Saturday, May 18, 2024
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लेख/विचार

भारत की मुख्य धारा में जुड़ चुका है अनुपम अपूर्व पूर्वाेत्तर

मानव चिंतनशील प्राणी है अतएव अनवरत अज्ञेय को ज्ञेय करना चाहता है। रहस्य को उद्घाटित किए बिना इसे चौन कहाँ! वर्तमान से संतुष्ट होता ही नहीं और भविष्य में सपनों के बुर्ज खड़ा करता रहता है। तभी तो विकास एवं परिवर्तन की प्रक्रिया सुचारु हो पाती है। यह एक श्रृंखलाबद्ध प्रक्रिया है जो निरंतर चलती रहती है। समय-समय पर इसमें ऐसे लोग जुड़ जाते हैं जो नई सोच एवं नये जोश के साथ विकास की गति को तेज करने में सक्षम होते हैं। नए प्रतिमान गढ़ने में समर्थ होते हैं। नई इबारत लिख देते हैं। ऐसे लोग ही उस काल के महानायक, महाविजेता, महापुरुष कहलाते हैं जिनके प्रति आगामी पीढ़ियाँ कृतज्ञ होती हैं। पूर्वाेत्तर के गठन एवं सर्वांगीण विकास में कुछ महान लोगों की भूमिका अति महत्वपूर्ण रही है जिनके हम ऋणी हैं।
पूर्वाेत्तर असम है, मेघों का घर है, नागा, मणि एवं मिजो भूमि है, त्रिपुर देवी एवं अरुणोदय स्थल है। वनाच्छादित एवं प्राकृतिक सौंदर्य का अनूठा उदाहरण है। लिखित एवं मौखिक बहुभाषा एवं बहुबोली का क्षेत्र है। सम्पर्क भाषा के रूप में हिंदी पर आश्रित है। विविध संस्कृतियों एवं जाति/उपजाति एवं प्रजाति का निवास व प्रवास है। अर्थात् कह सकते हैं कि पूर्वाेत्तर क्या नहीं है! खलती रही तो बस एक कमी, शेष भारत से कुछ कटे-कटे रहना। इसमें गलती किसकी थी? इसमें गलती किसकी नहीं थी? इसके लिए हम गलत थे, आप गलत थे, ये भी गलत थे, हम सब गलत थे। शेष भारत ने इन्हें गले से लगाया नहीं। पड़ोसी देशों ने पलक पावड़े बिछाए, अपनत्व दिखाया या यूँ कहें तो जाल फेंककर लुभाया फिर फँसाया। तभी तो पूर्वाेत्तर से दिल्ली की दूरी बढ़ती गई और पड़ोसी देशों की दूरियाँ घटती गई। बाहरी सांस्कृतिक चासनी में डुबो डुबोकर धर्मांतरण कराया गया। परिणाम स्वरूप पूर्वाेत्तर के कुछ भाग अ-भारत जैसे लगने लगे थे।

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अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस: अब हमारा समय है – हमारे अधिकार हमारा भविष्य

आदिअनादि काल से भारतीय संस्कृति में महिलाओं का बहुत सम्मान किया जाता रहा है। उन्हें देवियों का अवतार माना जाता रहा है, परंतु बड़े बुजुर्गों की कहावत सत्य ही है कि, समय कभी एक सा नहीं रहता परंतु उनकी वह भी शिक्षा है कि वह अपनी सकारात्मक सोच सच्चाई नारी सम्मान परमार्थ बुरी नजर से बचना सहित अनेक गुणों को समय के साथ न बदलते हुए स्थाई रखना मानवीय स्वभाव में समाहित करना जरूरी है। परन्तु जैसे-जैसे समय बीतता गया इनकी स्थिति में काफी बदलाव आया, लड़कियों के प्रति लोगों की सोच बदलने लगी, बालविवाह प्रथा, सती प्रथा, दहेज़ प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या इत्यादि रुढ़िवादी प्रथायें काफी प्रचलित हुआ करती थी, इसी कारण लड़कियों को शिक्षा, पोषण, कानूनी अधिकार और चिकित्सा जैसे अधिकारों से वंचित रखा जाने लगा था, लेकिन अब इस आधुनिक युग में लड़कियों को उनके अधिकार देने और उनके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं। भारतीय सरकार भी इस दिशा में काम कर रही है और कई योजनायें लागू कर रही है। चूंकि 11 अक्टूबर 2022 को हम अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मना रहे हैं जिसकी थी। अब हमारा समय है-हमारे अधिकार हमारा भविष्य, इसलिए आज हम मीडिया के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से दुनिया को बदलने के लिए सही साधनों के साथ बालिकाओं को सुरक्षित शिक्षित सशक्त और स्वस्थ जीवन शैली सुनिश्चित करना समय की मांग है इसपर चर्चा करेंगे।

