Saturday, May 18, 2024
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लेख/विचार

चिंताजनक है डेंगू का बढ़ता प्रकोप

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के प्रकोप से हम अभी तक उबरे भी नहीं हैं और विशेषज्ञ कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को लेकर भी बार-बार चेता रहे हैं, ऐसे विकट दौर में डेंगू ने जो कोहराम मचाना शुरू किया है, उससे चिंता बढ़ने लगी है। इन दिनों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित देश के कई राज्यों के अनेक इलाके डेंगू और वायरल बुखार के कोप से त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। डेंगू के एक नए प्रतिरूप ने तो स्वास्थ्य तंत्र के समक्ष एक नई और गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। डेंगू नामक बीमारी कितनी भयावह हो सकती है, उसका अनुमान इसी पहलू से आसानी से लगाया जा सकता है कि समय से उपचार नहीं मिलने के कारण डेंगू पीडि़त व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। बीते दिनों देश के विभिन्न राज्यों और विशेषकर उत्तर प्रदेश में डेंगू से पीडि़त हुए कई मरीजों की मौत के आंकड़े इसकी पुष्टि भी करते हैं।

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मरने के बाद ये दिखावा क्यूँ

श्राद्ध पक्ष के दिनों कुछ लोगों को पितृओं पर अचानक प्रेम उभर आता है, जीते जी जिनको दो वक्त की रोटी शांति से खाने नहीं दी उनके पीछे दान धर्म करने का दिखावा करते है।
किसी को शायद ये बातें बुरी लगे पर धार्मिक भावना दुभाने का इरादा नहीं, पर जो लोग ये दिखावा और ढ़ोंग करते है माँ-बाप के चले जाने के बाद की हाँ हमें हमारे माँ-बाप बहुत प्यारे थे, देखो आज श्राद्ध के दिन हमने इतना दान किया। जिसने जीते जी माँ बाप को खून के आँसू रुलाया हो उसे कोई हक नहीं बनता श्राद्ध के नाम पर माँ-बाप को याद करने का भी।

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किसानों के खेतों के पास इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की कवायद

देश की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान – खेतों के पास इंफ्रास्ट्रक्चर बनवाने से किसानों को फसलों का वाजिब दाम मिलेगा – एड किशन भावनानी
वैश्विक रूप से कोविड -19 से महत्वपूर्ण हद तक राहत पाने के बाद, अब दुनिया के देश अपनी अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, महामारी से मुकाबले से सीखेंअनुभवों का सकारात्मक उपयोग करने, विपरीत परिस्थितियों की सीख़ को भविष्य के लिए सुरक्षित मार्ग प्रशस्त करने और खासकर स्वास्थ्य, कृषि, प्रौद्योगिकी विकास के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर जोर शोर से भिड़ गए हैं।…साथियों बात अगर हम भारत की करें तो प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से हम देख व सुन रहे हैं कि भारत भी तीव्र गति से स्वास्थ्य, कृषि और प्रौद्योगिकी विकास के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में जी-जान से आगे बढ़ रहा है और महामारी के दौर में मिले अनुभवों को भविष्य की सुरक्षा के लिए मुकाबला करने इंफ्रास्ट्रक्चर रूपी ढाल बनानेमें कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है।…

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लद्दाख सीमा पर सामरिक तैयारियां

2 सितम्बर को भारतीय सेना ने लद्दाख में लाइव फायर एक्सरसाइज को अंजाम दिया। फायर एण्ड फ्यूरी कॉर्प्स की अगुवाई में यह युद्धाभ्यास किया गया। इस तरह सेना ने समुद्र तल से तकरीबन 15000 फुट की उंचाई पर अपनी तैयारी को परखा। कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन भी इस अभ्यास में मौजूद थे। उन्होंने सेना की आर्मड रेजीमेंट के जवानों से बातचीत करके उनका हौसला बढ़ाया। इस अभ्यास में सेना की स्नो लेपर्ड ब्रिगेड के टी-90 भीश्म और टी-72 अजय टैंको ने अपनी मारक क्षमता दिखाई। ये तैयारियां बताती हैं कि भारतीय सेना नें विशम परिस्थितियों में लड़ने की तैयारी की है। उल्लेखनीय है कि मई 2020 से भारतीय सेना और चीन की सेना लद्दाख की सीमा पर आमने-सामने है। यहां पर दोनों देशों ने 50.-50 हजार से अधिक सैनिकों को तैयार कर रखा है।

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पैरालम्पिक में दो पदक जीतना सभी बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत है अवनि का गोल्डन सफर

टोक्यो पैरालम्पिक में भारतीय खिलाडि़यों ने कमाल का प्रदर्शन किया और सबसे बड़ा कारनामा कर दिखाया भारत की पैरा शूटर अवनि लखेरा ने, जो 5 सितम्बर को पैरालम्पिक के समापन समारोह में भारतीय ध्वजवाहक बनी। दरअसल अवनि ने इस पैरालम्पिक में दो-दो पदक जीतकर ऐसा इतिहास रच डाला, जो अब तक ओलम्पिक या पैरालम्पिक के इतिहास में भारत की कोई भी महिला खिलाड़ी नहीं कर सकी है। भारतीय निशानेबाज अवनि लखेरा ने टोक्यो पैरालम्पिक में 30 अगस्त को हुई निशानेबाजी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था, जो पैरालम्पिक्स के इतिहास में भारत का शूटिंग में पहला स्वर्ण पदक था।

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सरकार के इस विशेष अभियान से रेहड़ी-पटरी वालों को मिलेगा फायदा

