब्रह्मा जी का सम्मान की रखना था।रावण के दरबार मे रावण को ही उपदेश और सही राह दिखाने के लिए हनुमान को मृत्यु दंड का आदेश रावण ने दे दिया लेकिन उसी समय विभीषण जी के द्वारा नीति के अनुसार दूत को मारना अपराध बता के हनुमान के प्राण की रक्षा की रावण ने पुनः हनुमान की पूछ में आग लगाने का आदेश दे दिया । आग लगते ही उन्नचास हवाएं एक साथ चलने लगी और हनुमान से अपना रूप विकराल करके सोने की लंका को अग्नि के हवाले करके माता सीता के सन्मुख उनसे निशानी लेके के लिए आ गए। सीता माता के द्वारा उन्हें चूड़ामणि दी साथ ही हनुमान से संदेश कहा कि अगर एक माह में अगर स्वामी न लेने आये तो मैं अपने प्राण त्याग दूँगी। हनुमान माता से आज्ञा लेकर राम के सन्मुख आकर पूरा वृतांत बताया इसके बाद राम जी सम्पूर्ण सेना के साथ समुद्र किनारे आकर तीन दिन तक समुद्र की उपासना की इसके उपरांत जब समुद्र न प्रकट हुए तो अग्नि बाण का संधान किया इसके उपरांत समुद्र देव प्रकट होकर क्षमा मांगी साथ ही बताया नल नील के द्वारा छुए गए पत्थर तैरने लगेंगे।समय को न गंवाते हुए प्रभु राम ने सेतु निर्माण का आदेश दे दिया । सेतु निर्माण होने के बाद प्रभु राम ने समुद्र तट पर ही रामेश्वर जी की स्थापना की गई और भगवान शंकर की पूजा अर्चना की गई ।इसके बाद सम्पूर्ण सेना समुद्र पार कर गई।इस मौके पर हेमंत सिंह ठेकेदार, बब्लू चंदेल, आलोक द्विवेदी, कौशल किशोर सिंह, बड़े बुउवा,  छोटू, कैलाश पाल, सत्यम, उदय ठाकुर, अखिलेश, गज्जू, गोलू, महेन्द्र पाल, सुभाष,नेता,हरिपाल,अनुज आदि लोग मौजूद रहे ।