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चीनी आक्रामकता का सामना करेंगे भारत-ताइवान

दो अक्टूबर को ताइवान के अनौपचारिक राजदूत बौशुआन गेर ने एक साक्षात्कार में क्षेत्र में चीन के आक्रामक रुख का जिक्र करते हुए कहा कि भारत और ताइवान दोनो एक अधिनायकवादी चीन का सामना कर रहे हैं। इसलिए अब समय आ गया है कि उसकी निरंकुशता के खतरे एवं विस्तार को ध्यान में रखकर भारत और ताइवान को न केवल निकट रणनीतिक सहयोग बढ़ाने की जरूरत है बल्कि आवश्यक है। उन्होंने पूर्व और दक्षिण चीन सागर, हांगकांग और गलवान घाटी में में तनाव को रेखांकित करते हुए कहा कि कि इस खतरे से निपटने के लिए भारत और ताइवान को हाथ मिलाने की जरूरत है। चीन की सैन्य आक्रामकता के मद्देनजर ताइवान की खाड़ी में न्याय, शान्ति और स्थिरता के लिए खड़े रहने के लिए उनका देश भारत की सराहना करता है। इस समय भारत और ताइवान साइबर, समुद्र, अंतरिक्ष, हरित उर्जा, खाद्य सुरक्षा, पर्यटन और पाक कला के क्षेत्र में सहयोग बढ़ा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि भारत और ताइवान के साथ औपचारिक कूटनीतिक संबंध नहीं हैं लेकिन दोनों के बीच व्यापारिक संबंध हैं। नई दिल्ली ने 1995 में ताइपे में दोनों पक्षों के बीच बढ़ावा देने के लिए भारत-ताइपे संघ की स्थापना की गई थी। अब उम्मीद है कि ताइवान से सम्बन्ध बढ़ेंगे।

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पूरी दुनिया देखेगी भारतीय वायुसेना की ताकत

⇒भारतीय वायुसेना के 90वें स्थापना दिवस (8 अक्तूबर) पर विशेष
8 अक्तूबर को भारतीय वायुसेना अपना 90वां स्थापना दिवस मना रही है। प्रतिवर्ष इस विशेष अवसर पर हिंडन एयरबेस में एक भव्य एयर-शो का प्रदर्शन किया जाता है लेकिन इस बार वायुसेना दिवस समारोह दिल्ली एनसीआर के बाहर चंडीगढ़ में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें होने वाले एयर शो में कुल 83 एयरक्राफ्ट शामिल हो रहे हैं। एयर शो के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेना प्रमुखों के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगी। इस बार वायुसेना के 90वें स्थापना दिवस पर चंडीगढ़ में सुखना झील परिसर में वायुसेना दिवस ‘फ्लाई-पास्ट’ के लिए तैनात किए जाने वाले विमानों और हेलीकॉप्टरों में नए लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर भी शामिल हैं और वायुसेना के बेड़े में हाल ही में शामिल हुआ भारत का पहला स्वदेशी हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर ‘प्रचंड’ भी एयर शो के दौरान अपनी हवाई शक्ति का प्रदर्शन करेगा। आसमान में देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी तरह भारतीय वायुसेना के ही हाथों में होती है, इसलिए दुश्मन देशों की चुनौतियों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए वायुसेना को लगातार मजबूती प्रदान करना बेहद जरूरी है।
भारत के लिए गर्व की बात है कि भारतीय वायुसेना को अब दुनिया की चौथी बड़ी सैन्यशक्ति वाली वायुसेना माना जाता है। वायुसेना का ध्येय वाक्य है ‘नभः स्पृशं दीप्तम’ अर्थात् आकाश को स्पर्श करने वाले दैदीप्यमान। भारतीय वायुसेना देश की करीब 24 हजार किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी मुस्तैदी के साथ निभाती है। राफेल सहित कुछ और शक्तिशाली लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों तथा अत्याधुनिक मिसाइलों के वायुसेना की विभिन्न स्क्वाड्रनों में शामिल होने से हमारी वायुसेना कई गुना शक्तिशाली हो चुकी है। वायुसेना की युद्धक क्षमताएं बढ़ने से हम हवा में पहले से बहुत ज्यादा मजबूत हुए हैं तथा दुश्मन की किसी भी तरह की हरकत का पहले से अधिक तेजी और ताकत के साथ जवाब देने में सक्षम हुए हैं। पड़ोसी देशों की फितरत को देखते हुए अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित एयरक्राफ्ट तथा लड़ाकू विमान वायुसेना में शामिल किए जाने की प्रक्रिया लगातार जारी है। हमारी वायुसेना आज इतनी ताकतवर हो चुकी है कि इसमें फाइटर एयरक्राफ्ट, मल्टीरोल एयरक्राफ्ट, हमलावर एयरक्राफ्ट तथा हेलीकॉप्टरों सहित 2200 से अधिक एयरक्राफ्ट तथा करीब 900 कॉम्बैट एयरक्राफ्ट शामिल हो चुके हैं।

