Monday, November 25, 2024
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ब्रह्मोस मिसाइल से बढ़ेगी आक्रामक क्षमता

-डाॅ0 लक्ष्मी शंकर यादव
22 नवम्बर को ब्रहमोस मिसाइल का सफल परीक्षण करके भारत ने एक और नया मील का पत्थर हासिल कर लिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन भारत ने दूसरी बार सुखोई – 30 एमकेआई सुपरसोनिक लड़ाकू विमान से इस मिसाइल का सफल प्रक्षेपण किया है। वर्तमान समय में इस मिसाइल को थल, जल एवं आसमान में कहीं से भी छोड़ा जा सकता है। यह मिसाइल जमीन के नीचे परमाणु बंकरों, कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स और समुद्र के उपर उड़ान भर रहे लड़ाकू विमानों को निशाना बनाने में सक्षम है।
सुखोई-30 एमकेआई के साथ जोड़कर ब्रह्मोस का पहली बार परीचण 25 जून 2016 को किया गया था। यह परीक्षण एचएएल के हवाई अड्डे पर किया गया था। तब 2500 किलोग्राम वजन के प्रक्षेपास्त्र के साथ उड़ान भरने वाला भारत पहला देश बन गया था जो कि विमानन इतिहास में एक यादगार दिन बना हुआ है। अब इस नई सफलता के बाद सुखोई विमानों में ब्रह्मोस मिसाइलों का लगा दिया जाएगा जिससे वायु सेना की मारक क्षमता काफी बढ़ जाएगी। इस परीक्षण का उद्देश्य सुखोई के जरिए हवा से जमीन पर मार करने में सक्षम बनना है। अब भारतीय वायु सेना पूरी दुनिया की अकेली ऐसी वायु सेना होगी जिसके पास सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली होगी। अब वायु सेना दृश्यता सीमा से बाहर के लक्ष्यों पर भी हमला कर सकेगी। लगभग 40 विमानों में यह प्रणाली लगाए जाने की योजना है।
इस कामयाबी के बाद भारत दुनिया में स्वयं को एक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में भी सफल हुआ है। भारत इस मिसाइल के निर्यात की दिशा में आगे बढ़ने की तैयारी में लग गया है। एमटीसीआर का सदस्य बनने के बाद यह कार्य और आसान हो गया है। वियतनाम वर्ष 2011 से इस तेज गति की मिसाइल को खरीदने की कोशिश में लगा हुआ है। वह चीन से बचाव के लिए ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल सिस्टम लेना चाहता है। इस अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम को बेचने के लिए भारत की नजर में वियतनाम के अतिरिक्त 15 अन्य देश भी हैं। वियतनाम के बाद फिलहाल जिन चार देशों से बिक्री की बातचीत चल रही है उनमें इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, चिली व ब्राजील हैं। शेष 11 देशों की सूची में फिलीपीन्स, मलेशिया, थाईलैण्ड व संयुक्त अरब अमीरात हैं। इन सभी देशों के साथ दक्षिण चीन सागर मसले पर चीन के साथ तनातनी चल रही है।
दुनिया की सबसे तेज गति वाली मिसाइलों में शामिल ब्रह्मोस मिसाइल सर्वाधिक खतरनाक एवं प्रभावी शस्त्र प्रणाली है। यह न तो राडार की पकड़ में आती है और न ही दुश्मन इसे बीच में भेद सकता है। एक बार दागने के बाद लक्ष्य की तरफ बढ़ती इस मिसाइल को किसी भी अन्य मिसाइल या हथियार प्रणाली से रोक पाना असम्भव है। 300 किलोग्राम वजन के हथियार को ले जाने में सक्षम इस मिसाइल को मोबाइल कैरियर से भी लांच किया जा सकता है। यह परीक्षण इसी श्रेणी का था। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण पोखरण क्षेत्र में कई बार किया जा चुका है। पूर्व में विकसित की गई इस मिसाइल में कुछ सुधार किए गए हैं। इसकी क्षमता को बढ़ाया गया है। इस मिसाइल की खासियत यह है कि इसे समुद्र और सतह के साथ हवा से भी दागा जा सकता हैं। इससे तीनों सेनाओं की ताकत बढ़ गई है।
