कानपुर नगर। दि शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इण्डिया एवं राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 79वां वार्षिक अधिवेशन एवं इण्टरनेशनल एक्सपो का आज शुभारम्भ हुआ। इस अधिवेशन में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से 6 हजार से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ राज्यपाल उत्तर प्रदेश आनंदी बेन पटेल द्वारा ऑनलाइन माध्यम से किया गया। उद्घाटन समारोह में संजय भूसरेड्डी, अपर मुख्य सचिव, इक्साइज चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास, उत्तर प्रदेश, नरेन्द्र मोहन, निदेशक, राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, एवं संजय अवस्थी, अध्यक्ष, दि शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इण्डिया शामिल रहे। अपने भाषण में राज्यपाल ने भारत के चीनी उद्योग के विकास में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर एवं दि शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इण्डिया की भूमिका की सराहना की। उन्होंने फार्म के यंत्रीकरण, उत्पादकता बढ़ोतरी एवं चीनी की गुणवत्ता को बाजार की मांग के अनुसार बेहतर करने पर जोर दिया।
कार्यक्रम में सुधांशु पाण्डे, सचिव खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, भारत सरकार ने ऑनलाइन संबोधन करते हुये राष्ट्रीय शर्करा संस्थान को उसके स्थापना दिवस पर बधाई देते हुए चीनी उद्योग का आह्वान किया कि वह अपनी समस्याओं हेतु संस्थान के साथ मिलकर कार्य करें। चीनी की मांग और आपूर्ति के संतुलन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चीनी मिलों को विभिन्न माध्यमों से चीनी के स्थान पर एथेनॉल बनाने पर ध्यान देना चाहिए ताकि न केवल चीनी की मांग व आपूर्ति में संतुलन बना रहे अपितु एथेनॉल की पेट्रोल में 20 प्रतिशत की ब्लेंडिंग के लक्ष्य को 2025 तक प्राप्त किया जा सके। हमको चीनी मिलों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये पूरी ‘‘शुगरकेन वैल्यू चेन‘‘ का उपयोग कर “वैल्यू एडेड प्रोडक्ट‘‘ बनाकर अपनी आय को बढ़ाने के लिये करना होगा, उन्होंने कहा।
संजय अवस्थी, अध्यक्ष, दि शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इण्डिया ने विश्व बाजार में 2021-22 में चीनी की उपलब्धता जो कि ब्राजील में 70-80 लाख टन चीनी कम होने के कारण कम होगी। इसका लाभ उठाकर निर्यात करने पर जोर दिया। इस अवसर पर राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक नरेंद्र मोहन ने संस्थान के विभिन्न क्रियाकलापों के बारे में बताते हुए सम्पूर्ण चीनी उद्योग को तकनीकी मानव शक्ति प्रदान किये जाने के बारे में जानकारी दी। अपने सम्बोधन में एथेनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रम हेतु विभिन्न माध्यमों से एथेनॉल की उपलब्धता बढ़ाए जाने के बारे में एक विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए उन्होंने शर्करा उद्योग को आगाह किया कि वह कच्चे माल की उपलब्धता और भारत सरकार का ‘‘गा इलेक्ट्रिक पॉलिसी” को ध्यान में रखें जिसके अनुसार वर्ष 2030 तक पारंपरिक वाहन इलेक्ट्रिक वाहन में परिवर्तित किये जाने की योजना है।
अधिवेशन के प्रथम दिन संजय भूसरेड्डी, अपर मुख्य सचिव, द्वारा प्रोफेसर एस.एन. गुण्डूराव मेमोरियल व्याख्यान दिया गया जहाँ उन्होने चीनी उद्योगों को एक लाभप्रद उद्योग में बदलने हेतु गन्ने की प्रजातियों में सुधार एवं बायो फ्यूल (जैव ईंधन) के उत्पादन पर जोर दिया। संजय देसाई, प्रबंध निदेशक, मेसर्स रीग्रीन एक्सेल ई.पी.सी. इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड एवं किरन डंगवाल, टेक्निकल हेड, इस्जैक द्वारा एथेनॉल प्रोडक्शन बढ़ाने हेतु विभिन्न रणनीति पर अपना प्रेजेनटेशन दिया गया।
उद्घाटन सत्र में दि शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इण्डिया के विभिन्न प्रकाशन, यथा अधिवेशन की कार्यवाही, भारत एवं पड़ोसी राष्ट्रों में स्थित चीनी मिलों एवं डिस्टलरी की डायरेक्टरी एवं सोविनियर जारी की गयी। चूंकि 4 अक्टूबर को संस्थान का स्थापना दिवस भी है इस अवसर पर संस्थान की वर्ष 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट एवं डाक्यूमेन्टरी ‘ए ड्राइव थ्रू एन.एस.आई. केंपस‘‘ जारी की गयी। इस अवसर पर विभिन्न प्रतिष्ठित विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों को विभिन्न अवार्ड से सम्मानित किया गया जिसमें सर्वश्री मनीषभाई कल्याणजी पटेल, राघवन-गोविन्द सुघर, निधीश प्रकाश, जाधव जयकुमार टटोबा, जे0पी0 श्रीवास्तव आदि लोगो को लाइफ टाइम एचीवमेन्ट आवार्ड से सम्मानित किया गया।