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14 सितम्बर को ही क्यों मनाया जाता है हिन्दी दिवस?

आधुनिकता की ओर तेजी से अग्रसर कुछ भारतीय ही आज भले ही अंग्रेजी बोलने में अपनी आन, बान और शान समझतें हों परन्तु सच यही है कि हिन्दी ऐसी भाषा है, जिसे आज दुनिया के अनेक देशों में भी सम्मानजनक दर्जा मिल रहा है और हमारी राजभाषा हिन्दी प्रत्येक भारतीय को वैश्विक स्तर पर सम्मान दिला रही है। हिन्दी विश्व की प्राचीन, समृद्ध एवं सरल भाषा है, जो न केवल भारत में बल्कि दुनिया के कई देशों में बोली जाती है। हिन्दी भाषा को और ज्यादा समृद्ध बनाने के लिए ही प्रतिवर्ष 14 सितम्बर का दिन ‘हिन्दी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है और अगले 15 दिनों तक हिन्दी पखवाड़े का आयोजन किया जाता है। अब प्रश्न यह है कि हिन्दी दिवस प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को ही क्यों मनाया जाता है और इसे मनाए जाने की शुरूआत कब हुई?
दरअसल भारत बहुत लंबे समय तक अंग्रेजों का गुलाम रहा और उस दौरान हमारे यहां की भाषाओं पर भी अंग्रेजी दासता का बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। यही कारण रहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिन्दी को ‘जनमानस की भाषा’ बताते हुए वर्ष 1918 में आयोजित ‘हिन्दी साहित्य सम्मेलन’ में इसे भारत की राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था। सही मायने में तभी से हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के प्रयास शुरू हो गए थे। जब देश आजाद हुआ तो सर्वप्रथम 12 सितम्बर 1947 को संविधान सभा में हिन्दी को राजभाषा बनाने के प्रावधान का प्रस्ताव गोपालस्वामी आयंगर ने रखा था, जो स्वयं एक अहिन्दीभाषी दूरदर्शी नेता थे। सभा की 12 से 14 सितम्बर तक चली तीनदिवसीय बहस में कुल 71 लोगों ने हिस्सा लिया था। लंबे विचार-विमर्श के बाद 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। उसके बाद भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343 (1) में हिन्दी को राजभाषा बनाए जाने के संदर्भ में अंकित कर दिया गया, ‘‘संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।’’ इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा के अनुरोध पर 1953 से देशभर में 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

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“आत्मविश्वास”

“अंतर्मन से झीने पर्दे को हटा, उठ जाग मुसाफ़िर भोर भई कुछ कर दिखाकर जग को बता”
कई बार हमने देखा है कुछ काबिल व्यक्तियों को नाकाम होते हुए। हम सोचते भी है कि इस इंसान के साथ ऐसा क्यूँ हुआ, ये तो हर तरह से सक्षम है। पर ऐसे इंसान के लिए निराशावादी सोच और आत्मविश्वास कि कमी आगे बढ़ने में सबसे बड़ी रुकावट होती है। हर इंसान के भीतर एक लायक व्यक्तित्व छिपा होता है समाज में खुद को प्रस्थापित करने के लिए अपने बर्ताव और हुनर से उस व्यक्तित्व का विकास करना होगा। जिसका पहला पड़ाव है अकेले में बैठकर सबसे पहले नकारात्मकता की खिड़की को अलीगढ़ी ताला लगा दो, खुद पर विश्वास रखो, और डर को अलविदा कहो। फिर सकारात्मक सोच के साथ अपनी सोच की शक्ति को मजबूत करो खुद को ही अपना आदर्श चुनकर एक नई राह के लिए खुद को तैयार करो।

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अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस…!

