हाथरस। वैदिक सत्य सनातन हिंदू धर्म में अपने पति की दीघार्यु की कामना करना और उसकी सुरक्षा करना सदियों से परम्परागत कतर्व्य भारतीय नारी सदा से निवर्हन करती चली आयी है। वह सदा से ही अपने सुहाग को अक्षुण्ण रखने के लिये पुरुषार्थ भी रही है। चाहे उसके लिये कितना भी बलिदान ही क्यों न देना पडा हो। वे कभी न तो इस कतर्व्य से विचलित हुई और न ही कभी उसने मुंह मोडा।
चाहे राजा हरिश्चन्द्र की रानी तारामती हो या सत्यवान की सावित्री या अत्रि ऋषि की पत्नी सती अनुसूईया हो। नारी सदा से ही पवित्रता की प्रतिमूतिर् रही है और आज भी हिंदू धर्म में नारी द्वारा अपने सुहाग की दीघार्यु की कामना करने की परम्परा यथावत सदियों से चली आ रही है।
नक्षत्र ज्योतिष संस्थान के संस्थापक आचायर् विनोद शास्त्री के अनुसार करवा चैथ व्रत अपने सुहाग की दीघार्यु का पर्व है, जो प्रत्येक भारतीय नारी जिसका निवर्हन करती हुई अपने पति की दीघार्यु की कामना गणेश जी एंव उच्च राशि के चन्द्रमा से करती है।
कब आरम्भ होगा व्रत-
हिन्दू पंचागों के अनुसार कातिर्क मास की चैथ को करवा चैथ का पर्व मनाया जाता है। इस वार करवा चैथ पर्व 24 अक्टूबर, दिन रविवार को पड रहा है। इस दिन सूयोर्दय से पर्व ब्रह्ममुहूतर् से ही स्त्रियां व्रत आरम्भ करती है और शिव, पावर्ती, गणेश, कातिर्केय, चन्द्रमा की पूजा करती हैं तथा रात्रि में चन्द्रोदय के उपरान्त चन्द्रदशर्न तक निजर्ला व्रत करती हैं और चन्द्र दशर्न व पति के दशर्न के उपरान्त ही जल ग्रहण कर व्रत पारायण करती हैं। इस बार 24 अक्टूबर को चन्द्र दशर्न रात्रि 8.25 पर होंगे। इस कारण स्त्रियों को लगभग 14 घण्टे निजर्ला व्रत रखना पडेगा। वहीं चन्द्रमा के उच्च राशि वृषभ के नक्षत्र रोहिणी में विराजमान होने पर चन्द्र दशर्न का उत्तम योग बन रहा है।