Sunday, November 24, 2024
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कानपुर के शिवाला में रावण मंदिर में पूजे गए दशानन

कानपुर नगर, स्वप्निल तिवारी। पूरे देश में आज दशहरे का पर्व मनाया जा रहा है। पूरे देश मे लंकापति रावण का आज के दिन वध किया जायेगा। वहीं कानपुर शहर में उत्तर भारत का सैकड़ों वर्ष पुराना दशानन का इकलौता मन्दिर शिवाला के फूल मंडी में स्थित है। जहां रावण की पूजा की जाती है। इस मन्दिर के पट 364 दिन बंद रहते दशहरा के खास अवसर पर ही खोले जाते हैं। आज रावण का जन्म भी हुआ था जिसको लेकर सुबह यहां जन्मदिन भी मनाते हैं।
दशानन का मनाया जाता है जन्मदिन:  शिवाला स्थित दशहरा के दिन ही रावण मन्दिर के पट खुलते हैं जहां दशानन के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। भले ही लोग बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हो, मगर कानपुर में पिछले सौ साल से रावण को लेकर एक अलग ही परम्परा चली आ रही है। यहाँ के शिवालय इलाके में दशहरे के दिन सुबह रावण का बकायदा जन्म दिन मनाया जाता है, इसके बाद शाम को उसका पुतला दहन कर दशहरा मनाया जाता है।




रावण मन्दिर के ट्रस्टी के के तिवारी ने बताया कि सन 1868 में शिवालय के फूल मंडी में दशानन की मूर्ति स्थापित की गई थी क्योंकि रावण शिव भक्त भी था इसलिए इस इलाके में चारो तरफ भगवान शिव के मूर्ति स्थापित किये गए थे। एक ओर जहां शिव जी का मंदिर है दूसरी ओर माता मंदिर है वहीं बीच मे प्रहरी के रुप मे दशानन का मंदिर मौजूद है जो कि मान्यता के मुताबिक प्रहरी के रूप में मौजूद है। केके तिवारी के मुताबिक दशहरे के दिन रावण के इस मंदिर का पट एक दिन के लिए सुबह लोगो के दर्शन के लिए खोला जाता था और शाम को रावण दहन से पहले आरती करके बंद कर दिया जाता है। ये परम्परा उसी समय से चली आ रही है।वहीं दशानन की पूजा के लिए तरोई और कद्दू के फूल के साथ सरसो तेल के दीपक से रावण की पूजा की जाती है। एक मान्यता के मुताबिक जब रावण ने नौ गृह को अपने कब्जे में ले रखा था, तब शनि ने रावण को सभी ग्रहो को छोड़ने की बात कही, तब रावण ने शनि को उलटा लटका दिया था।