Monday, November 25, 2024
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छिन्दवाड़ा : एक विद्यालय की सफलता की कहानी

“जो कभी सुविधाहीन था अब बुनियादी सुविधाएँ व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए आसपास के क्षेत्र में चर्चित है ।”
छिन्दवाड़ा। विद्यार्थी अपने जीवन के अमूल्य ज्ञान, शिक्षा एवं जीवन में उन्नत शिखर तक पहुचने के लिए विद्यालय से ही अंकुरित होता है जो आगे एक सुसज्जित रूप में अपने आप को ढ़ालता है यानि संक्षेप में कहें तो विद्यार्थिओं को जिस प्रकार का स्कूली माहौल एवं शिक्षा दी जाए उनके जीवन को सुद्रण करने में वह वैसा की सफलता के आयाम हासिल करेगा।
आइये आज हम आपको एक ऐसी वास्तवित एक विद्यालय की सफलता है की कहानी से परिचित कराते है जो जिसे पढ़कर या सुनकर अन्य विद्यालयों एवं विद्यार्थिओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगी।
मध्यप्रदेश के छिन्दवाड़ा जिला जो कि सतपुड़ा अंचल में बसा जिला है जो अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिए जाना जाता है । जिला मुख्यालय से महज 13 किमी की दूरी पर एक विद्यालय है जिसकी स्थापना करीब 1965 के दशक में हुई होगी । गाँव के बड़े बुजुर्गों के अनुसार सबसे पहले यहाँ स्कूल गाँव में किसी घर में शुरू हुआ, गाँव वाले एक बहुत पुराने स्कूल शिक्षक का नाम लेते थे जिन्होंने स्कूल की स्थापना करी उनका नाम था श्री अवस्थी गुरूजी, उन्होंने यहा बच्चों के लिए शिक्षा का पदार्पण किया । इसके बाद अनेक शिक्षकों ने इस गाँव में अनेक सेवा दी गाँव की शिक्षा को सफल बनाने का कार्य किया । फिर गाँव वाले एवं विद्यार्थिओं की मदद से ग्राम में एक स्कूल के कच्चे भवन का स्थापना हुई स ग्राम चारगांव प्रह्लाद अपने आसपास के गाँव के लिए शिक्षा का एक अच्छा विद्यालय रूप में जाना जाता है । करीब सन 1990-91 के आसपास इस स्कूल का उन्नयन के बाद यह नवीन माध्यमिक शाला की स्थापना हुई । माध्यमिक स्कूल की शुरुआत ग्राम की ग्राम पंचायत की पुराना भवन के स्थापना की गई। विद्यालय की सुविधाओं एवं कायाकल्प के बारे में किसी का भी ध्यान नहीं जा पाया । सरकारी अनुदान से जितना कार्य स्कूल के लिए हो सकता है उस पर निर्भर रहते हुए स्कूल के भवन एवं सामान्य संसाधन से स्कूल चल रहा था ।
कहते है पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते है, इस स्कूल को एक ऐसा ही नेतृत्व वाला प्राचार्य मिला सन 2012 में जिन्होंने सुविधाहीन शासकीय हाई स्कूल चारगांव प्रहलाद को सुविधा संपन्न बना दिया। प्राचार्य रघुराज सिंह बघेल के इस विद्यालय का प्रभार सभालने के बाद से जैसे स्कूल की सुविधाओं एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में पंख लग गए ।
