Saturday, May 4, 2024
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वर्तमान में ‘जनमोर्चा’ की लड़ाई काबिल-ए-तारीफ : डॉ. बलदेव राज गुप्ता

लखनऊः जन सामना संवाददाता। लखनऊ, अयोध्या एवं बरेली से प्रकाशित ‘जनमोर्चा’ समाचारपत्र के लखनऊ संस्करण का 8वाँ स्थापना दिवस हुसैड़िया चौराहा स्थित हिन्दी मीडिया सेंटर में मनाया गया। स्थापना दिवस के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया और विचार गोष्ठी का विषय रहा ‘बदलते दौर में पत्रकारिता की स्थित’। भारतीय प्रेस परिषद् के सदस्य, वरिष्ठ पत्रकार डॉ0 बलदेव राज गुप्ता कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे। गोष्ठी में डॉ0 गुप्ता ने पत्रकारिता की स्थिति पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा, ‘‘पहले की पत्रकारिता आज ढूढ़े नहीं मिल रही है। मौजूदा समय में जो लड़ाई जनमोर्चा अखबार लड़ रहा है वह काबिले तारिफ है। आज सत्य की लड़ाई लडने वाले पत्रकार ही नहीं रह गए हैं। देश में सत्य की खोज करने वाला पहला पत्रकार ही गायब कर दिया गया।’’
उन्होंने यह भी कहा कि आप सभी की बातों से सहमति और असहमति दोनों है पर, वास्तविकता यह है कि सत्य पर आधारित पत्रकारिता कैसे संभव हो। डॉ. गुप्ता ने संगोष्ठी में अपने पुराने दिनों को भी साझा किया। उन्होंने कहा कि आज तो प्रिंट के पत्रकारों की स्थिति काफी बिगड़ चुकी है। पहले एजेंडा प्रिंट मीडिया सेट करता था अब इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार ही सेट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकार ही पत्रकार को मार रहा है। उन्होंने महात्मा गांधी से लेकर अटल बिहारी बाजपेयी और पीएम नरेन्द्र मोदी तक के समय के हालातों पर भी अपने विचार साझा किए।
वहीं गोष्ठी के मुख्यवक्ता अरूण कुमार त्रिपाठी थे। श्री त्रिपाठी ने पत्रकारिता की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए चिन्ता व्यक्त की और कहा, ‘‘जनमोर्चा अखबार कठिन समय में शुरू हुआ। मैं इस अखबार को बधाई देता हूं। इस समय में जनमोर्चा जो कर रहा है उसका कदम बहुत सराहनीय है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के लिए नैतिक शक्ति होती है। पूंजी नहीं होती। विज्ञापन ऐसी चीज है जो मीडिया को नियंत्रित करती है। कॉरपोरेट को भी पता है कि मीडिया को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है। श्री त्रिपाठी ने पांच आधार पर पत्रकारिता के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि डेमोक्रेसी पूरी दुनिया में लड़ रहा है। भारत के 80 प्रतिशत लोग भिन्न भिन्न तरह से सोचते हैं। श्री त्रिपाठी ने कहा कि जो सत्य के लिए समर्पित नहीं है वह पत्रकारिता नहीं हो सकती। उन्होने कहा कि आज टेक्नॉलाजी विकसित हो रही है। ऐसे में टेक्नॉलाजी से सत्य को भी साधिये। उन्होंने कहा कि आज पत्रकार पर सेंसर लगाने पर जनमोर्चा उन्हें चुनौती दे रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार आनन्द वर्द्धन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘मैं जनमोर्चा के साथ खड़ा हूं। जहां जनमोर्चा खड़ा रहेगा वहां मैं भी खड़ा रहूंगा। उन्होंने आज के दौर की पत्रकारिता के बारे में विस्तार से चर्चा की।’’
इस मौके पर उन्होंने अपनी एक पुस्तक के छापे जाने की अनुमति नहीं मिलने पर भी अफसोस जताया। यह भी कहा कि मेरी किताब को छापने की अनुमति नहीं दी जा रही है। आज किसी भी तरह से सच पर बोलना गलत साबित हो रहा है।

