सीएसजेएम सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के पूर्व और वर्तमान कुलपतियों ने अपने-अपने अनुभव साझा किये।
डॉ.दीपकुमार शुक्लः कानपुर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय का 53 वां स्थापना दिवस सप्ताह समारोह धूमधाम से सम्पन्न हो गया ।विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में सम्पन्न हुए इस कार्यक्रम में सीएसजेएम, रोहिलखण्ड तथा आगरा विश्वविद्यालय के पू्र्व एवं वर्तमान कुलपतियों तथा अन्य अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने अपने-अपने अनुभव साझा किये। स्थापना दिवस का शुभारंभ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता के साथ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर के.बी.पांडे, प्रोफेसर अशोक कुमार, प्रोफेसर जे.बी. वैशंपायन, रोहिलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ए.के.शुक्ला, आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर अरविंद दीक्षित, रोहिलखंड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एम.डी. तिवारी,एआईसीटीई के क्षेत्रीयके निदेशक श्री मनोज कुमार तिवारी एवं कुलसचिव डॉ.विनोद सिंह के द्वारा किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत कुलगीत से की गई। जिसे प्रोफेसर संजय स्वर्णकार की टीम ने गाया। सर्वप्रथम समस्त अतिथियों एवं कुलपति द्वारा गुब्बारे उड़ाकर सांकेतिक शुरुआत की गई। तत्पश्चात कुलसचिव डॉ.विनोद कुमार सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।उन्होंने कहा यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारे पूर्व कुलपतिगण एवं कानपुर विश्वविद्यालय से किसी ना किसी तरीके से संबंधित विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण हमारे बीच में उपस्थित हैं। विशिष्टअतिथियों में सर्वप्रथम पूर्व कुलपति प्रोफेसर के. बी.पांडे जी ने अपने पूर्व के अनुभवों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया और कहा कि जब मैं विश्वविद्यालय का कुलपति था और आज जब मैं विश्वविद्यालय का स्वरूप देखता हूं तो जमीन आसमान का अंतर दिखता है। उस समय विश्वविद्यालय में सीमित संसाधन थे। आज संसाधनों के साथ-साथ शैक्षिक गुणवत्ता भी काफी बढ़ी हुई दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि आज जो यह कुल गीत गाया जा रहा है। इसकी शुरुआत उन्होंने अपने कुलपति रहते हुए विश्वविद्यालय में कराई थी। इसके पश्चात प्रोफेसर अशोक कुमार ने अपने चिर परिचित अंदाज में लोगों का अभिवादन किया तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। उन्होंने कहा कि जब मैंने कानपुर विश्वविद्यालय ज्वॉइन किया तो उस समय तक प्रोफेसर सहगल साहब ने इस विश्वविद्यालय को एक नई दिशा प्रदान कर दी थी। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी विश्वविद्यालय या संस्थान 1 दिन में विकसित नहीं होता है। उसमें बहुत से व्यक्तियों का हाथ रहता है। उनके द्वारा जो कार्य पूर्व में किए जाते हैं उसी को अगर हम लोग आगे बढ़कर एक नई दिशा देते हुए चलें तो निश्चित ही पूर्व के अनुभवों के साथ-साथ हम किसी भी संस्थान या विश्वविद्यालय को ऊंचाई तक पहुंचा सकते हैं। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जे.बी. वैशंपायन ने कहा कि मैंने यहां पर जो कार्य किए वह मेरे लिए एक सीखने का समय था और आज उसी अनुभव को मैं बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में प्रयोग कर रहा हूं। मुझे लगता है कि मैंने कानपुर विश्वविद्यालय में जो अनुभव प्राप्त किए जिनसे मेरे जीवन में एक नया मोड़ आया और मुझे रचनात्मक कार्य करने की प्रेरणा मिली। बरेली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ए.के. शुक्ल ने कहा कि मुझे यहां पर आकर बहुत ही खुशी हुई। क्योंकि मैं भी कानपुर विश्वविद्यालय का छात्र रहा हूँ।
उन्होंने एक वाक्या और बताया कि जब तक मैं पढ़ता था तब मैंने कभी किसी भी कुलपति को देखा नहीं था। परंतु आज जब मैं बरेली विश्वविद्यालय का कुलपति बना तो मैं यही चाहता था कि किसी भी छात्र के अंदर यह बात ना बनी रहे। मैं अपने कुलपति को देख भी नहीं पाया। यही कारण है कि मैं विश्वविद्यालय में सभी छात्रों से अपनेपन से मिलता हूं और हर संभव कोशिश करता हूं कि मैं उन छात्र-छात्राओं के हितों पर अपना कार्य कर सकूं। आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.