प्राचार्य रघुराज सिंह बघेल जो एक अच्छे शिक्षक होने के साथ-साथ मिलनसार और एक अच्छे व्यक्तित्व के भी धनि है, जब यह स्कूल आये तो उनका सामना स्कूल में बुनियादी सुबिधाओं क आभाव से हुआ । उनका मानना था कि एक अच्छे विद्यालय के लिए स्कूल में पढ़ाई का उत्तम वातावरण तैयार होना आवश्यक है, एक अच्छे शिक्षापूर्ण वातावरण में ही बच्चों की शिक्षा को स्थापित किया जा सकता है । उन्होंने अच्छी शिक्षा के लिए स्कूल की सुविधाओं पर कार्य करना शुरू किया । सर्वप्रथम स्कूल में अनुशासन, दैनिक गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई, महापुरषों की जयंतियां मनाना, प्रेरक प्रसंगों पर कार्य करना, बच्चों की शैक्षिक विकास के साथ-साथ उनका मानसिक विकास, नैतिक विकास, शारीरिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, व्यावहरिक शिक्षा एवं व्यावसायिक शिक्षा देने का प्रयास किया गया ।
जो स्कूल एक समय सरकारी स्कूल की भांति संचालित हो रहा था प्राचार्य बघेल के लगन और संकल्प ने बनाया सर्वसुविधा संपन्न स्कूल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी । सन 2012 में जब इस विद्यालय में प्राचार्य बघेल ने ज्वाइन किया था तब इस स्कूल में सुविधा नाम मात्र की थी, तात्कालिन छात्र दीपक कोलारे ने बताया कि 2012 में मैं कक्षा 10वीं का छात्र था, उस समय हम सभी विद्यार्थी टाटफटटी में बैठकर पढ़ाई करते थे, जबकि आज यह स्थिति फ़र्स से अर्श तक पहुँच गई है । बघेल सर के प्रयास से स्कूल स्टाफ एवं बच्चों की मदद से स्कूल प्रांगण को सुसज्जित करने का कार्य किया गया ।

विद्यालय प्रांगण में पहले एक भी पौधा नहीं था आज कई पेड़ एवं सुंदर बगीचा लगा हुआ है, स्कूल जैसे हस्ते-मुस्कुराते फूलो से सुसज्जित है, एवं स्कूल की सुन्दरता को चार चाँद लगा रहे है । विद्यालय की दीवारों में प्रेरक प्रसंग, कोटेसन, सुविचार, महापुरषों की छायाचित्रकारी एवं शैक्षिक संबाद से संबधित कलाकृतियाँ देखने को मिलती है । सभी कक्षों में पंखा, घडी लगी है दीवारों पर सुसज्जित रंग रोगन किया गया गया है जिससे विद्यालय में पढ़ाई का उचित वातावरण बन पाए । विद्यालय की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सभी कक्षो में केमरे लगे है, परीक्षा परिणाम में सुधार छात्र छात्राओं के सम्पूर्ण विकास के लिए प्राचार्य आर एस बघेल द्वारा कई नवाचार किए गए आज विद्यालय अपनी एक अलग पहचान बना चुका है ।
प्राचार्य आर.एस. बघेल के इस पुनीत कार्यों में शामिल होंने के लिए पूर्वछात्रों ने भी एक “पे बेक टू स्कूल” नाम का ग्रुप बनाकर स्कूल का सहयोग करने का मन बनाया । “पे बेक टू स्कूल” के एडमिन श्याम कुमार कोलारे बताते है कि आज विद्यालय में कक्षा नर्सरी से लेकर दसवीं तक के सभी छात्रों के लिए उत्तम क्वालिटी के फर्नीचर है जिसमे 25 फर्नीचर भूतपूर्व छात्रों एवं ग्रामवासियों के सहयोग से तथा एक कंप्यूटर जनसहयोग से प्राप्त हुए स्कूल कंप्यूटर कम स्मार्ट टीवी के माध्यम से पढ़ाई होती है । इस विद्यालय में एक सर्वसुविधा युक्त प्राइवेट स्कूल की भांति अच्छी सुविधाएं एवं पढ़ाई है, आज स्कूल की चर्चा सभी तरफ है । ग्राम का हर नागरिक अपने गांव के स्कूल के लिए समर्पित है । स्कूल के कार्य एवं प्रसंशा देखते हुए स्थानीय समाज सेवी संस्था कपड़ा बैंक “सेवा सहयोग संगठन छिन्दवाड़ा” के सदस्यों के द्वारा विद्यालय के नर्सरी बच्चों को 50 जोड़ी गर्म कपडे स्वेटर, एवं 25 नग स्कूल बैग प्रदान किया गया । स्थानीय जन समुदाय से ग्रामीण द्वारा जनसहयोग स्वरुप अन्य स्कूल बच्चों के लिए 25 नग स्कूल बैग प्रदान किया गया।
