Friday, April 19, 2024
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मिसाइल डिफेन्स सिस्टम से मजबूत होगी सुरक्षा

2017.06.29. 4 ssp ls yadav
-Laxmi Shankar Yadaw

प्रधानमंत्री मोदी की हाल की रूस यात्रा में यह साफ हो गया है कि रूस भारत को अत्यन्त खतरनाक हवाई मिसाइल डिफेंस सिस्टम एस-400 देगा। दोनों देशों के बीच इस पर बातचीत हो चुकी है। इसके अलावा दोनों देशों ने एक साथ मिलकर एयरक्राफ्ट और आॅटो मोबाइल्स बनाने पर भी सहमति जताई है। इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम को दुनिया का सबसे खतरनाक मिसाइल सिस्टम माना जाता है। रूस के उप प्रधानमंत्री दमित्री रोगोजिन ने कहा कि रूस भारत को एस-400 ट्रायम्फ विमान रोधी मिसाइल प्रणालियों की आपूर्ति करने की तैयारी कर रहा है और दोनों पक्ष बिक्री की शर्तों पर चर्चा कर रहे हैं। पिछले साल गोवा में ब्रिक्स समिट के दौरान भारत और रूस के मध्य लगभग 40000 करोड़ रुपये की इस डिफेंस डील पर चर्चा हुई थी। तब भारत ने 15 अक्टूबर को रूस के साथ ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणालियों पर पांच अरब डाॅलर के एक करार की घोषणा की थी। भारत ने उसी समय चार अत्याधुनिक फ्रिगेट के अलावा कामोव हेलीकाॅप्टरों के निर्माण के लिए एक संयुक्त उत्पादन सुविधा स्थापित करने की भी घोषण की थी।
इस तरह भारत अपनी हवाई सुरक्षा को और अधिक मजबूत करने की तैयारी में लग गया है। भारत और रूस मिसाइल डिफेंस सिस्टम एस-400 की कम से कम पांच प्रणालियों की खरीदारी के लिए एक साल से ज्यादा समय से बातचीत कर रहे थे। इससे पहले रोस्टेक स्टेट काॅरपोरेशन के महानिदेशक सर्गेई चमेजोव ने अप्रैल 2017 में कहा था कि एस-400 विमान रोधी मिसाइल प्रणालियों के लिए भारत के साथ करार को अंतिम रुप नहीं दिया गया है। अब इस डील से भारत की हवाई सुरक्षा ताकत अधिक मजबूत हो जाएगी। यह पाकिस्तान व चीन की 36 न्यूक्लिअर पावर्ड बैलिस्टिक मिसाइलों को एक ही वक्त में एक साथ टारगेट कर सकेगा। रूस का अति आधुनिक एयर डिफेन्स सिस्टम एस-400 ट्रायम्फ लम्बी दूरी की मिसाइलों से लैस है। इस सिस्टम प्रणाली के जरिए 400 किलोमीटर की दूरी तक उड़ते हुए विमान, मिसाइल, छुपे हुए विमानों व डोन आदि तक किसी भी लक्ष्य को निशाना बनाया जा सकता है। इस एयर डिफेन्स सिस्टम की मदद से बैलिस्टिक मिसाइल और हाइपरसोनिक लक्ष्यों को भी भेदा जा सकता है। इसकी मदद से आसानी से न पकड़ में आने वाले लड़ाकू विमान भी गिराए जा सकते हैं। यह जंग के हालात में पांच मिनट में तैयार किया जा सकता है।
एस-400 सुपरसोनिक एयर डिफेन्स सिस्टम में सुपरसोनिक एवं हाईपर सोनिक मिसाइलें होती हैं जो लक्ष्य को निशाना बनाने में अचूक होती हैं। इस सिस्टम की गिनती दुनिया के आधुनिकतम एंटी एयरक्राफ्ट हथियारों में होती है। इस प्रणाली के विकास की शुरुआत 90 के दशक में हो गई थी। रूस की रक्षा अनुसंधान इकाई एलमाज सेन्टल डिजाइन ब्यूरो ने सन् 1990 में एस-400 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम यानी कि ट्रायम्फ तैयार किया था और सन् 1999 में इसे रूस की वायु सेना में शामिल किया गया था। बाद में इस विमान भेदी मिसाइल प्रणाली को 2007 में अन्य जगहों पर तैनात किया गया था। एस-400 ट्रायम्फ नई पीढ़ी का एंटी मिसाइल और एंटी एयर क्राफ्ट हथियार है। यह एस-300 श्रेणी का नवीनतम संस्करण है और फिलहाल इसका प्रयोग रूस की सेना कर रही है। यह प्रणाली तीन तरह का सुरक्षा घेरा मुहैया कराती है। इसके लिए तीन अलग-अलग तरह की मिसाइलों को प्रयोग में लाया जाता है। इनमें 400 किलोमीटर की अधिकतम दूरी तक मार करने के लिए 40-एम-6, लम्बी दूरी तक मार करने के लिए 48-एन-6 और मध्यम दूरी तक मार करने के लिए 9-एम-96 मिसाइलों का इस्तेमाल किया जाता है। अपनी तरफ आने वाली शत्रु की मिसाइल को मार गिराने में सक्षम सबसे लम्बी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल की गति 4800 मील यानि कि 17000 किलोमीटर है।
