Monday, November 25, 2024
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विधवा वृद्धा की जमीन पर अवैध कब्जे का आरोप

⇒डीएम के आदेशों के बाद भी नहीं हो रही कार्रवाई
⇒पुत्रों ने मीडिया के समक्ष बयां किया अपना दर्द
⇒कहा-भू माफिया के आतंक से पलायन की स्थिति
⇒बोले-तहसीलदार व एसडीएम भी नहीं दिखा रहे गंभीरता
फिरोजाबादः जन सामना संवाददाता। थाना नगला सिंघी क्षेत्र ग्राम धीरपुरा में एक विधवा वृद्धा ने अपनी जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर संबंधित अधिकारियों से गुहार लगायी, यहां तक डीएम के संज्ञान में भी लाया। डीएम ने आदेश भी किये लेकिन उस मामले में कोई गंभीरता नहीं दिखायी गयी। नतीजा अब वह वृद्धा और उसका परिवार भू-माफियाओं की दहशत और भय के कारण पलायन की स्थिति में हैं।
यह सब बातें उनके बेटे सुरेश चंद्र, रामवीर, राजवीर ने मीडिया को बताते हुये कहा कि उनकी मां ज्ञान देवी पत्नी स्व. भूरी सिंह तेली जाति से हैं। उनकी मां व उनके नाम मौजा धीरपुरा में कृषि भूमि गाटा संख्या 2143/3 रकवा 3.578 हैक्टयेर सम्पूर्ण भाग के मालिक हैं। आरोप है कि उनकी मां व उनकी उक्त भूमि पर गांव के भूमाफिया यादव जाति के दबंग व्यक्ति किताब सिंह पुत्र मोहन सिंह व जयप्रकाश व किशन पुत्रगण आदिराम व सोनवीर व सुग्रीव व जगवीर निवासीगण ग्राम धीरपुरा थाना नगला सिंघी द्वारा अवैध हथियारों व दबंगई व गुण्डागर्दी के आधार पर भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया।; इस संबंध में थाने में तहरीर दी बताया कि उक्त लोग अवैध हथियारों के बल पर पीड़िता व उनके परिवार के सदस्यों को डराते व धमकाते हुये जान से मारने की आये दिन धमकी देते हैं। उक्त भू माफिया का ग्राम में काफी आतंक व भय व्याप्त है। इस संबंध में डीएम को भी अवगत कराया। कई बार उन्होंने एसडीएम व तहसीलदार को आदेश किये, पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। एसडीएम व तहसीलदार कहते हैं कि मुख्यमंत्री से कह दो तो भी तुम्हारा काम नहीं होगा। अब ऐसे में जायें तो कहां जाये।

मामले की जांच कर की जायेगी कार्यवाही-डीएम
फिरोजाबाद। इस बारे में डीएम नेहा शर्मा से जब बात की गई और उन्हें अवगत कराया गया तो उनका कहना था पहले तो यह मामला उनके संज्ञान में नहीं है, फिर भी अगर किसी के साथ गलत हो रहा है तो वे उसको दिखवाकर जांच करायेंगी। दूसरी बात अगर उन्हांेने आदेश किये हैं और एसडीएम व तहसीलदार ने कोई सुनवाई नहीं की है तो निश्चित ही मामले में वे कार्रवाई करेंगी, लेकिन इससे पहले वे पूरे मामले की जांच करायेंगी कि कहीं यह मामला कोर्ट में विचाराधीन तो नहीं हैं, चूंकि ऐसे मामलों में अक्सर होता यह है कि उनकी सुनवाई पहले से ही कोर्ट में हो रही होता है तो इस पर हस्तक्षेप नहीं कर सकते।