कहते है गाँव की तरक्की में सबसे पहला योगदान गाँव के लोगो का ही होता है , यदि ग्रामीण अपने गाँव की प्रगति के बारे में सोचकर अपना योगदान करना शुरू कर दे तो वो दिन दूर नहीं जब गाँव सर्व सुविधायुक्त हो जाएगा ।यह सेवाभाव, सहयोग, सामुदायिक पहल, ग्राम विकास में ग्रामीणों की सहभागिता के बारे में स्कूल से सीखने के लिए मिले तो बच्चों में ये संस्कार जीवन को उत्कृष्ट बनाने के लिए सहायक होते है ।शासकीय हाई स्कूल चारगांव प्रहलाद के विद्यार्थीयों को पिछले तीन वर्षों से राष्ट्रीय मेरिट कम मींस परीक्षा पास करने में अपनी उपलब्धि हासिल किये है ।छात्र सुरेन्द्र धुर्वे पिता रामेश्वर धुर्वे एवं छात्रा कु स्नेहा पटेल पिता विनोद पटेल के पलकों ने शास हाई स्कूल चारगांव प्रहलाद को कंप्यूटर मॉनीटर प्रदान किया है ।उक्त छात्र विगत वर्ष राष्ट्रीय मेरिट कम मींस परीक्षा संस्था से उत्तीर्ण किया । शाला को कुछ देने की प्रेरणा इन्हे शाला के भूतपूर्व विथार्थियो से मिली जिन्होंने पिछले वर्ष प्राइमरी कक्षा हेतु 15 फर्नीचर दिया था ।छात्र-छात्राओं के पालक रामेश्वर धुर्वे एवं विनोद पटेल ने अपने बच्चो के द्वारा राष्ट्रीय मेरिट कम मींस परीक्षा पास करने एवं शाला के शिक्षक शिक्षकाए द्वारा विद्यार्थियो को शाला समय के अतिरिक्त मार्गदर्शन प्रदान करने एवं विद्यार्थियो को अच्छी तथा नवीन शिक्षा प्राप्त हो सके ।
एक बार कुछ सामग्री बाटने के लिए स्थानीय समाजसेवक अग्रवाल जी आए तो उन्हें विश्वास ही नही हुए कि यह सरकारी स्कूल है! उन्होंने टीचर से पूछा क्या यह सरकारी स्कूल है? टीचर ने कहा हां! बोले मुझे विश्वास नही हो रहा कि गांव में भी इतना अच्छा स्कूल है, उन्होंने आगे सहयोग की बात की । आर एस बघेल ने अपनी जुबानी बताया की में 2012 में जब इस स्कूल में आया तो सुविधा न होने के कारण मेरा मन थोड़ा खिन्न हुआ काम में मन नहीं लगा क्योंकि पहले में जिन स्कूलों में रहा वहा कुछ सुविधाएं थी । मैने अपने मन की बात अपने गुरुजी से कही, उन्होंने कहा तुम खुद सुविधाएं बना लो! तुम्हे ईश्वर ने कुछ करने का अवसर दिया है! बस उस दिन से में अपने काम में लग गया और आज धीरे-धीरे ग्रामवासियों के सहयोग से यह विद्यालय अपनी एक अलग पहचान बना चुका है।
एक सरकारी स्कूल का इस प्रकार साधन संपन्न बनाकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा सकती है इस विद्यालय के प्राचार्य आर.एस.बघेल ने कर दिखाया है, इस प्रकार के जस्वे एवं लगन से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है, बस कदम आगे बढ़ाने की देर है! वर्तमान में श्री आर.एस. बघेल सर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सारना में संकुल प्राचार्य है, शासकीय हाई स्कूल चारगांव प्रहलाद भी इसी संकुल में आता है, उनका कहना है कि इस विद्यालय को उनका मार्गदर्शन एवं सहयोग मिलता रहेगा रहेगा।
-श्याम कुमार कोलारे।

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