Friday, November 29, 2024
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राशन कार्ड का खाद्यान्न माह की 25 तारीख तक करें प्राप्त

कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। प्रदेश के नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में उचित दर दुकानों में एफपीएस ऑटोमेशन के अन्तर्गत आधार एवं नाॅन आधार आधारित वितरण (प्रांक्सी) व्यवस्था व वितरण सम्बन्धी निर्देशों की जानकारी देते हुए जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने समस्त लाभार्थियों द्वारा अपनी उचित दर दुकानों के माध्यम से माह की 25 तारीख तक अनिवार्य रूप से खाद्यन्न प्राप्त कर लिया जाये।
जिलाधिकारी ने उक्त के क्रम में समस्त जन सामान्य से अपील की है कि वह अपने राशन कार्ड का खाद्यान्न माह की 25 तारीख तक अपनी अपनी उचित दर दुकानों से अवश्य प्राप्त कर ले।

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दबंगों की दबंगई का कहर एक की मौत दो घायल

हाथरस, नीरज चक्रपाणि। जिले में दिखा दबंगों की दबंगई का कहर। रंजिश के चलते दबंगों ने बेटी के सामने ही पिता को लाठी डंडों से बेहरहमी से पीटा। उपचार के दौरान अस्पताल में हुई पिता की मौत। मृतक की बेटी ने आठ दबंगों के खिलाफ थाने में दर्ज कराया मुकदमा। पुलिस ने कार्यवाही करते हुये आठ दबंगों में से 4 को किया गिरफ्तार चार की अभी भी तलाश जारी है।

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कई वर्षों से एक ही क्षेत्र में तैनात लेखपालों को हटाए जाने की मांग

रसूलाबाद/कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। मैथा तहसील में कई वर्षों से एक ही क्षेत्रों में तैनात लेखपालों को हटाए जाने की मांग को लेकर की जा रही लायर्स एसोसिएशन के हड़ताल के समर्थन में लायर्स एसोसिएशन रसूलाबाद ने भी उपजिलाधिकारी रसूलाबाद जेपी पांडेय को जिलाधिकारी कानपुर देहात के नाम मंगलवार को एक ज्ञापन देकर लेखपालों को हटाने की मांग की है।
रसूलाबाद लायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सन्तोष सिंह गौर ने बताया कि जनपद की तहसीलों में काफी अर्से से एक ही सर्किल में लेखपालों की तैनाती रहने से जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ता है क्योकि लेखपाल लोग गांव की पार्टी बंदी में पड़कर अपने पदों का दुरुपयोग करने लगते है। उनका कहना था कि हमारी यूनियन इसका पुरजोर विरोध करती है तथा जिलाधिकारी से मांग करती है कि अविलम्ब ऐसे लेखपालों के कार्य क्षेत्रों में बदलाव किया जाए। ज्ञापन देने वालो में बलराम सिंह चौहान, ब्रजेश तिवारी सहित अन्य लोग मौजूद थे।

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प्रमुख सचिव ने जिला अस्पताल का किया औचक निरीक्षण

हाथरस, नीरज चक्रपाणि। प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव ने जिला अस्पताल और जिला महिला अस्पताल का किया औचक निरिक्षण। प्रमुख सचिव के निरीक्षण से स्वास्थ्य विभाग अधिकारियों में मंचा हड़कंप। निरीक्षण के दौरान प्रमुख सचिव के साथ जिलाधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।
आपको बता दे आज बुधवार को प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव सहकारिता/आयुक्त एवं निबन्धक, सहकारिता विभाग उत्तर प्रदेश शासन प्रभारी एम०वी०एस रामी रेड्डी हाथरस पंहुचे। यहां उन्होंने ने पहले तो जिले के क़स्बा सासनी में अस्थाई रूप से बनाई गयी गौशाला का निरीक्षण किया उसके बाद प्रमुख सचिव रामा रेड्डी जिले के जिला अस्पताल और जिला महिला अस्पताल का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान प्रमुख सचिव रामा रेड्डी ने जिला अस्पताल की ओपीडी, सिटी स्कैन विभाग, एक्सरे विभाग के साथ मरीजों को दिए जाने वाली दवाओं का स्टॉक चेक करते हुये दवाओं की एक्सपायरिंग डेट को भी चेक किया।

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वार्ड 21 में अवैध कब्जा हटाये बिना ही हो रहा है नाली निर्माण

