Monday, April 29, 2024
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यह कैसा नियम: बड़ों को राशन और छोटों पर शासन

(पंचायत चुनाव में लाखों खर्च करने वाले प्रधान भी ले रहे मुफ्त राशन)
ऊंचाहार/रायबरेली,पवन कुमार गुप्ता। जनपद के अंदर आज भी अपात्र राशन कार्ड धारकों की भरमार है और इनमें वही लोग शामिल हैं जिनकी नेताओं से और स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों से अच्छी पकड़ है। यहां तक कि कुछ ग्राम सभा के प्रधान और प्रधान प्रतिनिधि तक इसका उपभोग कर रहे हैं। जबकि गांव के अन्य लोग जो अपने को सरकार की इस योजना का अपात्र समझते हैं, उन्होंने स्वेच्छा से ही अपने राशन कार्ड तहसील के आपूर्ति कार्यालय में समर्पण कर दिये हैं।
निष्पक्ष जांच से और भी मिलेंगे अपात्र
अगर पात्र अपात्र जैसी इन बातों की पुष्टि करना है तो ऊंचाहार तहसील क्षेत्र के खुर्रमपुर ग्राम सभा में अभी तक जारी राशन कार्ड धारकों की सूची की जांच करनी पड़ेगी। जहां पर कई ऐसे राशन कार्ड धारक हैं जो अपात्रता की श्रेणी में आते हैं फिर भी पात्र गृहस्थी का लाभ ले रहे हैं। हालांकि यह एक गांव का मामला नहीं है ऊंचाहार ब्लॉक के करीब प्रत्येक ग्राम सभा का यही हाल है जो कि जांच का विषय है। फ़िलहाल खुर्रमपुर ग्राम सभा के प्रधान निर्मला देवी के राशन कार्ड की संख्या 215840213907 की जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि यह राशन कार्ड पात्र गृहस्थी का है और अभी सक्रिय है। जब गांव के प्रधान ही सरकारी योजनाओं का उपभोग करेंगे तो आम जनता क्या करेगी। पंचायत चुनाव के दरमियान लाखों रुपए पानी की तरह बहाने वाले प्रधान जब इन सरकारी योजनाओं के लाभार्थी हो सकते हैं तो अपनी मेहनत से अपना घर संवारने वाले गरीब क्यों नहीं।

शासन को ही दिखाया जा रहा अंगूठा
खुर्रमपुर ग्राम सभा की वर्तमान प्रधान निर्मला देवी द्वारा मुफ्त राशन लिया जा रहा जिसकी पुष्टि यहां के कोटेदार ने भी की है और कोटेदार ने ग्राम प्रधान की सफाई में यहां तक कह दिया है कि उन्हें शासन से मिल रहे मानदेय अनुसार उनकी वार्षिक आय के तहत वह पात्र गृहस्थी के राशन कार्ड की हकदार हैं और इस महीने भी उनके द्वारा राशन लिया गया है। लेकिन पंचायत चुनाव के दरमियान महिला प्रधान प्रत्याशी निर्मला देवी के द्वारा शासन को अपनी चल और अचल संपत्ति का जो विवरण दिया गया है उसके आधार पर तो इन्हें पात्र गृहस्थी का राशन कार्ड निर्गत ही नहीं होना चाहिए था और और यदि बना था तो अब तक कैंसिल हो जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। अब यहां के प्रधान और कोटेदार शासन को चूना लगा रहे हैं या फिर स्वयं को होशियार समझ रहे हैं। तहसील ऊंचाहार के संबंधित अधिकारी भी मामले से अनजान बने बैठे हैं उन्हें सिर्फ चाटुकारिता ही पसंद है और वह इन्हीं के सहारे अपनी अच्छी कमाई भी कर रहे हैं।
ग्रामीणों में नाराजगी
वहीं कुछ ग्रामीण नाम ना छापने की शर्त पर कहते हैं कि रिकवरी का डर दिखाकर इन्हीं ग्राम प्रधान और सचिव, कोटेदार इत्यादि ने हमारे पात्र गृहस्थी के राशन कार्ड को सरेंडर करवा दिया और अब खुद राशन कार्ड की पात्रता का लाभ ले रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना भी सही है सरकार द्वारा यह कैसे नियम लगाए गए हैं कि जहां अमीर बड़े घरानों के लोग जैसे (प्रधान/प्रधान प्रतिनिधि) तो सरकार की राशन वितरण योजना का लाभ उठा रहे हैं और जो मेहनत मजदूरी करके अपना घर संवार रहा है उसे इस योजना से बेदखल किया जा रहा है। आखिर इसका जिम्मेदार कौन है? और क्यों नहीं इसकी जांच कराई जा रही है। जिससे कि सभी अपात्र श्रेणी के लोग पात्र गृहस्थी की योजना से वंचित किए जाएं।