Tuesday, June 18, 2024
Home » लेख/विचार (page 39)

लेख/विचार

आंतों में छेद भी कर रहा है व्हाइट फंगस संक्रमण: नाजुक अंगों पर हमला करता है व्हाइट फंगस

एक ओर जहां रूप बदल-बदलकर कोरोना वायरस पिछले डेढ़ वर्षों से पूरी दुनिया में लोगों पर कहर बरपा रहा है और लाखों लोगों को अपना निवाला बना चुका है, वहीं भारत में अब इस बीमारी से ठीक होने वाले कुछ लोगों पर विभिन्न प्रकार के खतरे मंडरा रहे हैं। देशभर में ब्लैक फंगस के हजारों मामले सामने आने के बाद अब कोरोना से उबरे मरीजों में व्हाइट फंगस, यैलो फंगस और एस्पेरगिलिस फंगस के मामले भी मिलने लगे हैं। हालांकि अभी तक यैलो और एस्पेरगिलिस फंगस के गिने-चुने मामले ही मिले हैं लेकिन व्हाइट फंगस से संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 29 मई को तो गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में फंगस के 23 नए मरीजों की पहचान हुई, जिनमें से व्हाइट फंगस के ही 17 मरीज थे।

Read More »

प्लास्टिक अपने कफन में दफन करके ही दम लेगा_

“प्लास्टिक प्रदूषण से उठो युद्ध करो, कुछ भी न प्रकृति देवी के विरूद्ध करो, मानवता का अस्तित्व बचाने के लिए, संसार के पर्यावरण को शुद्ध करो। “विज्ञान ने ऐसी बहुत सी खोज की है जो जो अभिशाप बन गई है। ऐसा ही एक अभिशाप है प्लास्टिक। प्लास्टिक शब्द लेटिन भाषा के प्लास्टिक्स तथा ग्रीक भाषा के शब्द प्लास्टीकोस से लिया गया है। दिन की शुरूआत से लेकर रात में बिस्तर में जाने तक अगर ध्यान से गौर किया जाए तो आप पाएंगे कि प्लास्टिक ने किसी न किसी रूप में आपके हर पल पर कब्जा कर रखा है। पूरे विश्व में प्लास्टिक का उपयोग इस कदर बढ़ चुका है और हर साल पूरे विश्व में इतना प्लास्टिक फेंका जाता है कि इससे पूरी पृथ्वी के चार घेरे बन जाएं। हमारे भारत देश में 2016 की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रतिदिन 15000 टन प्लास्टिक अपशिष्ट निकलता है। जो कि दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। जबकि अगर निर्माण की बात करे तो भारत में प्रतिवर्ष लगभग 500 मीट्रिक टन पॉलीथिन का निर्माण होता है, लेकिन इसके एक प्रतिशत से भी कम की रीसाइक्लिंग हो पाती है। वैसे इस समय विश्व में प्रतिवर्ष प्लास्टिक का उत्पादन 10 करोड़ टन के लगभग है और इसमें प्रतिवर्ष उसे 4 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। इन आंकड़ों से प्लास्टिक से भविष्य में होने वाले प्रभावों का आकलन किया जा सकता हैं।

Read More »

गांवों में कोरोना संक्रमण रोकने प्रशासनिक सख्ती जरूरी – प्रोत्साहन योजना लागू हो

भारत गांव प्रधान देश है, संक्रमण से बचाने, वैक्सीन लगाने, प्रशासनिक सख्ती, प्रोत्साहन योजना रणनीति बनाकर क्रियान्वयन हो – एड किशन भावनानी
भारत देश में कोरोना महामारी से लड़ाई, हमारी योजना बद्ध रणनीतिक रोडमैप बनाकर किया गया महायुद्ध हम जीतने की ओर बढ़ गए हैं। इसका दिनांक 1 जून 2021 को आए संक्रमितों के आंकड़े से लगाया जा सकता है। जहां यह आंकड़ा कई दिनों से लगातार गिर रहा है और कोरोना से जंग जीतने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए कई राज्यों ने दिनांक 1 जून 2021 से अपने अपने राज्यों में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू कर दी है और आज अनेक प्रतिष्ठान योजनाबद्ध तरीके और शासकीय दिशानिर्देशों के अनुसार खुले। यह बात तो शहरी क्षेत्र की हुए।….