मानक के अनुरूप भी नहीं बन रही है नाली जिससे जल भराव की होगी गम्भीर समस्या
कानपुुर, जन सामना संवाददाता। शहर के वार्ड 21 खांड़ेपुर, योगेन्द्रविहार क्षेत्र में अवैध कब्जा हटाये बिना ही ऩगर निगम की ओर से नाली का निर्माण कराया जा रहा है। साथ ही तय मानक के अनुरुप भी नाली नहीं बन रही है। जिससे भविष्य में लोगों को जल भराव की गम्भीर समस्या का सामना करना पड़ेगा।
वार्ड 21 निवासी स्वतन्त्र पत्रकार डॉ. दीपकुमार शुकल ने हमारे संवाददाता को बताया कि उनके घर के सामने नगर निगम द्वारा जो नाली बनायी जा रही है वह जहां एक ओर मानक के अनुरूप प्रतीत नहीं हो रही है। वहीं दूसरी ओर मार्ग के अवैध कब्जे हटाये बिना ही मनमाने ढंग से निर्माण कार्य चल रहा है।

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शराबबंदी कितनी कारगर…

शराब एक ऐसी चीज है जो व्यक्ति के घर परिवार से लेकर खुद व्यक्ति को भी नर्क के गर्त में ले जाती है ये एक ऐसी बुरी आदत है कि व्यक्ति एक बार बिना औरत के तो रह सकता है लेकिन बिना शराब नहीं। शराब के चलते कितने ही परिवार गरीबी और भुखमरी का जीवन जीने को मजबूर है। आदमी को होश भी तब आता है जब मौत सामने खड़ी होती है। शराब उससे महबूबा की तरह है जिससे मिले बिना रहा नहीं जा सकता और उसे छोड़ने की बात पर मन में पक्का निश्चय करके कि कल मिलने नहीं जाएंगे और ना ना करते हुए फिर से अपनी महबूबा से मिलने चले जाएंगे और मूवी विद पापकार्न का मजा भी लेंगे बस ऐसा ही हाल शराबियों का भी है ना ना करते सीधे ठेके पर जाएंगे और नमकीन के साथ शराब का मजा लेंगे।

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चमकी की चमक को शीघ्र रोके स्वास्थ्य मंत्रालय

मुजफ्फरपुर में इंसेफिलाइटिस (चमकी) बुखार से सौ से अधिक बच्चे मौत के गाल में समा गए। पिछले पांच साल से यह बीमारी महामारी का रूप धारण कर चुका है। पिछले कई साल इस मौसम में नौनिहालों के मौत का सिलसिला चल रहा है। सरकार की प्राथमिकताओं में बिहार म्यूजियम, ज्ञान भवन, नया विधानमंडल भवन और बुद्ध स्मृति पार्क है। अस्पताल नहीं  क्यों ? पटना म्यूजियम को तो सरकार से संभल नहीं रहा लेकिन एक और म्यूजियम बन गया जबकि बिहार को म्यूजियम की नही अभी अच्छे अस्पतालो की आवश्यकता है। अतिपिछड़ा क्षेत्रों में कोई झांकने वाला नहीं है। विधानसभा भवन बने हुए हैं फिर भी नया बनकर तैयार हो गया जबकि आदिवासी क्षेत्र अभी भी अस्पताल विहीन है।श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल और कई ऐसे हॉल पटना में पहले से मौजूद है जिसकी शायद ही साल में दो सौ दिन भी बुकिंग होती हो। क्या इन नए भवनों में लगे पैसों से मुजफ्फरपुर में सुपरस्पेशलिटी अस्पताल नहीं  बनवाया जा सकता था। एक नहीं कई अस्पताल बन गए होते। सैकड़ों बच्चों की जान बचाई जा सकती थी।

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अनुमति के बिना ही रात में चल रही है एचडीडी मशीने

