हाथरस, नीरज चक्रपाणि। डिब्बा गली स्थित श्री लोहिया जैन धर्मशाला में चल रहे चार्तुमास के पूर्णता के अवसर पर जैन मुनि वीरेश रत्न सागर महाराज को काव्यमयी रचनाओं द्वारा सम्मान सहित विदाई दी गई। जैन मुनि वीरेश रत्न सागर महाराज ने कहा कि सकल मानवता को सुख शांति प्राप्त करने के लिए अपने जीवन में धर्म ग्रंथों में तथा महापुरूषों की वाणी में दिये गए संदेशों का पालन करना चाहिए। पश्चिमी सभ्यता संस्कृति की जगह भारतीय सभ्यता संस्कृति को अपनाना चाहिए, क्योंकि जैन दर्शन सहित धर्मों के दर्शन इसी भाव को जगाते हैं। उन्होंने कहा कि कवि जन वाणी पुत्र कल्याण के प्रचारक होते हैं। इनकी जन जागरण मयी रचनाएं एवं कविताएं सभी जनमानस में मंगलमयी भावनाएं जागृति करती हैं, इसलिए कवि अपनी कविताओं से आशा की नई किरणे पैदा करें। कार्यक्रम में कवि मंगल पांडेय, राजभजन लाल सक्सेना, वासुदेव उपाध्याय, श्याम बाबू चिंतन, नंदकिशोर निर्मोही, ओमप्रकाश चाचा हाथरसी, प्रदीप पंडित, बाबा देवी सिंह निडर, जयप्रकाश शर्मा आदि कवियों ने धार्मिक कविताएं सुनाई। कार्यक्रम संयोजक सिद्धार्थ बांठिया, मनोज द्विवेदी ने सभी कवियों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में कांतिचंद्र बांठिया, अरून कुमार जैन, संजीव जैन, वीरेन्द्र कुमार जैन, रामबाबूलाल जैन, राहुल जैन, श्रीमती राजकुमारी बांठिया, रिया बांठिया, कु. त्रिशिका, कु.वंशिका, श्रीमती सीमा जैन, श्रीमती अरिहन्त जैन, श्रीमती मीरा जैन, रीना जैन, मधु जैन, रश्मि जैन, सोनिया जैन, रजनी जैन, मानवी जैन, मधु, पिंकी जैन आदि उपस्थित थे।