प्रयागराज, जन सामना। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत मंगलवार को दो दिवसीय पान की औद्यानिक खेती विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का उद्घाटन केशरी देवी सांसद फूलपुर द्वारा फीता काटकर किया गया। दीप प्रव्जल्लन उपरान्त सांसद द्वारा कृषि कानून को कृषिकों का हितकारी बताते हुये कहा गया कि पान उत्पादक कृषक एफ0पी0ओ0 फारमल प्रोडूयसर कम्पनी बनाकर पान की खेती करे तो उनकी समस्याये काफी हद तक कम हो जायेगी और उनको उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिलेगा। संगठित रहने से कृषको को अपनी समस्याओं के निराकरण में सहूलियत मिलती है। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में डाॅ0 कृष्ण मोहन चैाधरी, मुख्य उद्यान विशेषज्ञ, खुशरूबाग अतिथियों का स्वागत करते हुये केन्द्र में संचालित कार्यक्रमों तथा अमरूद में लगने वाले कीट के नियंत्रक की जानकारी दी गयी। विशिष्ठ अतिथि के रूप में डाॅ0 विनीत कुमार, उप निदेशक उद्यान प्रयागराज मण्डल, प्रयागराज द्वारा उद्यान विभाग के माध्यम से कृषको के हित के संचालित योजनाओं की जानकारी देते हुये बताया कि पान उत्पादक कृषको को प्रति एक हजार वर्ग मी0 क्षेत्रफल में बरेजा बनाने में 50000 का अनुदान तथा 1500 वर्ग मी0 क्षेत्रफल में पान बरेजा तैयार करने पर 75000 को अनुदान सरकार द्वारा दिया जाता है। कृषक बी0बी0टी0 के माध्यम से पंजीकरण कराकर लाभ प्राप्त कर सकते है।
तकनीकी सत्र में डाॅ0 राम सेवक चैरसियाए प्रधान वैज्ञानकि एन0बी0आर0आई0 लखनऊ द्वारा कृषको को पूर्वान्चल में होने वाली पान की खेती के गुण बताये तथा पान की प्रजातियों में देशी दशावरी तथा बंगला प्रजाति को पूर्वान्चल के लिये सर्वोत्तम बताया। एक वैज्ञानकि के तौर पर कृषको की समस्याओं एवं उनके निराकरण को बताते हुये मुख्य अतिथि को अवगत कराया कि पान की खेती को फसल बीमा योजना अन्तर्गत सम्मिलित कर लिया जाये तो पान उत्पादको को मौसम के विपरीत प्रभाव से होने वाली समस्या से बचाया जा सकता है। डाॅ0 एम0पी0 सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक, बांदा कृषि विश्व विधालय द्वारा पान में लगने वाले रोग बीमारी की पहचान कराते हुये उनके नियंत्रण के उपाय बताये।
शेरे कश्मीर कृषि विश्व विधालय श्रीनगर, जम्मू कश्मीर, के सहायक निदेशक प्रसार डाॅ0 सफीर आलम द्वारा पान के औषाधि गुण को बताते हुये कृषको से अवाह्न किया कि पान में ऐसे गुण होते है। जो मनुष्य के स्वस्थ्य को उत्तम बनाये रखने के लिये अत्यन्त लाभकारी होता है। पान पाचक के रूप में पान गैसहरक के रूप मे पान उत्तेजक के रूप में कार्य करता है। इसके अलावा इसके गुण शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी उत्पन्न करते है।
गोष्ठी के प्रथम दिवस पर पान उत्पादकों द्वारा लाये गये प्रर्दश एवं उनके ज्ञान का मूल्यांकन करते हुये पान वैज्ञानिकों ने राम शिरोमणि चैरसिया, प्रतापगढ़ एवं को प्रथम पुरस्कार तथा मीना चैारसिया, प्रतापगढ़ एवं मनोज कुमार, फूलपुर, प्रयागराज को द्वितीय व तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। उपरोक्त के अलावा डाॅ0 विनोद कुमार शर्मा, उप कृषि निदेशक, डाॅ0 सीमा सिंह राणा, अधीक्षक राजकीय उद्यान, कम्पनीबाग, प्रतिभा पाण्डेय, जिला उद्यान अधिकारी, प्रयागराज डाॅ0 मुकेश पी0एम0 वैज्ञानिक, शुआट्स, डाॅ0 शैलेन्द्र, वैज्ञानिक शुआट्स, डाॅ0 हेमलता पन्त, मशरूम वैज्ञानिक, डाॅ0 आर0पी0 सिंह वैज्ञानिक के0वी0के0 नैनी, डाॅ0 दीपक लाल वैज्ञानिक उद्यान विज्ञान विभाग, शुआट्स एवं डाॅ0 अजय सिंह वैज्ञानिक आदि के द्वारा अपने ज्ञान से कृषको को लाभान्वित किया गया। संगोष्ठी में प्रयागराज तथा मिर्जापुर मण्डल के साथ.साथ अन्य जनपदों के लगभग 400 कृषको द्वारा भाग लिया गया। प्रशिक्षण प्रभारी वी0के0 सिंह द्वारा कार्यक्रम का संचालन करते हुये बताया गया कि गोष्ठी के द्वितीय दिवस में कृषको के क्षेत्र का भ्रमण कर जानकारी दी जायेगी।