Sunday, September 22, 2024
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महादानी राजा महेन्द्र प्रताप को भारत रत्न से करें सम्मानित

हाथरस। मानव कल्याण सामाजिक संस्था के तत्वावधान में संस्था के संस्थापक राजीव वार्ष्णेय के आवास पर मुरसान रियासत के राजा एवं अखंड भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजा महेन्द्र प्रताप सिंह की पुण्यतिथि मनाई गई और उन्हें नमन किया गया तथा भारत सरकार से राजा साहब को भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किए जाने की मांग की गई।
इस अवसर पर संस्था के संस्थापक राजीव वार्ष्णेय ने कहा कि राजा महेंद्र प्रताप जैसा महान देश भक्त इस क्षेत्र में अभी तक पैदा ही नहीं हुआ। जिसकी तुलना उनसे की जा सके। उन्होंने यातनाएं सहकर विदेशों में रहकर अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ी। देश की आजादी में उनकी तपस्या और त्याग को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के लिए तमाम सुख त्याग कर विदेशों में संघर्ष की गाथा लेकर युवाओं में क्रांति पैदा करने वाले राजा महेंद्र प्रताप सिंह जैसा पराक्रमी महान व्यक्तित्व आज तक इस क्षेत्र में नहीं हुआ है। राजा साहब ने 32 साल विदेशों में रह कर आजादी की जंग की लड़ाई लड़ी थी और वहां पर हिंद सरकार की स्थापना की थी।
संस्था के जिला महामंत्री कन्हैया वार्ष्णेय तथा शैलेन्द्र सर्राफ, वरिष्ठ उपाध्यक्ष बाल प्रकाश वार्ष्णेय, नगर महामंत्री कृष्ण गोपाल केजी ने कहा कि राजा महेंद्र प्रताप का जीवन एक उद्देश्य से प्रेरित रहा, जो उनके अमर देश प्रेम और दूरदर्शिता का महाकाव्य है। माँ भारती की आरती के अविचल अखंड दीप आजादी के भीष्म पितामह राजा महेंद्र प्रताप को भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया जाये।
वक्ताओं ने कहा कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह आजादी के योद्धा थे और उनका जन्म हाथरस जनपद के मुरसान नरेश बहादुर घनश्याम जी के यहां पर एक दिसंबर 1888 को हुआ था। बाद में उनको हाथरस नरेश राजा हरिनारायण जी ने गोद ले लिया था और मात्र 20 वर्ष की अवस्था में पिता का देहान्त होने के बाद उनकी हाथरस की विरासत पर ताजपोशी हुई। लेकिन राजा महेंद्र प्रताप के विचार शुरू से ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ थे और उन्होंने एएमयू की स्थापना के लिए जमीन दान की थी। जबकि वर्ष 1909 में उन्होंने वृंदावन में प्रेम महाविद्यालय की स्थापना की थी। यह तकनीकी शिक्षा का केंद्र था। उन्होंने प्रेम धर्म भी चलाया और इसी नाम पर राष्ट्र पत्र भी निकाला।
सामाजिक संस्था मानव कल्याण ने प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन जिलाधिकारी द्वारा भेजा गया है। ज्ञापन भेजने एवं पुण्यतिथि मनाने वालों में हरीमोहन वार्ष्णेय, शुभम एलानी, संजय सिंघल, नरेंद्र पाल वर्मा, राजेन्द्र वार्ष्णेय, राकेश वार्ष्णेय आदि उपस्थित थे।