अरविंद दीक्षित ने कहा कि मैं आगरा विश्वविद्यालय का कुलपति तो हूँ पर कानपुर विश्वविद्यालय जो मुझे सहयोग प्रदान करता है उसको मैं भूल नहीं सकता। उन्होंने अपने कुलपति रहते हुए शुरू के दिनों के बारे में बताया कि एक समय आगरा विश्वविद्यालय में ऐसा था जबकि मुझे शिक्षकों की आवश्यकता थी और मुझे नहीं मिल रहे थे। तब कानपुर विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने मुझे भरपूर सहयोग दिया और मुझे कष्टों से उबारा। जिसके लिए मैं कानपुर विश्वविद्यालय के प्रति कृतज्ञ रहता हूँ। रोहिलखंड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एम डी. तिवारी ने छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के आयोजन की सराहना की और कहा कि यह विश्वविद्यालय निरंतर प्रगति की ओर बढ़ा है और जो नये विचारों के साथ कुलपति आ रहे हैं। वे इस विश्वविद्यालय को और भी ऊंचाई तक ले जा रहे हैं। उन्होंने अपने पूर्व के अनुभव जब वे रोहिलखंड विश्वविद्यालय में कुलपति थे या आईआईटी में निदेशक के रूप में शोभायमान थे। उसके बारे में भी उन्होंने बताते हुए कहा कि किसी भी संस्थान का मुखिया अपने सहायकों के बल पर उस संस्थान को शिखर तक पहुंचाने की क्षमता रखता है। जरूरत है तो एक विजन की एआईसीटीई के क्षेत्रीय निदेशक श्री मनोज कुमार तिवारी ने कहा कि विश्वविद्यालय का स्वरूप काफी विशाल होता है। उन्होंने अपने संस्थान द्वारा विश्वविद्यालय को पूर्ण सहयोग देने की बात कही। विश्वविद्यालय की कुलपति एवं कार्यक्रम की अध्यक्ष प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आज हम जिस ऊंचाई पर पहुंचे हैं। वह हमारे बीच में जो उपस्थित पूर्व कुलपतिगण हैं उन्हीं की वजह से यह विश्वविद्यालय निरंतर गति को प्राप्त कर रहा है। आज जब मैंने विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में ज्वाइन किया तो विश्व विद्यालय सुदृढ़ अवस्था में था। जिसको मैंने अपना बेस मानते हुए उस पर अपना कार्य करना आरंभ किया। आज अभी तक विभिन्न नए कार्यक्रम आयोजित किए गये। जिसमें छात्र-छात्राओं, शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों का एक संयुक्त मिश्रण रहा। आज जहां हम लोगों ने पेरेंट्स मीटिंग की परंपरा डाली तो वही सक्सेस मंत्रा के नाम से मोटिवेशनल लेक्चर शुरू किए। यूथ पार्लियामेंट संवाद इत्यादि कार्यक्रम हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू हुई तो वही सबसे महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय द्वारा अपने पूर्व छात्रों का एक संगठन एलुमनाई एसोसिएशन बनाया गया। जिसने अपना पहला कार्यक्रम गत 2 दिन पूर्व ही आयोजित किया। जिसमें कानपुर विश्वविद्यालय के ख्याति प्राप्त पूर्व छात्र सम्मिलित हुए। उन्होंने कहा कि हम निरंतर प्रगति की ओर बढ़ते रहेंगे और इस विश्वविद्यालय को ख्याति प्राप्त विश्वविद्यालय का दर्जा दिला कर रहेंगे। इसके पश्चात कल्चरल सेल के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। जिसमें हिमांशी ने वंदना प्रस्तुत की। डांस छात्राओं द्वारा ग्रुप डांस, शुभम वर्मा के द्वारा तबला वादन किया गया तो लाइब्रेरी इंचार्ज डॉ.आशीष श्रीवास्तव ने अपने गायन से समा बांध दी। विशेष आकर्षण के रूप में विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर अशोक कुमार ने गाना गाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। गाने के बोल थे जाने कहां चले जाते हैं वह लोग। इस अवसर पर विश्वविद्यालय स्थापना दिवस साप्ताहिक समारोह के अंतर्गत हुई विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। तो वही 9 जून अंतर विश्वविद्यालय युवा महोत्सव के विजेताओं को भी सम्मानित किया गया। और नेशनल यूथ फेस्टिवल के विजेताओं को भी मंच पर आमंत्रित कर सम्मानित किया गया। फार्मेसी विभाग के जी पेट में उत्तीर्ण होने वाले छात्रों को प्रमाण पत्र दिए गए तो वहीं राष्ट्रीय मतदाता दिवस के वाद- विवाद और भाषण प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. सुधांशु राय के कुशल संयोजन की प्रशंसा करते अतिथियों उन्हें बधाई दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. चारू खान और डॉक्टर अर्पणा कटियार के द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर संजय स्वर्णकार के द्वारा किया गया। इस अवसर पर वित्त अधिकारी धीरेंद्र कुमार तिवारी, परीक्षा नियंत्रक डॉ.अनिल यादव, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ.अंशू यादव, चीफ प्रॉक्टर डॉ.नीरज सिंह उप कुलसचिव श्री एस.एन. पाल, श्री वी.के.मौर्य, लेखाधिकारी श्री जितेंद्र वर्मा, प्रोफेसर मुकेश रंगा, प्रोफेसर एस.के.श्रीवास्तव, प्रोफेसर आर. सी.कटियार, प्रोफेसर मधु कुमार, डॉ. विवेक द्विवेदी, प्रोफेसर नंदलाल, प्रोफेसर सुभाष अग्रवाल, डॉ. विवेक सचान, डॉ.आर.एन. कटियार, डॉ.प्रवीण कटियार, डॉ.अजय गुप्ता, डॉक्टर संदेश गुप्ता, डॉक्टर आर.पी. सिंह, डॉ.सुधांशु पांडेय, डॉ. शाश्वत कटियार, डॉक्टर अजय यादव, डॉ. दिग्विजय शर्मा, डॉक्टर द्रोपती यादव, डॉ.बृजेश कटियार, डॉ. विनय त्रिवेदी, बृजेश भदौरिया, डॉ.साधना सिंह, डॉ. अविनाश चैधरी, डॉ.देव बॉक्स, श्री जैकब वर्गीज, श्री मनीष दिवेदी, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. रश्मि गोरे इत्यादि शिक्षकगण एवं अधिकारी, कर्मचारीगण उपस्थित रहे।