कानपुर (डा. दीपक सक्सेना): किसानों को अब वैज्ञानिक विधि से खेती करनी होगी। खेत की उर्वरा शक्ति को बेहतर करने के लिए किसान फसल चक्र, हरी खाद, जैविक खाद अपनाकर गुणवत्तायुक्त उत्पादन करें। इसके साथ ही कृषि वैज्ञानिक भी बदलते मौसम में अनुकूल प्रजातियों को विकसित करने का काम करें। ये बातें कृषि, कृषि शिक्षा व अनुसंधान राज्यमंत्री रणवेंद्र प्रताप सिंह ने चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) में चल रहे चार दिवसीय अखिल भारतीय किसान मेले के समापन समारोह में कहीं। मेले में इन चार दिनों में 90 लाख रुपये से 2000 क्विंटल से ज्यादा के बीज बिक गए। मुख्य अतिथि को कुलपति सुशील सोलोमन व अन्य प्रशासनिक अफसरों ने चार दिवसीय गतिविधियों की जानकारी भी दी वहीं मेले में पहला पुरस्कार कृषि महाविद्यालय के उद्यान विभाग को मिला।
इस अवसर पर किसानों को जानकारी देते हुए सीएसए के उद्यान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. वी. के. त्रिपाठी ने बताया कि केले में फलियां गोल होने पर तुड़ाई करनी चाहिए।
हाइटेक उद्यान के अन्तर्गत आय को बढ़ाने के लिए बगीचे में सघन रोपण पद्धति अपनानी चाहिए। फल वृक्षों के बीच पड़ी जगह पर अन्तःसस्यन के रूप में एक वर्षीय फसलें जिनमें फूल व फल पपीता, फालसा, स्ट्राबेरी आदि को उगाना चाहिए। सब्जियों में बैंगन, मिर्च, टमाटर व अन्य सब्जियां उगा सकते है। ड्रिप एरीगेशन का प्रयोग कर सिंचाई में पानी की बचत की जा सकती है। पत्तों से बनी कम्पोस्ट खाद बनाकर खरपतवार रहित खाद का प्रयोग करते हुए पौधों के पोषक तत्वों को बनाये रखे जा सकते है।
नेट हाउस, पालीहाउस के अन्तर्गत विपरीत मौसम में भी विभिन्न फसलों टमाटर, खीरा, गुलाब, जरबेरा, स्ट्राबेरी आदि को उगाकर भी आय में इजाफा किया जा सकता है।