सरकार का हो रहा है भारी नुकसान और आम आदमी हलकान
प्रयागराज, वी. डी. पाण्डेय। इस समय प्रयागराज के कोने कोने मेे चुपके से खडी पायी जाने वाली मशीने रात में सड़कों के किनारे आकर लग जाती है। यह भारी भरकम अत्याधुनिक सिस्टम से लैस मशीने प्राईवेट टेलीकाम कंपनियो के फाईबर केबल को भूमिगत करने के काम में लायी जाती है। जिनके माध्यम से लोहे के बड़े-बड़े पाईपों को जमीन के अंदर डाला जाता है।
आपको बता दे कि इन एचडी मशीन आपरेटरों के पास किसी भी सरकारी विभाग का परमीशन नहीं होता है जैसै पीडब्लूडी, जल निगम, विद्युत विभाग इसलिए ये लोग रात में चोरों की तरह मशीन चलाते है। जिसका परिणाम यह होता है कि अक्सर पानी की पाईप लाईन टूट जाती है। जिससे लोगों को पानी का संकट झेलने को मजबूर होना पड़ता है तो कही विद्युत की पावर केबल काट दी जाती है जिससे विद्युत सप्लाई चरमरा जाती है। कही-कही सीवर लाइन तोड़़ कर गंदगी से तबाही मचाते है।

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ट्रांसपोर्ट वाहन चालकों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता को हटाने का निर्णय लिया

इस कदम से आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों के कुशल व्यक्तियों को लाभ पहुंचेगा
सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चालकों के उचित प्रशिक्षण और कड़े कौशल परीक्षण पर जोर
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। केंद्रीय सड़क ट्रांसपोर्ट और राजमार्ग मंत्रालय ने ट्रांसपोर्ट वाहनों को चलाने के लिए चालक की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता को हटाने का निर्णय लिया है। केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली, 1989 के नियम 8 के तहत, वाहन चालक के लिए 8वीं पास होना जरुरी है। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे बेरोजगार व्यक्तियों की बड़ी संख्या है, जिनके पास औपचारिक शिक्षा नहीं है, लेकिन वे साक्षर और कुशल हैं। ट्रांसपोर्ट मंत्रालय की अभी हाल ही में आयोजित बैठक में, हरियाणा सरकार ने मेवात क्षेत्र के आर्थिक रूप से पिछड़े चालकों के लिए शैक्षणिक योग्यता की शर्त को हटाने का अनुरोध किया था। मेवात में लोगों की आजीविका कम आय वाले साधनों पर निर्भर करती है, जिसमें वाहन चलाना भी शामिल है। राज्य सरकार ने यह अनुरोध किया था कि इस क्षेत्र में अधिकांश लोगों के पास आवश्यक कौशल तो है, लेकिन आवश्यक शैक्षणिक योग्यता नहीं है इसलिए इन्हें ड्राइविंग लाइसेंस मिलना मुश्किल हो रहा है। यह महसूस किया गया है कि शैक्षणिक योग्यता की तुलना में वाहन चलाने की कौशलता अधिक महत्वपूर्ण है। न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की शर्त योग्य बेरोजगार युवाओं के लिए एक बड़ी बाधा बनी हुई है। इस आवश्यकता को हटाने से बड़ी संख्या में बेरोजगार व्यक्तियों, विशेषकर युवाओं के लिए देश में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।

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रियलटी शो में बच्‍चों को सही तरीके से पेश किए जाने के बारे में टीवी चैनलों को परामर्श जारी

चैनलों को रियलटी शो और कार्यक्रम दिखाए जाते वक्‍त इनमें बच्‍चों की भागीदारी को लेकर संयम और संवेदनशीलता बरतने की सलाह
इन उपायों से छोटे और प्रतिभावान बच्‍चों को अत्‍याधिक तनाव से बचाए जा सकेगा
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इस बात का संज्ञान लिया है कि कई डांस आधारित रियलिटी टीवी शो में छोटे बच्चों को ऐसे नृत्य करते दिखाया जाता है जो मूल रूप से फिल्मों और मनोरंजन के अन्‍य लोकप्रिय माध्‍यमों में वयस्कों द्वारा किए जाते हैं। ये अक्सर उत्‍तेजक होने के साथ ही बच्‍चों की उम्र के अनुकूल भी नहीं होते। इस तरह के कृत्य छोटी सी उम्र में बच्चों पर चिंताजनक और बेहत तनावपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। .
सभी निजी उपग्रह टीवी चैनलों से अपेक्षा की जाती है कि वह इस संबंध में केबल टेलीविज़न नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के तहत निर्धारित कार्यक्रम और विज्ञापन संहिताओं में निहित प्रावधानों और नियमों का पालन करेंगे। नियमों के अनुसार, टीवी पर कोई भी ऐसा कार्यक्रम नहीं दिखाया जाना चाहिए जो बच्चों की छवि को खराब करता हो। ऐसे कार्यक्रमों में किसी तरह की अभ्रद भाषा और हिसंक दृश्‍यों का प्रयोग भी नहीं होना चाहिए।

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