Read More »

वृद्धाश्रम समाज का सबसे बड़ा कलंक है

गुनहगार की तरह अपने ही बच्चों को जन्म देने की सज़ा काट रहे होते है माँ-बाप उस वृद्धाश्रम नाम की जेल में। क्या महसूस करते होंगे वो बुढ़े मन सिर्फ़ सोचकर ही आँखें नम हो जाती है।
कोई कैसे द्रोह कर सकता है उस पिता का जिस पिता ने तुम्हारी जीत के लिए अपना सबकुछ हारा हो, और जिस माँ को तुमने हर बार हर मुश्किल पर पुकारा हो। बच्चें माँ-बाप के लिए जान से ज़्यादा किंमती जेवर जैसे होते है। बच्चों की एक आह और तकलीफ़ पर कलेजा कट जाता है माँ-बाप का। बच्चे का रोना सौ मौत मारता है माँ बाप को।

Read More »

अपनी गलतियों, कमियों को स्वीकार करना, अपने सुरक्षित उज्जवल भविष्य का द्वार खोलने के बराबर

परिस्थितियों अनुसार थोड़ा झुकना, तालमेल बैठाना, भूल स्वीकार करना, गम खाना, जिंदगी को बहुत आसान, आनंदित करने का मूल मंत्र
वैश्विक रूप से मानव जीवन में हम देखें तो अधिकतम मनुष्य की प्रवृत्ति होती है कि वह सब कुछ अर्जित करना चाहता है। मैं और सब कुछ मेरा, यह स्वाभाविक रूप से मानव जीवन का एक संकल्प है। आज इस मानव जीवन के दौर में और वह प्राप्त भी कर रहा है। मानव का यह स्वभाव है कि आज वह आधुनिक जीवन, सारी विलासितापूर्ण सुख सुविधाओं आराम देह जिंदगी को अपनी पहली पसंद बताना चाहेगा। स्वाभाविक रूप से आज के युग में यह ठीक भी है।…. बात अगर हम भारतीय अपने हमारे, बड़े बुजुर्गों की करें तो आज के युग में उनकी एक एक बात, वाणी, बोल, अनमोल हीरे की तरह हम अपनी जिंदगी में महसूस भी करते हैं।

Read More »

टीकाकरण की धीमी प्रक्रिया कोरोना को फैलने की दावत दे रही है

लाॅकडाउन ज़्यादा से ज़्यादा कितने समय तक लगाते रहोगे ? जब लाॅकडाउन हटेगा तब वापस लोग इकट्ठा होंगे, काम काज हेतु घर से बाहर निकलेंगे तो कुछ संपर्क से और कुछ बेदरकारी से वापस कोरोना फैलेगा ही, और कोरोना की लहरें आती ही रहेंगी जब तक टीकाकरण की कारवाही संपूर्णत: पूरी नहीं होती।
वायरस के फैलने की गति से कितना प्रतिशत धीमी गति से टीकाकरण हो रहा है। कुछ सीनियर सिटीजन लोग एक डोज़ लेने के बाद दूसरे डोज़ को तरस रहे है। पहले उनसे कहा गया दूसरा डोज़ 6 सप्ताह के बाद लेना है, ऐसे में 18 प्लस की घोषणा कर दी उनको भी नहीं पहुँच पा रहे। उतने में तीसरी लहर बच्चों को भी चपेट में ले रही है। पहला डोज़ लेने वाले 6 सप्ताह बाद दूसरे डोज़ के लिए जाते तो अब कहा जाता है सरकार ने अब 12 सप्ताह के बाद दूसरा डोज़ लेने की गाइडलाइन जारी की है।

Read More »

एलोपैथी वर्सेस आयुर्वेद, होम्योपैथी आपसी विवाद वर्तमान कोरोना काल में दुर्भाग्यपूर्ण

चिकित्सीय क्षेत्र में एलोपैथी और आयुर्वेद, होम्योपैथी के आपसी विवाद से कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई कमजोर होगी – एड किशन भावनानी
भारत में कोरोना महामारी से महायुद्ध में शासन-प्रशासन, न्यायपालिका क्षेत्र, चिकित्सा क्षेत्र, व्यापारिक, सामाजिक क्षेत्र, गैर सरकारी स्वयंसेवी संस्थाएं, एनजीओस, धार्मिक संस्थाओं सहित अन्य क्षेत्र के नागरिकों सहित सभी एक साथ मिलकर, एक लक्ष्य से कोरोना महामारी को हराने के लिए रणनीतिक रूप से एक कुचल सैनिक बनकर युद्ध लड़ रहे हैं और मन में ठान लिया है कि कोरोना महामारी को भारत से, पूरी तरह से, जड़ से मिटा देंगे। दिनांक 25 मई 2021 को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा घोषित आंकड़े दो लाख़ से भी कम बताए गए। जबकि एक महीने पूर्व चार लाख से अधिक रोज़ाना आंकड़े आ रहे थे।

