Saturday, September 21, 2024
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वृंदावन में भगवान रंगनाथ के विशाल रथ को खींचने उमड़ा सैलाब

⇒मथुरा डीएम पुलकित खरे और एसएसपी शैलेश पांडे ने खींचा रथ
⇒दूर दराज से हजारों श्रद्धालुओं ने पहुंचकर विशाल रथ को खीच कमाया पुण्य
मथुरा। वृंदावन के रंगनाथ मंदिर के ब्रह्मोत्सव में गुरुवार को भगवान गोदा रंगमन्नार ने दिव्य रथ पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दिए। रथ को खींचकर श्रद्धालु धन्य हुए। इससे पूर्व सुबह को रंगनाथ मंदिर के पुरोहितों के निर्देशन में वैदिक रीति रिवाजों और विधान पूर्वक दिव्य रथ का छत्र कलश पूजन किया गया। इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य भगवान गोदा रंगमन्नार को दिव्य रथ में विराजमान कराया गया। करीब 15 फीट चौड़ा, 20 फीट लंबे व 60 फीट ऊंचे रथ की छवि देखते ही बन रही थी।
श्री रंगनाथ मंदिर दिव्य देश के ब्रह्मोत्सव में गुरुवार को ठाकुर गोदा रंगमन्नार भगवान चंदन निर्मित विशालकाय रथ पर विराजमान होकर भक्तों को धन्य करने निकले। वैदिक परंपरा अनुसार सुबह ब्रह्म मुहूर्त में ठाकुर रंगनाथ भगवान श्री देवी, भूदेवी के साथ निज गर्भगृह से पालकी में विराजमान होकर ज्योतिष गणना अनुसार मीन लग्न में दिव्याकर्षक रथ में विराजित हुए तो रंगनाथ भगवान के जयजयकार से संपूर्ण क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। लगभग एक घंटे की पूजा प्रक्रिया के बाद जैसे ही सात कूपे का धमाका व काली के स्वर ने रथ के चलने का संकेत किया। भक्तों का उत्साह दोगुना हो गया। रंगनाथ भगवान के जयकारे लगाकर विशालकाय रथ को खींचने की होड़ सी लग गयी। उच्चेश्रवा नामक चार श्वेत घोड़ों की लगाम थामे पार्षद, मुख्य पार्षद जय, विजय, दिग्पाल, विश्वकसेन आदि देवताओं से सुसज्जित रथ पर सजी रंगबिरंगी पताकाएँ, सुगंधित पुष्प, केले के तने, हरे पत्तों से रथ का आकर्षण अपनी दिव्यता को बढ़ा रहे थे। श्रद्धालुओं ने रस्से को पकड़कर रथ को खींचना शुरू किया। वेदपाठी ब्राह्मणों ने वेदमय स्तुतियों के साथ तुरई, ढोल, मृदंग सहित परंपरागत वाद्य यंत्रों के मध्य रथ दोपहर में बड़ा बगीचा पहुंचा। वहां विश्राम के बाद रथ दोबारा मंदिर रवाना हुआ। रथ घर से ठाकुर जी को दोबारा पालकी में विराजमान कर बगीची में लाया गया, यहां ठाकुरजी को विराजित कर शीतलता प्रदान करने के उद्देश्य से रंगीन फब्बारे चलाये गये। ठाकुरजी की शीतल पेय पदार्थ, मिष्ठान, फल आदि निवेदित किए गए। रथ मेले में विभिन्न प्रदेशों और जनपदों से आई महिला श्रद्धालु शोभायात्रा में नृत्य करतीं चल रहीं थीं। रथ के मंदिर के पश्चिम द्वार पर पहुंचने पर श्रद्धालुओं के द्वारा कपूर की आरती उतारी गई। रथ मेले में लगे ऊंचे झूले, चरख एवं स्टाल लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे। नन्हे मुन्ने बच्चे भी मेले का जमकर आनंद लेते दिखाई दिए।