Saturday, September 21, 2024
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यम की फांस से मुक्ति को द्वितीय पर यमुना में लगी ‘आस्था की डुबकी’

जन सामना ब्यूरोः मथुरा। यम की फांस से मुक्ति को द्वितीय पर यमुना में आस्था की डुबकी लगाने के लिए बडी संख्या में श्रद्धालु यमुना के घाटों पर जुटे। यम द्वितीया पर्व कान्हा की नगरी में श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया गया। यमद्वितिया पर्व पर शहर भर में रौनक रही। जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए। वहीं, प्रशासन ने स्नान के दौरान सुरक्षा के लिए दो एसएसपी, 4 सीओ, 20 इंस्पेक्टर, 100 एसआई, 500 कॉन्स्टेबल तैनात किए है। नगर निगम ने सुरक्षा के लिए नदी में 55 नाव और 20 गोताखोर भी लगाए था। यमुना पर स्नान करने के पहुंचे श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी न हो इसका भी पूरा ध्यान रखा गया। इस बार यमुना के दोनों किनारों पर स्नान के लिए व्यवस्थित रूप से सुविधा दी गई। अलीगढ और यमुना एक्सप्रेस वे से होकर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए लक्ष्मी नगर स्थित पुरानी पशु पैंठ मैदान में पार्किंग की सुविधा दी गई थी। विश्राम घाट के सामने वाले यमुना के दूसरे किनारे पर स्नान के लिए अच्छी सुविधाएं मुहैया कराई गईं। बडी संख्या में यम की फांस मुक्ति के लिए भाई बहनों ने यमुना में डुबकी लगई और मंदिरों में दर्शन कर प्रभु का आशीर्वाद लिया। पुष्टिमार्गीय संप्रदाय के अनुसार भी यम दुतिया का पर्व इसी दिन लोगों ने अधिक रूप में माना और प्रातः काल से ही स्नान करने वालों की भीड़ जबरदस्त थी। माथुर चतुर्वेद परिषद के द्वारा सभी व्यवस्थाओं को अंतिम रूप से विश्राम घाट पर अंजाम दिया गया। परिषद के महामंत्री राकेश तिवारी एडवोकेट ने बताया कि दो वर्ष बाद करोना काल की वजह से इस बार यमद्वितिया पर्व पर अनुमान से लगभग चार गुना भीड़ ज्यादा थी और लोग इस पर्व पर अपने बहन भाई के साथ मना रहे हैं। मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति अपनी बहन के साथ हाथ पकड़कर आज स्नान करता है वह यम यातना से मुक्त हो जाता है और इसी मान्यताओं से लोग आज से स्नान को कर रहे थे। माथुर चतुर्वेद युवा समिति के द्वारा आज भी खोया पाया कैंप लगाया गया और इस कैंप में लगभग 75 से 80 लोग आपस में एक दूसरे से मिलवाया गया। सभी को सुरक्षित उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाया गया जो कार्य को संपन्न हुआ।
इस अवसर पर परिषद के संरक्षक गिरधारी लाल पाठक, अनिल चतुर्वेदी पमपम, राजकुमार कप्पू, अमित पाठक, अनुज पाठक, गोपाल चतुर्वेदी, नीरज चतुर्वेदी आदि सभी लोग उपस्थित थे ।