गत वर्ष सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का नौसेना के युद्धपोत आइएनएस कोच्चि से सफल परीक्षण किया गया जो कि सफल रहा था। इस परीक्षण के जरिए युद्धपोत की अत्याधुनिक प्रणाली की क्षमताओं को भी परखा गया। यह ‘‘एक्सेप्टेंस टेस्ट फायरिंग’’ के तहत परीक्षण किया गया था। सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का जून 2014 और फरवरी 2015 में आइएनएस कोलकाता से सफल परीक्षण किया जा चुका है। यह अमेरिका की सबसोनिक कू्रज मिसाइल टाॅमहाॅक से तीन गुना अधिक तेज है। यह भारतीय नौसेना का अत्यन्त शक्तिशाली व नवीन युद्धपोत है। सामान्य तौर पर एक पोत की क्षमता आठ मिसाइलों की होती है लेकिन आइएनएस कोलकाता 16 ब्रह्मोस मिसाइलें दाग सकता है। इसमें खास तरह के यूनिवर्सल वर्टिकल लांचर डिजाइन का प्रयोग किया गया है जिसकी सहायता से क्षैतिज रूप में इस मिसाइल से किसी भी दिशा में हमला किया जा सकता है।
सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का प्रक्षेपण पनडुब्बी, पोत, विमान या जमीन पर आधारित मोबाइल आॅटोनाॅमस लांचर्स से भी किया जा सकता है। ब्रह्मोस के इन संस्करणों में नए सीकर हेड लगे होंगे जो सटीकता के साथ लक्ष्य को भेदने में सफल होंगे। यह मिसाइल 300 किलोग्राम भार तक का विस्फोटक ले जा सकती है। इसकी अधिकतम गति 2.8 मैक अर्थात ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना है। ब्रह्मोस मिसाइल ध्वनि की गति से भी तेज चलने वाली है। लम्बी दूरी की मारक क्षमता से लैस ब्रह्मोस मिसाइल 200 से 300 किलोग्राम वजन की पारम्परिक युद्धक सामग्री अपने साथ ले जाने में सक्षम है।
सुखोई लड़ाकू विमानों को ब्रह्मोस से लैस करने के परीक्षण में सफल होने पर भारत उन विशिष्ट देशों के क्लब में शामिल हो गया है जिनके लड़ाकू विमान क्रूज मिसाइलों से लैस हैं। ब्रहमोस के तीन स्वरूप विकसित किए जा रहे हैं। अब पानी के अन्दर व हवा में प्रक्षेपित किए जाने वाले संस्करणों पर काम जारी है। यह मिसाइल सेना की दो रेजीमेंटों में यह मिसाइल पूरी तरह से परिचालन में है। सेना में कार्यात्मक रुप में शामिल ब्रहमोस के पहले बेड़े में 67 मिसाइलें, 5 मोबाइल आॅटोनाॅमस लांचर्स अन्य उपकरणों के साथ दो मोबाइल कमान्ड पोस्ट भी शामिल हैं। सेना ब्रह्मोस ब्लाॅक-2 मिसाइलों की दूसरी रेजीमेंट तैयार कर रही है जिसे लैण्ड अटैक क्रूज मिसाइल के नाम से जाना जाता है। इस मिसाइल कोे इस प्रकार से तैयार किया गया है कि घनी आबादी में भी छोटे लक्ष्यों को निशाना बनाया जा सकता है। ब्रह्मोस ब्लाॅक-2 से आंतकवादी शिविरों समेत बेहद सटीक लक्ष्यों को भेदा जा सकता है। यह सर्जिकल स्ट्राइक करने में पूरी तरह से सक्षम है। सेना ने अब तीसरी रेजीमेंट में इसकी तैनाती के लिए उत्पादन सम्बन्धी आर्डर दिया है।
ब्रह्मोस के ब्लाॅक तीन संस्करण का आधुनिक दिशा निर्देशों और उन्नत साॅफ्टवेयर के साथ सफल परीक्षण किया जा चुका है। इस परीक्षण में विभिन्न बिन्दुओं पर इसकी कलाबाजियां सम्मिलित थीं। यह मिसाइल ध्वनि की गति से भी तेज गति से गोते लगा सकती है तथा कठिन से कठिन लक्ष्यों पर भी सटीक निशाना लगा सकती है। इसकी अद्यतन संचालन तकनीक और उन्नत साॅफ्टवेयर ने इसे जमीन पर 10 मीटर उंचाई पर स्थित लक्ष्य को भेदने में कुशल बना दिया है। इससे सीमा पार के क्षेत्रों में बिना तबाही मचाए आतंकवादी शिविरों को ध्वस्त किया जा सकता है।
(लेखक सैन्य विज्ञान विषय के प्राध्यापक हैं)