इस मौके पर भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य श्याम सिंह पंवार ने कहा कि देश में जब गुलामी का दौर था तब पत्रकारिता की शुरुआत कर लोगों के अंदर क्रांति को पैदा करने का काम हुआ था अर्थात जब हमारा देश गुलामी की जंजीरों में बंधा था, तब पत्रकार आजाद थे, लेकिन आज जब देश आजाद है तो पत्रकार गुलाम।
कटु किन्तु सच यही है कि अब हमारे शब्द गुलाम हो गए हैं। वहीं उस दौर की बात करें तो जब एक पत्रकार लिखने बैठता था तो कलम रुकती ही नहीं थी और उसकी कलम के ‘शब्द’ विराम लेने पर विवश नहीं होते थे, लेकिन आज पत्रकार लिखते-लिखते स्वयं रुक जाता है, उसे सोंचना पड़ रहा है कि यह ‘शब्द’ लिखूं या ना लिखूं …?
वरिष्ठ पत्रकार, भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य रहे रजा हुसैन रिजवी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि समाज को क्या देना चाहिए पत्रकारों को सीखना चाहिए। उन्होंने जनमोर्चा के प्रधान सम्पादक शीतला प्रसाद सिंह की भी तारिफ की। यह भी कहा कि शीतला जी को 10 बार भी नमन करूं तो कम है। आज की पत्रकारिता बिलकुल अलग है। उन्होंने कहा कि आज सभी कार्यक्रमों की प्रेस विज्ञप्ति मांगी जाती है। प्रेस विज्ञप्ति से पत्रकार सच कैसे लिखेगा।अजय कुमार ने भी बदलते दौर में पत्रकारिता की स्थिति पर अपने विचार व्यक्त किए। कहा कि आज जो जनमार्चा कर रहा है वह बहुत ही सराहनीय है।
पत्रकार प्रदीप श्रीवास्तव ने कहा कि आज बहुत बदलाव हुआ है। उन्होंने कहा कि खोजी पत्रकारिता का दौर खत्म हो गया है। उन्होंने 1982 में बिहार चर्चित बॉबी हत्याकांड का भी जिक्र करते हुए उस वक्त की पत्रकारिता को साझा किया।
चन्द्रकिशोर मिश्र ने जनमोर्चा के साथ पुराने दिनों को साझा किया। पीके सिन्हा ने बताया कि पिता जी कहा करते थे संपादकीय जरूर पढ़ो। जनमोर्चा के संपादकीय को पढने के बाद बहुत सी जानकारियां मिलीं।
अरुनेन्द्र ने कहा कि मैं कितना भी वयस्त रहता हूं जनमोर्चा के कार्यक्रम में जरूर आता हूं। मेरा पहला लेख इसी अखबार में छपा था। उस वक्त मैं इंटरमीडिएट का छात्र था। मेरे लेख पर मुझे प्रशस्ति पत्र भी मिला था। उन्होंने कहा कि दौर बदलना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। आज जो पत्रकारिता में खटकती है वह तटस्थता का अभाव हैं। इसके लिए लिए हमें पूर्व की पत्रकारिता देखनी पड़ती है।
हरिराम त्रिपाठी ने बदलते दौर में पत्रकारिता की स्थिति पर कहा कि 1959 में जब पढ़ाई कर रहा था। उसे वक्त मेंरे स्कूल के पास सूचना केंद्र था। जहां चार अखबार होते थे जिसमें से फैजाबाद से मात्र एक जनमोर्चा था। उन्होंने कहा कि इस अखबार से मेरा 60 वर्ष से नाता है।
संगोष्ठी में डॉ. भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर अरविंद कुमार सिंह ने भी अपने विचार साझा किए। प्रोफेसर अरविंद ने कहा कि पत्रकारिता में हमेशा चुनौतियां रही हैं। इसमें सामाजिक, सांस्कृतिक चुनौतियां खास तौर पर हैं। उन्होंने कहा कि मैं बनारस के प्रमुख अखबार में पत्रकार रहा। जहां बहुत कुछ सीखने को मिला। आज भी यूनिवर्सिटी में छात्रों से सीखता हूं।
वरिष्ठ पत्रकार जेपी शुक्ला ने कहा कि बदलते दौर में पत्रकारिता की स्थिति जैसा शीर्षक सबकुछ बताने में पर्याप्त है। उन्होंने आज के दौर में निष्पक्ष पत्रकारिता पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि जमाना एक जगह रूका नहीं रहेगा। बदलाव होता रहता है। रोने धोने से काम नहीं चलने वाला। आज अखबारों पर सरकार का दबाव भी है, उसमें ही काम करना पड़ेगा। मोरल अथॉरिटी बनानी पड़ेगी।

सामाजिक कार्यकर्ता ताहिरा हसन ने कहा कि पत्रकारों का कलम कॉरपोरेट के अन्तर्गत आ गया है। खाद, बीज महंगे हो गए हैं। किसान कैसे फसल उगाऐगा। इस पर पत्रकार कभी चर्चा नहीं करते। पत्रकारों को आज की शिक्षा पर भी खुलकर लिखना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो सकता। ताहिरा ने सवाल किया कि जब एक पत्रकार किसी भी मुद्दे को उठाता है तो उसके कितने साथी पत्रकार खड़े रहते हैं। चन्द्रसेन प्रभाकर ने बताया कि पत्रकार नही है तो खबर नहीं है।
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. संदीप पाण्डेय ने बताया कि आज के दौर में कोई भी साथ खड़े होने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने एक बनारस के मामले पर बात की। उन्होंने कहा कि डर की वजह से लोग सच नहीं बाल पा रहे हैं।

इस मौके पर अतिथियों का स्वागत ‘जनमोर्चा’ परिवार के सदस्यों द्वारा पुष्पगुच्छ भेंटकर किया गया। जनमोर्चा लखनऊ के 8वें स्थापना दिवस पर शाहजहांपुर के संवाददाता जरीफ मलिक आनन्द, गोंडा के मन्नू यादव और जागरूक पाठक की श्रेणी में संतराम गुप्ता व वर्तिका शिवहरे को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
संगोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार जेपी शुक्ला व संचालन जनमोर्चा लखनऊ की स्थानीय सम्पादक डॉ. सुमन गुप्ता ने किया।
गोष्ठी में मुख्यरूप से मत्स्येन्द्र प्रभाकर, राजीव रूहेला, अरविन्द्र यादव सहित अनेक वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक सरोकार से जुड़े अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।