रूह की शिद्दत से जुड़े दो व्यक्ति के बीच एक ऐसे सेतु का निर्माण हुआ होता है कि अगर एक सिरा टूट जाता है तो दूसरा मुरझा जाता है। एक व्यक्ति के चले जाने से दुनिया खाली हो जाती है, वक्त थम जाता है और खुशियाँ रूठ जाती है। भले इस सवाल का कोई जवाब नहीं होता फिर भी तुम क्यूँ चले गए? ये सवाल ज़हन में बार-बार उठता है। एक टीश, एक कसक और तड़प रह जाती है। एकाकीपन वो सज़ा है जो भुगत रहा होता है वही जानता है।
दुनिया की कोई शै लुभाती नहीं एक इंसान की कमी कोई खजाना भरपाई नहीं कर सकता।
नहीं मुझे मोह किसी अनमोल खजाने का
दिल मेरा तलबगार है तेरी चाहत के तराने का
हर इंसान के जीवन में कोई एक व्यक्ति ऐसी होती है जो हमारी खुशी का कारण और जीने की वजह होती है। जिनकी उपस्थिति हमारे जीवन में इन्द्रधनुषी रंग भरकर होठों को हंसीं देती है। जिसका हमारे आसपास होना हमें संबल देता है। उसका हाथ थामें हर सफ़र आसान लगता है। हर मुश्किल सरल लगती है। उनके कहे तीन शब्द ‘मैं हूँ ना’ हर चिंता से निजात दिलाता है। हौसलों में जान ड़ालता है। उसकी आभा और ओज ज़िंदगी की तम भरी राहों में रोशनाई भरते हमें मंज़िल तक पहुँचाती है।
जब साथ होते है तब उस प्यार की, उस परवाह की और उस स्पर्श की किंमत हमें नहीं होती, पर जब वह नहीं रहता तब जीवन में एक शून्यावकाश छा जाता है। इसलिए अपने उस प्यारे से साथी की हयाती में उनकी कद्र कर लो। एक बार साथ छूटते ही किसी जन्म में वह आपको न दिखाई देता है, न मिलता है, न याद रहता है। उस व्यक्ति के जाने के बाद उनकी एक-एक परवाह को तरस जाओगे। उनकी बातें, उनका स्पर्श, उनका स्नेह और अपनापन याद करके तड़पने के सिवाय कुछ नहीं रह जाएगा। नहीं भूल पाओगे उस इंसान को जो आदत की तरह ज़िंदगी में शामिल होता है। जाने वाला एक ऐसी अधूरप, एक ऐसी कमी छोड़ जाता है जो दुनिया की किसी दुकान में कितने भी पैसे चुकाने के बदले नहीं मिलती।
शारीरिक प्रेम की उम्र पानी के बुलबुले जितनी होती है, पर रूहानी प्रेम ताज़िंदगी याद रहता है। जब तक साथ है अपने साथी से इतनी शिद्दत से प्यार करो की बिछड़ने के बाद कोई ख़लिश न रह जाए कि काश उनके जीते जी मैंने इतना चाहा होता जो आज उनकी याद से प्यार करते है। हमारी हर कमी को बस वही एक व्यक्ति लाज़मी होता है तो क्यूँ न चाहत को चरम तक ले जाकर चाहा जाए।
-भावना ठाकर ‘भावु’ (बेंगलूरु, कर्नाटक)