ज़मीनीं स्तर से जुड़े छोटे दुकानदारों, अशिक्षित रेहड़ी पटरी वालों की डिजिटल भुगतान की भ्रांतियां, भ्रम दूर कर प्रोत्साहन पैकेज देकर उत्साहित करना जरूरी – एड किशन भावनानी
भारत में एक ज़माना ऐसा था कि कई ग्रामीण, शहरी क्षेत्रों के अनेक अशिक्षित नागरिकों को पैसे चिल्लर हो या नोट गिनना तक नहीं ज़मता था जो किसी न किसी अपनी सुविधा की ट्रिक से उस पैसों की गिनती को समझने की कोशिश करते थे ऐसा हमारे बड़े बुजुर्ग लोग बताते थे। हालांकि ऐसी स्थिति कुछ हद तक आज़ भी अति दुर्गम इलाकों में हो सकती है ऐसा मेरा मानना है।…साथियों बदलते परिवेश में आज हम डिजिटलाइजेशन की चकाचौंध दुनिया में पहुंच गए हैं।

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भारतीय अध्यक्षता में 13 वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2021

ब्रिक्स में दूसरी बार भारतीय अध्यक्षता से प्रभावकारी आगाज़ – काउंटर टेररिज्म एक्शन प्लान से अफ़ग़ान मुद्दे पर विस्तारवादी देश पर दबाव पड़ेगा – एड किशन भावनानी
भारतीय पीएम की अध्यक्षता में गुरुवार दिनांक 9 सितंबर 2020 को 13 वां वर्चुअल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2021 संपन्न हुआ, जिसमें भारत, रूस चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका जो दुनिया के 5 सबसे बड़े विकासशील देश हैं के राष्ट्राध्यक्ष शामिल हुए और शिखर सम्मेलन के हाईलाइटस हमने टीवी चैनलों के माध्यम से देखें जिसको पांचों देशों के नेताओं ने संबोधन किया जो आम जनता ने भी सुने और अगले साल 2022 में ब्रिक्स के अध्यक्ष के रूप में विसतारवादी देश कार्यभार संभालेगा और 2022 में ब्लॉक के 14 वें शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करेगा…

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स्वयं के मान के मर्दन का नाम है मार्दव धर्म

मृदुता का भाव मार्दव है, सरलता है। सरल स्वभावी मार्दव स्वभावी व्यक्ति सुगति को प्राप्त होते हैं। मानी- घमण्डी लोगों के इस लोक व्यवहार में भी बहुत दुश्मन बन जाते हैं। उन्हें कोई पसंद नहीं करता। सरल-सज्जन व्यक्ति को सब लोग अच्छी निगाह से देखते हैं, उनके कार्य भी सुगमता से संपन्न होते जाते हैं।
मान कषाय के अभाव में मार्दव धर्म प्रकट होता है। जैनाचार्य समन्तभद्र स्वामी ने मान कषाय के आठ कारण गिनवाये हैं, जिनपर व्यक्ति मान-अभिमान-घमंड करता है। वे हैं-
ज्ञानं पूजां कुलं जातिं बलमृद्धिं तपो वपुः।
अष्टावाश्रित्य मानित्वं स्मयमाहुर्गतस्मयाः।।
आठ प्रकार का मद होता है- ज्ञान का मद, पूजा का मद, कुल व जाति का मद, बल का मद, ऋद्धि का मद, तप का मद, और शरीर का मद।

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करोड़ों पूजा, जप, स्तुतियों से महान् है क्षमा

जैन परम्परा में दशलाक्षणिक धर्म पर्यूषण पर्व सबसे महत्वपूर्ण है। इन दिनों में समाज के आबालवृद्ध स्वशक्ति अनुसार धर्माराधना, व्रत, उपवासादि करते हैं। त्योहार थोड़े मौज-मस्ती के होते हैं, पर्व गन्ने की पोर-गांठ के समान नीरस होते हैं, उस गांठ को भी पर्व ही कहते हैं। यदि कृषक को गन्ना चयन को दिया जाता है तो वह अधिक और परिपक्व पर्व-गांठ वाले गन्ने का चयन करता है, क्योंकि उसी पर्व-गांठ में ही अत्यधिक गन्ने उत्पन्न करने की श्क्ति होती है। उसी तरह हमारी संसकृति में जो वर्च आते है वे सादगी, त्याग, व्रत, उपवास, स्नेह, समर्पण, भाईचारा आदि को अन्तर्निहित किये हुए होत हैं। पर्वों में स्वयं की वाह्य शुद्धि और आत्मिक शुद्धि करके पवित्र होता है। उन्हीं पर्वों में महत्वपूर्ण है दशलाक्षणिक पर्यूषण पर्व।

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जूतों की खोज

आज हम जूते पहनते हैं पैरों की सुरक्षा के साथ साथ अच्छे दिखने और फैशन के चलन में हो वैसे रंग बी रंगी। सब के लिए अलग अलग डिजाइन और फैशन के जूते और अब तो आयती भी मिलने लगे हैं, जो एक स्टेटस का प्रतीक भी बन गएं हैं। किंतु उसकी उत्पति की कहानी बहुत कुछ सीखा जाती हैं।
एक राजा था, बहुत अच्छा, अपनी प्रजा के लिए बहुत काम करता था,बहुत ही प्रजा वत्सल और नेक।वह एक ही बात से व्यथित रहता था कि जब वह बाहर जाता था तो उसके पांव में मिट्टी लग जाती थी, वह मिट्टी रथ के अंदर भी लग जाती थी और रथ के साथ साथ वह उसके भवन और भवन से शयन कक्ष तक पहुंच जाती थी,

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