सासनी, जन सामना संवाददाता। मनुष्य के मुख से निकले शब्द ऐसे वाण हैं, कि जिसकी वजह से इंसान, या तो दिल में उतर जाता है, या फिर दिल से उतर जाता है। क्यों कि तालाब सदा कुएं से सैंकड़ों गुना बड़ा होता है फिर भी लोग कुएं का ही पानी पीते हैं, क्योंकि कुएं में गहराई और शुद्धता होती है। मनुष्य का बड़ा होना अच्छी बात है। लेकिन उसके व्यक्तित्व में गहराई और विचारों में शुद्धता भी होनी चाहिए तभी वह महान बनता है।
गुरुवार को यह बातें रुदायन जसराना रोड स्थित भट्टा वाले श्री हनुमान जी मंदिर परिसर में हुए सत्संग के दौरान श्री राजू गिरी महाराज ने बताईं। उन्होंने बताया कि ज्ञानी होना अच्छी बात है मगर प्रेमी होना उससे भी श्रेष्ठ। आप सम्पूर्ण जगत का ज्ञान रखते हैं यह उतना मूल्यवान नहीं जितना आप सम्पूर्ण जगत को प्रेम करते हैं। राम चरित मानस में आया है कि, ज्ञानी होने पर यदि आपको प्रभु चरणों में प्रेम नहीं है तो वह ज्ञान शोभा हीन है। ज्ञानी के लिए जगत में कोई अपना नहीं है, प्रेमी के लिए पूरा जगत ही उसका है। ज्ञानी संसार से मुक्त होना चाहता है मगर प्रेमी सारे संसार को कृष्णमय मानकर उसकी सेवा करना चाहता है। ज्ञान में जीव परमात्मा को जानता है और प्रेम में परमात्मा जीव को जानते हैं। ज्ञान पुष्प है और प्रेम सुवास है। प्रेम में जियो, प्रेम ही साधना की पूर्णता है। प्रेम ही ज्ञान का शिखर है, योगी ना बन पाओ कोई बात नहीं मगर प्रेमी बन जाओ तो श्रीकृष्ण गोपियों की तरह एक दिन द्वार पर माखन मांगने आ जायेंगे। इस दौरान गोविंद प्रसाद शर्मा, अनिल उपाध्या, प्रमोद शर्मा, बलभद्र शर्मा, शत्रुघ्न वशिष्ठ, मनोज शर्मा, शिवशंकर शर्मा, राजकुमार, त्रिलोक चंद्र, अमित शर्मा, सुन्ना लाल शर्मा, सुनील कुमार शर्मा, श्रवण कुमार पाठक, प्रशांत पाठक, ह्रदयशंकर पाठक, मनोज मिश्रा, देवेन्द्र कुमार, राजवीर सिंह, यतेन्द्र शर्मा आतद मौजूद थे।