चन्दनं शीतलं लोके, चन्दनादपि चन्द्रमाः !
चन्द्रचन्दनयोर्मध्ये शीतला साधुसंगतिः !!
दोस्ती के माध्यम से मानवीय भावना साझा करना जीवन जीने की अनमोल कला है चलो इस बार कुछ ऐसा अन्तर्राष्ट्रीय फ्रेंडशिप डे मनाते हैं आपकी दुश्मनी को भुला कर सभी को गले लगाते हैं – एड किशन भावनानी
सृष्टि सृजनकर्ता नें अनमोल खूबसूरत मानवीय जीव को इस अनमोल धरा पर अनमोल बौद्धिक क्षमता का धनी बनाया!! फिर इस मानवीय जीव नें अपनी बौद्धिक क्षमता को खूब निखारा और इस हद तक पहुंच गया कि अपने सृजनकर्ता को ही एक तरह से विज्ञान के रूप में चुनौती देने पर उतारू हो गया है।

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गिरता रुपया

डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर होते जा रहा है क्योंकि बाजार में डॉलर की मांग ज्यादा है काफी समय से मंदी के कारण देश की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है और अन्य देशों की तुलना में भारत का रुपया तेजी से गिर रहा है हम जितना निर्यात करते हैं उससे ज्यादा वस्तुओं और सेवाओं का आयात करते हैं करीब 83% डॉलर में वस्तुओं का आयात करते हैं और 14% निर्यात करते हैं इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि डॉलर क्यों मजबूत हो रहा है।
दूसरा सबसे बड़ा कारण यह है कि निवेशकों का मोहभंग हो रहा है और विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं। कारण कि भारत की तुलना में अमेरिका की ब्याज दरें बहुत तेजी से बढ़ रही हैं। निवेश में गिरावट के कारण भारतीय शेयर बाजार में भी निवेश करने के इच्छुक निवेशकों के बीच भारतीय रुपये की मांग कम हो गई है।कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी भी डॉलर को मजबूत कर रही है। घटते निर्यात के कारण विदेशी मुद्रा का खजाना लगभग खाली होते जा रहा है। कच्चे तेल का भाव बढ़ते जा रहे हैं और उस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है। ऐसा नहीं है कि डॉलर के मुकाबले सिर्फ रुपया ही कमजोर हुआ है दुनिया की सभी मुद्राएं डॉलर के मुकाबले कमजोर हो गई है।

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तलाक की शमशीर बड़ी तेज होती है चलती है जब रिश्तों के धागे पर तब एक प्यार से पिरोई माला कतरा कतरा बिखर जाती है”

तलाक की तलवार कहर ढ़ाती है, दो दिलों के किले पर और इमारत दांपत्य की ढ़ह जाती है। तलाक या (डिवोर्स) महज़ शब्द नहीं एहसासों को विच्छेद करने वाली छैनी है।जब दो विपरीत तार जुड़ जाते है तो चिंगारी उठना लाज़मी है। वैसे ही दो अलग स्वभाव के लोग शादी के बंधन में बंध जाते है तो तलाक होना भी तय है। पहले के ज़माने में तलाक लेना एक शर्मनाक काम माना जाता था, समाज का डर और चार लोग सुनेंगे तो क्या कहेंगे वाली फीलिंग्स तलाक लेने से रोकती थी, पर आजकल “तलाक” बहुत आम हो गया है। वैसे तलाक के बहुत सारे कारण होते है, जैसे की सबसे पहला मुद्दा आनन-फानन में हुआ प्यार और जल्दबाजी में हुई शादी उसके चलते अहं का टकराव, पति-पत्नी के बीच हल्की भी दीवार, ख़लिश या कोई राज़ नहीं होना चाहिए पारदर्शी रिश्ता सुमधुर होता है।

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चाँद तोड़ कर कोई आपकी हथेली पर नहीं रखने वाला

अस्तित्व के हक की जंग तो कीड़े मकोडे भी लड़ते है। कुछ औरतें खुद को लाचार, बेबस, कमज़ोर समझते सहने की आदी बन जाती है। दमन करना पाप है तो सहना भी पाप है। ऐसे ही कई युवा ज़िंदगी की चुनौतियों से घबरा कर खुदकुशी कर लेते है या किस्मत के भरोसे उम्र ढ़ो रहे होते है। एक बात समझ लीजिए चाँद तोड़ कर कोई आपकी हथेली पर नहीं रखने वाला, सबको अपने हिस्से की जंग खुद ही लड़नी पड़ती है। लड़ाई कोई भी हो लड़ने से पहले हार जाना आत्मा की मौत है।
“ज़िंदगी भीख में नहीं मिलती ज़िंदगी बढ़कर छिनी जाती है, जब तक ऊंची न हो ज़मीर की लौ आंख को रौशनी नहीं मिलती” ज़िंदगी ऐसे नहीं मिलती।

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