Saturday, April 20, 2024
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आपदा प्रबन्धन के रूप में तैयारी को सुदृढ़ व व्यवस्थित रखा जाये: डीएम

2017.04.29 05 ravijansaamnaगर्मी, लू, हीटवेव के बचाव की जानकारियां आमजन को होना जरूरी, लू या हीटवेव लग जाये तो तत्काल उपचार करायें: आरआर मिश्रा
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। गर्मी व लू हीटवेव के बचाव की जानकारी के साथ ही आपदा प्रबन्धन की समुचित जानकारी होना जरूरी है। हीटवेव व लू से व्यक्ति ही नही पशु भी प्रभावित होते है अतः इस प्रकार की कार्ययोजना होना चाहिए जिससे व्यक्ति के साथ ही पशु को भी कम से कम हानि हो। लू लग जाने पर तत्काल इलाज की भी व्यवस्था हो। गर्मी से बचाव के लिए शरीर को कर्वड करने के साथ ही नीबू पानी आदि पीते रहना चाहिए किसी भी प्रकार की शरीर में पानी की कमी न हो हलका व स्वस्थ भोजन ले। गर्मी में बासा खाना खाने से बचे। साफ सुथरे काटन वाले कपड़े पहने साथ ही कपड़ों पर जब अधिक पसीना आदि का जमाव हो जाये तब उसको धो ले। गर्मियों में महिलायें प्रायः मुंह ढंक लेती है जो एक तरह का हीट बचाव है, आपदा के दृष्टिकोण से उप्र एक संवेदनशील राज्य है। आपदा से न केवल जन धन से हानि होती बल्कि ये विकास में भी वाधक है। प्राकृतिक आपदायें विकास कार्या को अवरूद्ध कर देती है। लू-प्रकोप, अग्निकाण्ड, ओलावृष्टि, अतिवृष्टि, शीतलहरी, भूकम्प आदि से भी जनधन को भारी क्षति पहुंचती है। बड़ती जनसंख्या, शहरीकरण सहित अन्य सामाजिक आर्थिक परस्थितियां राज्य को आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाती है। प्रदेश व समाज के सभी लोगों को कुशल प्रबन्धन से लू, हीटवेव आदि के खतरों के प्रति आगाह करने तथा बचाव के उपायों को आमजन को परिचित करना आवश्यक है। किसी भी देश का समाज के लिए सुदृढ़ आपदा प्रबन्धक तंत्र का होना आवश्यक है। प्राकृतिक आपदाओं से घटित होने से रोका जाना संभव नही है परन्तु कुशल प्रबन्धन से इसके दुष्प्रभावों को अवश्य रोका जा सकता है। किसी भी आपदा के बाद किये जाने वाले राहत एवं बचाव कार्यो के अतरिक्त अब आपदा न्यूनीकरण, पूर्व तैयारी जिससे की आपदा आने पर जनधन की हानि को कम या रोका जा सकता है पर विशेष बल दिया जा रहा है। विश्व बैंक के अनुसार आपदा न्यूनीकरण व पूर्व तैयारी पर खर्च किया गया एक रूपया आपदा के उपरांत राहत कार्यो पर खर्च किये जाने वाले दस रूपये के बराबर होता है जबकि आपदाओं से होने वाली जनहानि का कोई मूल्य आका जाना संभव नही है जीवन अमूल्य है। मैनेजमेन्ट आफ हीटवेव डिजास्टर तथा आपदा प्रबन्धन विषय पर आयोजित राज्य आपदा प्रबन्धन प्रशिक्षण कार्यक्रम में ये महत्वपूर्ण बाते बतायी गयी। जिला विकास अधिकारी रजितराम मिश्रा ने बताया कि नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एथार्टी एनडीएमए के अध्यक्ष मा. प्रधानमंत्री, एसडीएमए के मा. मुख्यमंत्री जी तथा डीडीएमए (डिस्टिक डिजास्टर मैनेजमेन्ट एथार्टी) के चेयरमैन जिलाधिकारी होते है। जिनकी देख रेख में विभिन्न आपदाओं के संबंध में समय समय पर उचित उप्रबन्धन आदि की जानकारी निरंतर व्यक्ति को मिलती रहती है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान विषय विशेषज्ञों ने बताया कि हिन्दुस्तान में भूकंप को देखते हुए ललितपुर को छोडकर सभी आपदा की परिधि