फतेहपुर। जिले के प्राथमिक विद्यालय अस्ति में पढ़ाने वाली आशिया जोकि 2016 में इस विद्यालय में आई थी, तब इस विद्यालय की हालत भू माफिया और दबंगों के कारण इस दशा में पहुंच चुकी थी कि खेल का मैदान गाय भैंस का तबेला और विद्यालय धोबी घाट लगता था। इसके बाद आशिया ने कड़ी मेहनत और दबंगो से मोर्चा लेते हुए इस विद्यालय की दिशा और दशा को सुधारने का संकल्प लिया। इसके बाद से आशिया बताती हैं स्कूल में प्रतिदिन कोई ना कोई आकर कभी गंदगी फैलाता, तो कभी मेरी गाड़ी को पंचर कर देता। इसके बाद मेरा निश्चय और पक्का हो गया कि मैं इस जगह विद्यालय को विद्यालय बनाकर ही रहूंगी। ज्यादा से ज्यादा बच्चें स्कूल आए इसके लिए मैंने गांव जाकर जागरूकता अभियान चलाया। नए-नए तारीकों से बच्चों को पढ़ाई से जोड़ा व स्कूल में एक पुस्तकालय भी बनवाया। जिसमें बेसिक शिक्षा से लेकर स्नातक तक की किताबें मौजूद हैं। धीरे-धीरे करके इनका असर गांव में पढ़ना शुरू हुआ और गांव के संभ्रांत नागरिक मेरी मदद करने लगे। एक समय ऐसा था कि जब विद्यालय में सिर्फ पांच बच्चे थे, कड़ी मेहनत और ग्राम वासियों के सहयोग से आज विद्यालय में ढाई सौ से अधिक बच्चे हैं और विद्यालय की मरम्मत में मैंने एक समय अपनी तनख्वाह की आधी रकम लगाकर विद्यालय को सही कराया। राष्ट्रपति सम्मान मिलने के बाद जिम्मेदारी दोगुना हो जाएगी। आशिया ने बताया कि राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद से जिम्मेदारी तो दोगुनी हो गई है, पुरस्कार मुझे नहीं बल्कि मेरे बच्चों को मिल रहा है। उनकी मेहनत और दुआओं के बदौलत ही मैं इस काबिल बनी कि आज राष्ट्रपति जी के हाथों से सम्मान मिल रहा है। इस पुरस्कार से अब हिम्मत दोगुनी हो गई है मैं इसे अपने बच्चों और मुश्किल दौर में मेरी मदद के लिए खड़े लोगों को समर्पित करना चाहती हूॅं।
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