Friday, May 3, 2024
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राष्ट्र चेतना यज्ञ में राष्ट्र की उन्नति एवं प्रगति तथा अखंडता के लिए ईश्वर से प्रार्थना की

सिकंदराराऊ, हाथरस। क्षेत्र के गांव आलमपुर में ग्रामीणों द्वारा राष्ट्र चेतना यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें आहुतियां देकर लोगों ने राष्ट्र की उन्नति एवं प्रगति तथा अखंडता के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। इस अवसर पर वक्ताओं ने उपस्थित लोगों से राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का आवाहन किया। आचार्य संजय याजिक के पावन सानिध्य में यज्ञ संपन्न हुआ ।
आचार्य संजय याजिक ने कहा कि अपने देश के प्रति हम सबका दायित्व है कि संभव योगदान दें।व्यक्ति से समाज और समाज से राष्ट्र का निर्माण होता है। एक जिम्मेदार व्यक्ति के लिए समाज और राष्ट्र के प्रति भी जिम्मेदारी होती है। अगर इसका निर्वाह नहीं किया जाए तो उन्नत, सुसंस्कृत एवं आदर्श समाज या देश की कल्पना संभव नहीं है। एक अच्छे समाज का निर्माण करने के लिए मेरा मानना है कि अपने पारिवारिक दायित्वों के साथ देश और समाज के प्रति दायित्वों को निर्वाह भी पूरी ईमानदारी से करना चाहिए। एक समाज, समुदाय या देश के नागरिक होने के नाते कुछ दायित्वों का पालन व्यक्तिगत रूप से करनी चाहिए। ये भारत के नागरिकों के लिए आवश्यक है कि वो वास्तविक अर्थाे में आत्मनिर्भर बनें। ये देश के विकास के लिए बहुत आवश्यक है, यह तभी संभव हो सकता है, जब देश में अनुशासित, समय के पाबंद, कर्तव्यपरायण और ईमानदार नागरिक हों। हमें जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए। परिवार एवं आसपास के लोगों से मेलजोल और समन्वय के साथ रहना चाहिए। इससे परिवार और समाज में शांति, आपसी प्रेम और परस्पर विश्वास की रसधार बहेगी।उन्होंने कहा कि संसार में हर प्राणी अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। सूर्य, चंद्र, सितारे सब अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहते हैं। फिर हमें भी अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। हमें अपने दायित्व को समझना चाहिए। अपने राष्ट्र के प्रति भी हमारे कुछ दायित्व है। हमें सिर्फ अपने निजी उद्देश्य पूर्ति हेतु कार्य नहीं करने चाहिए। उससे बढ़कर भी हमें कुछ करना होगा। आज की युवा पीढ़ी निजी जीवन के प्रति चिंतित है। वे अपना जीवन मौज-मस्ती व विलासितापूर्ण तरीके से जीना चाहती है। नौकरी भी वह इसी तरह की चाहती है। परिवार, समाज एवं देश के प्रति उदासीनता का भाव है। यह बेहद विषैला विचार है। मानव वहीं है जो दूसरे का उपकार करे। दूसरों की सहायता करें। माता-पिता भगवान के दूसरे रूप होते हैं, उनकी सेवा करें। परिवार के बड़े सदस्यों को प्रेम व सम्मान दें और छोटे के प्रति स्नेह रखें। उनके लिए आर्थिक व मानसिक रूप से संबल बनने का प्रयास करें।
उन्होंने कहा कि संसार के सभी प्राणियों में मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसके पीछे भी कारण है। मनुष्य में ईश्वर ने सोचने की शक्ति तथा सही गलत का निर्णय लेने की क्षमता प्रदान की है। मनुष्य अपने भविष्य के बारे में कल्पना कर सकता है, योजनाएं बना सकता है।
इस अवसर पर मुख्य यजमान लाखनसिंह, महावीर सिंह, नागेश कुमार आर्य, प्रमोद कुमार शास्त्री ,लवकुश ,विनोद कुमार, राजकुमार सिंह , बौहरे सिंह, प्रबल प्रताप सिंह, विजयपाल, राहुल, हाकिम सिंह, प्रशांत कुमार, भूदेव वर्मा आदि मौजूद थे।