चन्दौली, दीपनारायण यादव। सिकन्दरपुर राम नाम स्मरण में ही जीवन का सब सुख है जबकि राम नाम का विस्मरण करने से दुख ही दुख मिलता है राम का नाम स्मरण करके मानव भवसागर को पार हो जाता है उक्त बातें सिकंदरपुर पोखरा के पास जागृति सेवा समिति द्वारा हो रही कथा के सातवीं निशा पर पंडित निरजानंद शास्त्री ने कही। कथावाचक निरजानंद शास्त्री ने यह भी कहा रामचरितमानस से जीवन में शांति और मोक्ष प्राप्त होता है। हर प्राणी को रामचरितमानस की कार्यशैली को अपने जीवन में उतारना चाहिए रामचरितमानस जीने की कला सिखाती हैं। जैसे संतों की कोई जाति नहीं होती तथा कूल नहीं होता प्रभु की भक्ति करके किसी भी जाति कुल में जन्मा व्यक्ति संत ही कहलाता है।
कथावाचक ने कहा कि भरत जैसा भाई हर व्यक्ति को मिले भरत का चरित्र चित्रण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हर प्राणी यदि राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न चारों भाई जैसा व्यवहार आपस में रखें तो इस दुनिया में रामराज्य आने में देर नहीं लगेगी।
इस दौरान सत्य प्रकाश गुप्ता, प्रमोद जायसवाल, राजीव पाठक, संतोष मौर्य, राजेश विश्वकर्मा, विजय चौरसिया, मनीष केसरी, बृजेश मौर्य, अवधेश प्रजापति, हीरालाल यादव, बोडर विश्वकर्मा, आदि भक्तगण मौजूद रहे।