लखनऊ। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में सार्वजनिक भवनों को दिव्यांगजन हितैषी बनाये जाने के सम्बन्ध में बैठक आयोजित की गई। अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि राजधानी लखनऊ के समस्त सरकारी भवन, प्रदेश के समस्त मण्डलायुक्त कार्यालय व कलेक्ट्रेक्ट भवन, जो अभी तक दिव्यांगजन हितैषी नहीं हुये हैं, उन्हें चिन्हित कर एक निश्चित समयावधि में प्राथमिकता के आधार पर दिव्यांगजन हितैषी व सुगम्य बनाया जाये। इसके अलावा ऐसे सरकारी भवन, जिनका स्वामित्व सम्बन्धित विभाग के पास है, उन्हें भी बजट में आवश्यक प्रावधान कराकर दिव्यांगजन हितैषी बनाया जाये। उन्होंने कहा कि आवास एवं शहरी नियोजन तथा लोक निर्माण की भांति अन्य कार्यदायी संस्थाओं द्वारा भी दिव्यांगजन हितैषी प्राविधानों को ध्यान में रखते हुये निर्माण कराया जाये। भविष्य में होने वाले सभी नये निर्माण कार्यों में भवनों के दिव्यांगजन हितैषी व बाधारिहत होने की व्यवस्था अनिवार्य रूप से होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016 में सार्वजनिक भवनों को दिव्यांगजनों के लिये बाधा रहित बनाये जाने के प्राविधान निहित है। किसी संरचना के निर्माण निहित प्राविधानों का अनुपालन न होने पर निर्माण की मंजूरी नहीं दी जाये। किसी भी स्थापन को तब तक पूर्णता प्रमाण पत्र जारी न किया जाये, जब तक केन्द्र सरकार द्वारा बनाये गये विनियमों का पालन नहीं करता है। बैठक में बताया गया कि अब तक 17 विभागों द्वारा 17,985 भवनों को दिव्यांगजन हितैषी बनाया जा चुका है तथा शेष कार्य प्रगति पर है। आवास एवं शहरी नियोजन विभाग ने बाईलाज में दिव्यांगजन हितैषी प्राविधानों को सम्मिलित कर लिया है, उसकी अनुसार कार्यवाही की जा रही है। लोक निर्माण विभाग द्वारा भी दिव्यांगजन हितैषी प्राविधानों को ध्यान में रखते हुये निर्माण कार्य कराया जा रहा है। बैठक में प्रमुख सचिव दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग सुभाष चंद शर्मा, निदेशक दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग भूपेन्द्र एस0 चौधरी सहित सम्बन्धित विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण आदि उपस्थित थे।
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