मिसाइल डिफेंस सिस्टम एस-400 सिस्टम को देश के परमाणु प्रतिष्ठानों, अधिक आबादी वाले वाले क्षेत्रों, सरकारी इमारतों एवं सामरिक रूप से महत्वपूर्ण ठिकानों आदि की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। यह सिस्टम दूूर से चलाई गई मिसाइलों को उपग्रहों की मदद से भांप लेता है और खतरा महसूस होते ही उस पर मिसाइलें दाग देता है।
यह प्रणाली एक साथ 36 लक्ष्यांे को निशाना बना सकती है। इसकी खास विशेषता यह भी है कि यह पांच मीटर से तीस मीटर की उंचाई पर देश की तरफ आने वाली 72 मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। एस-400 सिस्टम जमीन से हवा में भी मार कर सकता है। रूस का यह एंटी मिसाइल सिस्टम अमेरिका के मिसाइल सिस्टम पैटियाट-3 को भी टक्कर देने वाला है। एस-400 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम मल्टी फंक्शन राडार से लैस है। इसका अत्याधुनिक सिस्टम दुश्मन के विमानों की सटीक उंचाई, स्थिति, पास मौजूद निशाने की हाई रिजाॅल्यूशन जानकारी, एक साथ अनेक लक्ष्यों की हाई रिजाॅल्यूशन सूचनाएं उपलब्ध कराता है। इसमें लगी मिसाइलें छिपे हुए लक्ष्यों को निर्देशित करने में सक्षम हैं। यह सिस्टम पांचवीं पीढ़ी के विमानों को भी गिराने की क्षमता रखता है। राडार की पकड़ में न आने वाला यह सिस्टम अमेरिका के सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक जेट फाइटर तथा स्टील्थ फाइटर एफ-35 विमानों के अलावा के.वी.-1, एफ.बी.-111, बी.-52एच, ई.ए.-6, टी.आर.-1, ई 3-ए, ई 2-सी, एफ-15, एफ-16 व एफ-22 जैसे लड़ाकू विमानों को भी नष्ट करने में सक्षम है। रूस के अलावा यह प्रणाली केवल चीन के पास है। चीन ने भी इसे रूस से ही खरीदा था।
उपर्युक्त विशेषताओं के कारण ही पाकिस्तान व चीन जैसे देशों से निपटने के लिए भारत यह प्रणाली अपने सबसे पुराने एवं विश्वसनीय दोस्त रूस से खरीदने जा रहा है। इस सौदे से पुरानी दोस्ती का नवीनीकरण होगा। दर असल भारत इस तथ्य से भली भांति परिचित हैं कि आजादी से अब तक कई अवसरों पर रूस ने अपनी मैत्री की विश्वसनीयता सिद्ध की है। यह प्रणाली पाकिस्तान व चीन से होने वाले किसी भी हमले की स्थिति में बेहद कारगर सिद्ध होगी। इसके प्राप्त होने के भारत किसी भी हमले की स्थिति में मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम होगा। यह इस समय संसार की सबसे उन्नत किस्म की एंटी बैलेस्टिक मिसाइल सुरक्षा प्रणाली है। यह 600 किलोमीटर दूर स्थित किसी भी तरह की मिसाइल अथवा लड़ाकू विमान का पता लगाने में सक्षम है। एस-400 सिस्टम के लांचर से दुश्मन के विमान पर मात्र तीन सेकेन्ड में दो मिसाइलें छोड़ी जा सकती हैं। इससे छोड़़़़ी गई मिसाइलें पांच किलोमीटर प्रति सेकेण्ड की रफ्तार से आक्रमण करती हैं और 35 किलोमीटर की उंचाई तक मार करने में सक्षम होती है। भारत इस तरह की 6000 मिसाइलें भी खरीदेगा। निश्चित है कि इस सुरक्षा सिस्टम के आने से देश की हवाई सुरक्षा अत्यन्त मजबूत हो जाएगी।
(लेखक सैन्य विज्ञान विषय के प्राध्यापक हैं )