जिन्होंने गांधी जी को पढ़ा है, उन्हें थोड़ा बहुत उनके विचारों के बारे में भी जरूर जानकारी होगी। मौजूदा समय में लोग गांधी जी के बारे में न जाने क्या क्या बोल जाते हैं, यहां तक कि आपत्तिजनक भी। आज गांधी जयंती है, उन्हीं से जुड़ी एक घटना (किताबों में पढ़ी) का जिक्र—
गांधी जी खुद गुजरात के काठियावाड़ के बड़े परिवार से थे। लंदन वकालत पढ़ने और बैरिस्टर बनकर साउथ अफ्रीका प्रैक्टिस करने गये और वहां पर नस्ल भेद को देखते हुए आवाज उठाई और उसी से वो चर्चा में आये। बाल गंगाधर तिलक और गोपाल कृष्ण गोखले उन्हें भारत और राजनीति में लाये। हालांकि गांधी जी ने कभी कोई पद नहीं लिया पर तब की कांग्रेस उनकी हर इच्छा को आदेश की तरह मानती थी। जब वह अफ्रीका से भारत आये, उस समय एक पत्रकार ने गांधी जी से बिहार के चंपारण मे जाने की गुजारिश की। वहां जाकर उन्होंने जो हालात देखे, खासकर महिलाओं के, जिसे देखकर उनका मन बहुत दुखी हो गया। उन औरतों के पास पहनने तक को कपड़े नहीं थे। शरीर पर सिर्फ एक वस्त्र और उस वस्त्र को भी धो देने के बाद वो जब तक कपड़ा सूख नहीं जाता था तब तक नदी मे ही रहतीं थीं। (आज की स्थिति ये है कि बिना कपड़े के स्त्री सड़क पर भागती हुई मदद के लिए चिल्लाती है फिर भी कोई आगे नहीं आता)।इसी के बाद उन्होंने एक वस्त्र का संकल्प ले लिया। इस घटना के कुछ समय बाद ही “चरखा” अस्तित्व में आया।
चरखे से जुड़ी कुछ बातें–
उस समय विदेशी कपड़ो का चलन बहुत बढ़ गया था। उसे रोकने के लिए, स्वदेशी माल के लिए और लोगों को रोजगार देने के लिए “चरखा” बहुत कारगर साबित हुआ। कुछ ऐसी भी भावना थी कि अगर अंग्रेजों द्वारा मार दिये गए तो कफ़न भी यही होगा।
. . . एक और बात। जिन दिनों क्रांतिकारी आंदोलन चल रहे थे और लोग जेलों में बंद किये जा रहे थे, कैदियों से पूछताछ होती थी..नाम शहर पता वगैरह लेकिन पिता के नाम पर सब कैदी गांधीजी का नाम लेते थे।
आज के वक्त में उन्हें चतुर बनिया कह दिया जाता है.,वो वाकई चतुर बनिए ही थे, जो विकास और आत्मनिर्भरता की विचारधारा पर चलते थे। आज भी मारवाड़ी समाज, उन्नत समाज में गिना जाता है देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी।आज लाल बहादुर शास्त्री जी की भी जयंती है…जिन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिया। जवान और किसान के हालात को देखते हुए ही उन्होंने ये नारा दिया था। बहुत सरल व्यक्तित्व था उनका। उनके बारे मे मैंने पढ़ा है कि वो एक बार इलाहाबाद से दिल्ली ट्रेन में जा रहे थे। गाड़ी में भीड़ बहुत ज्यादा थी। बाहर निकलने का रास्ता नहीं था| शास्त्री जी खिड़की के रास्ते से बाहर आये और उसी रास्ते से अंदर भी चले गए।
गांधीजी ने कपड़ा क्यों छोड़ा—
प्रियंका वरमा माहेश्वरी
गुजरात