Read More »

फ़िज़ूल खर्च को पहचानो, कंपनियों के दावों को पहचानो

क्यूँ आज सबकी जेब पर बोझ पड़ रहा है ? क्यूँ महंगाई और सरकार को कोसते है सब। कभी ये क्यूँ नहीं सोचते की बिनजरूरी चीज़ों पर व्यर्थ खर्च कर रहे है हम। आज से कुछ साल पहले के रहन सहन में और आज के रहन सहन पर एक नज़र डालेंगे तो पता चल जाएगा कि कुछ चीजों पर कितना फ़िज़ूल खर्च कर रहे है हम। खुद को नये ज़माने के जताने के चक्कर में नयी नयी प्रोडक्ट से घर भर देते है। जीवन जीने के चोंचले बढ़ गए है।

Read More »

ये जीवन-मृत्यु का गंभीर समय है, आपसी रस्साकशी का नहीं

(कोविड ने स्मार्ट गवर्नेंस की जगह पैदा कर दी है, सहकारी संघवाद के जरिये केंद्र और राज्यों को अविलंब विश्वास की कमी को दूर करना चाहिए, यह जीवन और मृत्यु का मामला है। आपसी रस्साकशी को रोकें जैसा कि दिल्ली और पश्चिम बंगाल में देखा गया है।)

21वीं सदी में कोरोना के क्रूर काल में हमें नागरिक केंद्रित शासन सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता है, आज मानवता के सामने गंभीर और अभूतपूर्व समस्याएं हैं। मौजूदा सदी में सुपर साइक्लोन से लेकर उत्परिवर्तित वायरस का हमेशा के लिए खतरनाक चुनौतियों का सामना करने की संभावना है। ऐसे समय में स्मार्ट गवर्नेंस समय की जरूरत है।
महामारी के समय में नागरिक केंद्रित शासन को ध्यान में रखकर विशेषज्ञ निर्णय लेना अति आवश्यक था, शीर्ष डॉक्टरों, महामारी विज्ञानियों, वैज्ञानिकों, यहां तक कि रसद विशेषज्ञों की एक स्वायत्त पूरी तरह से अधिकार प्राप्त टास्क फोर्स को वायरस पर नज़र रखने, जीनोम अनुक्रमण, ऑक्सीजन के परिवहन और टीके की खरीद पर भारत का नेतृत्व करने की आवश्यकता थी।

Read More »

कोरोना से भी ख़तरनाक वायरस पल रहे है हमारे भीतर

क्यूँ सब कोरोना को कोसते हो घ् ये तो महज़ छोटा सा वायरस है। कोरोना वायरस ने सिर्फ़ इंसानों की दुनिया ही तो हिला दी है। शरीर के भीतर घुसते ही सर से पैर तक हर अवयव को खोखला कर देता है और ये वायरस जान तक ले लेता है इतना ही तो ख़तरनाक है बस।
पर सोचा है। कभी समाज को और देश को खोखला करने वाले और धरती से इंसानियत को जड़ से ख़त्म करने वाले कोरोना से भी भयंकर और बर्बाद करने वाले कई वायरसों को हम अपने भीतर बड़े प्यार से गर्व के साथ पालते रहते है।लालच, स्वार्थ, इर्ष्या, किसीके प्रति वैमनस्य, धर्मांधता, छोटी सोच, कपट और षडयंत्र जैसे वायरसों को ख़त्म करने वाली वैक्सीन कब कोई विकसित करेगा। दिमागी कारखानों में हम पालते है इन सारे वायरसों को बड़े नाज़ों से, जो अपनेपन को, मानवता को, भाईचारे को और इंसानियत को निगल रहे है। देश में अराजकता और समाज में बैर भाव का ज़हर फैला रहे है। परिवारों को विभक्त कर रहे है।

Read More »