में है। हमें अवस्थापना ऐसा करना है जिससे विकास और पर्यावरण में संतुलन बना रहे। मैनेजमेंट आफ हीटवेव डिजास्टर प्रशिक्षण में लू से व्यक्ति व पशु धन को कैसे कोई राहत दी जाये इसके लिए आम आदमी को पहले से ही उचित जानकारी/प्रबन्धन रखना जरूरी है, डिजास्टर रिक्स रिस्पांस डीडीआर को भी मजबूत रखना है। एनीमल सेफ्टी फार्म हीटवेव अधीक्षक पशुपालन विभाग के डा. एससी शर्मा ने भी पशुओं में पानी की कमी न रहे। पशुओं को सुबह शाम नहाने के साथ ही पानी पीने की भी उचित व्यवस्था रहे। एक गौवंशीय पशु 40-50 लीटर पानी पीता है अतः तालाबों में पानी की समुचित व्यवस्था रहे। पशु चिकित्सक को किट के साथ ही दाना चारा अपने पास रखे, लू लग जाने पर तत्काल उसका उपचार करायें। डायरेक्टर बिजलेंस आईपीएस श्री बीपी सिंह, केजीएमयूके प्रोपेसर डा. उदयमोहन, एसआईआरडी के सेवानिवृत्त उप निदेशक डा. यूसी जोशी, वरिष्ठ कंसंटेट यूपीएसडीएमए डा. अदिति उमराव, डिजायर मनेजमेंट एक्सपर्ट डा. मजहर रासदी आदि ने मनेजमेंट आफ हीटवेव डिजास्टर आदि के बारे में विस्तार से विगत दिनों राजधानी में आयोजित प्रशिक्षण के दौरान महत्वपूर्ण जानकारियां दी। जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने भी अधिकारियों को निर्देश दिये है कि वे हीटवेव लू आदि सहित विभिन्न आपदाओं से निपटने या नुकसान न्यूनतम करने या बचाव की जानकारी रखे। उन्होंने कहा कि आपदा ऐसी घटनायें होती है जो राज्य के समाजिक आर्थिक विकास को व्यापक रूप से प्रभावित करती है। अधिकांश प्राकृतिक आपदाओं को रोकना मुश्किल होता है तथापि जागरूकता व प्रशिक्षण के माध्यम से जनधन की क्षति को कम किया जा सकता है। प्रदेश सरकार द्वारा आपदा प्रबन्धन प्रशिक्षण आदि कार्यक्रमों के बरे में आपदा न्यूनीकरण व बचाव आदि के उपायों के संबंध में निरंतर प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबन्धन को किसी एक विभाग एक व्यक्ति का कार्य न लेकर बल्कि इसको समुदाय आधारित आपदा प्रबन्धन के रूप में लिया जाये। राहत कार्य बेहतर प्रबन्धन की समुचित तैयारी पूर्व से ही रखी जाये। भीषण गर्मी में जल ही जीवन है अतः पेयजल की आपूर्ति मे किसी भी प्रकार का व्यवधान न हो। गर्मी में भी ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की उपलब्धता बनी रहे। जिसके लिए सभी को एकजुटता से प्रयास अभी से प्रयास करना होगा। यदि नल पानी न दे तो वहां सबमर्सिबल पम्प लगवाया जाये, ताकि जनता को पानी की किल्लत न हो। कन्ट्रोल रूम के अधिकारी अधिकारी कर्मचारी यह सुनिश्चित करें कि कोई भी समस्या पेयजल से न हो। मुख्य विकास अधिकारी केके गुप्त ने बताया कि राज्य आपदा मोचक निधि/राष्ट्रीय आपदा मोचक निधि से भारत सरकार द्वारा हिमस्खलन, चक्रवात, बादल फटना, सूखा, भूकंप/सुनामी, आग, बाढ़, ओलावृष्टि, भूस्खलन, कीट आक्रमण, कोहरा एवं शीतलहरी तथा उप्र सरकार द्वारा बेमौसम भारी वर्षा, आकाशीय विद्युत, आंधी तूफान, लू प्रकोप आदि आपदायें घोषित है। प्रशिक्षण दी गयी जानकारी के बारे में सहायक निदेशक सूचना प्रमोद कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन एक्ट बन चुका है ये हमार वैज्ञानिक दायित्व है। ये दया आदि पर नही चलेगा लोगों को राहत पहुंचाना सभी का वैधानिक कर्तव्य है। आपदा प्रबन्ध प्राधिकरण का उद्देश्य कार्य एवं शक्तियों को आमजन को बताना भी है।