हाथरसः जन सामना संवाददाता। एससी एसटी अत्याचार निरोधक अधिनियम को निष्प्रभावी किये जाने के विरोध में अनुसूचित जाति जनजाति समुदाय के लोगों द्वारा आज आयोजित भारत बंद के आव्हान के तहत जनपद में बंद प्रभावी नहीं रहा और तालाब चैराहा पर ट्रेन रोकते प्रदर्शनकारियों व प्रशासन में भिडन्त हो गई और पुलिस प्रशासन को लाठी चार्ज करना पडा जिससे भारी अफरा-तफरी मच गई। दलित संगठनों द्वारा एसडीएम को ज्ञापन भी सौंपा गया।
एससी एसटी अत्याचार निरोधक अधिनियम को निष्प्रभावी किये जाने के विरोध में देश भर के दलित संगठनों द्वारा आज भारत बंद का आव्हान किया गया था और आज इसी के तहत पूरे देश के साथ जिले में भी बंद का आव्हान किया गया था और दलित समाज व संगठनों के लोगों द्वारा तालाब चैराहा पर मौन धरना दिया गया। दलित संगठनों द्वारा सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम 1989 से सम्बंधित दिये गये फैसले पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।
उक्त आन्दोलन व विरोध प्रदर्शन के चलते आज दोपहर मथुरा से कासगंज जा रही पैसेंजर ट्रेन को सिग्नल नहीं मिलने पर ट्रेन श्रीनगर स्थित डबल सिग्नल पर रूक गई और इसी दौरान तमाम प्रदर्शनकारियों की भीड रेलवे ट्रेक पर आकर दौडने लगी और ट्रेन के आगे पहुंचकर ट्रेन के इंजन पर पहुंच गये तथा प्रदर्शनकारी लोग हाथों में झण्डों को लेकर लहराते हुए व जमकर नारेबाजी करने लगे। ट्रेन रोकने की खबर से प्रशासन में खलबली मच गई और मौके पर तत्काल अपर पुलिस अधीक्षक डा. अरविन्द कुमार एसडीएम सदर अरूण कुमार, सीओ सिटी सुमन कनौजिया, कई थानों की फोर्स, पीएसी व आरपीएफ आ गई और पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को समझाया और रेलवे ट्रेक खाली करने को कहा।
बताया जाता है प्रदर्शनकारियों ने जब अधिकारियों की बात नहीं मानी और रेलवे ट्रेक व ट्रेन से नहीं हटे तो पुलिस प्रशासन को प्रदर्शनकारियों पर लाठी फटकारते हुए बल प्रयोग करना पडा और प्रदर्शनकारियों को रेलवे ट्रेक व ट्रेन से खदेडना पडा तथा पुलिस के बल प्रयोग करने से प्रदर्शनकारियों की भीड में अफरा तफरी व भगदड मच गई तथा रेलवे ट्रेक को खाली कराकर ट्रेन को रवाना किया गया।
उक्त सम्बंध में अपर पुलिस अधीक्षक डा. अरविन्द कुमार ने बताया कि प्रदर्शनकारी लोग रेलवे ट्रेक पर आ गये और ट्रेन के इंजन पर चढकर प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज नहीं बल्कि लाठी फटकार कर रेलवे ट्रेक से उन्हें हटाया गया। कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है और इस मामले में आरपीएफ द्वारा मुकद्दमा दर्ज किया जा रहा है।
इधर तालाब चैराहा पर दलित समाज संगठनों व लोगों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम 1989 के निष्प्रभावी किये जाने के फैसले के विरूद्ध भारत बंद के आव्हान पर एक दिवसीय मौन धरना प्रदर्शन किया गया जिसकी सामूहिक अध्यक्षता अमन सिंह, अंकित सौनी एवं संरक्षकता योगेश कुमार ओके ने की। मौन धरना प्रदर्शन अनुसूचित जाति जनजाति समाज के बैनरतले रखा गया जिसमें सैकडों की तादात में अनुसूचित जाति जनजाति समाज के लोग मौजूद रहे।
धरना सुबह 10 बजे से था लगातार चार घण्टे जब तक चला तब तक कि उपजिलाधिकारी सदर ने धरना स्थल पर आकर ज्ञापन नहीं ले लिया। इसी दौरान कई बार प्रशासन के लोगों ने धरने पर बैठे लोगों को हटाने का प्रयास किया परन्तु प्रदर्शनकारी अपनी जगह से टस से मस नहीं हुए। कई घण्टों के बाद उपजिलाधिकारी धरना स्थल पर आये जहां प्रदर्शनकर्ताओं ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन देने वालों में योगेश कुमार ओके, दयाल साहब, चै. बिजेन्द्र सिंह, इ. भूपेन्द्र सिंह, इ. आनन्द बाबू, पंकज चैधरी, शिवदत्त दयाल, योगेन्द्र सिंह, प्रवीन कुमार, राजा डीसी, कुलदीप राज, जितेन्द्र प्रताप, विपिन, गिरिदत्त, मोनू जाटव सहित सैकडों सामाजिक लोग उपस्थित रहे। वहीं धरने में संरक्षक स्वरूप पूर्व विधायक गेंदालाल चैधरी, रामनारायण काके, मनोज सोनी, सुनीता सिंह, निर्मला देवी, सुनीता देवी, रेखा आदि मौजूद रहीं।