Tuesday, November 26, 2024
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‘‘जल शक्ति अभियान‘‘ का प्रभावी क्रियान्वयन कराया जाये सुनिश्चित: मुख्य सचिव

अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु कृषि उत्पादन आयुक्त एवं प्रमुख सचिव, ग्राम्य विकास नोडल अधिकारी नामित: डाॅ0 अनूप चन्द्र पाण्डेय
अभियान के अंतर्गत जल संचयन एवं जल संरक्षण सम्बंधी उपायों/क्रियाकलापों के सम्बंध में जन-जागरूकता एवं आम-जन की सहभागिता सुनिश्चित कराई जाये: मुख्य सचिव
लखनऊ, जन सामना ब्यूरो। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव डाॅ0 अनूप चन्द्र पाण्डेय ने निर्देश दिये हैं कि आगामी 15 सितम्बर, 2019 तक प्रदेश के 36 जनपदों के 129 ब्लाॅकों में चलाये जाने वाले ‘‘जल शक्ति अभियान‘‘ का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित कराया जाये। उन्होंने कहा कि अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु कृषि उत्पादन आयुक्त एवं प्रमुख सचिव, ग्राम्य विकास को नोडल अधिकारी नामित किया गया है। उन्होंने कहा कि जल शक्ति अभियान का अनुश्रवण करने हेतु चयनित 36 जनपदों के लिए भारत सरकार द्वारा संयुक्त सचिव/निदेशक स्तर के अधिकारी, केन्द्रीय प्रभारी अधिकारियों में नामित किये गये हैं। उन्होंने कहा कि अभियान के अंतर्गत जल संचयन एवं जल संरक्षण सम्बंधी उपायों/क्रियाकलापों के सम्बंध में जनजागरूकता एवं आमजन की सहभागिता सुनिश्चित कराई जाये। उन्होंने कहा कि विभिन्न सरकारी योजनाओं के अंतर्गत चल रहीं परियोजनाओं को पूर्ण कराने हेतु इस क्षेत्र में कार्य करने वाले विभागों की समेकित कार्य योजना बनाकर कार्यवाई प्राथमिकता से कराई जाये।
मुख्य सचिव आज लोक भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में ‘‘जल शक्ति अभियान‘‘ का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित कराने हेतु विभागीय अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दे रहे थे। उन्होंने कहा कि अभियान के अंतर्गत ग्राम्य विकास द्वारा तालाबों की खुदाई एवं डिसिल्टिंग, गूलों एवं अल्पकाओं की सफाई, सिल्ट सफाई एवं पुर्नरूद्धार, खेत तालाब का निर्माण, चेकडैम, ट्रेन्च, फार्म पाण्ड, रियूस बोरवेल, व्यक्तिगत एवं सामुदायिक सोकपिट/रिचार्ज पिट वृक्षारोपण सहित जन जागरण अभियान चालाया जाये। नाबार्ड द्वारा खेत तालाबों का निर्माण कराया जायेगा।
डाॅ0 अनूप चन्द्र पाण्डेय ने सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग का दायित्व निर्धारित करते हुए आदेश दिये हैं कि गंगा पुर्नरूद्धार योजना, गूलों एवं माइनरों की सिल्ट सफाई एवं पुर्नरूद्धार, बोर ब्लास्टिंग, हाइड्रो फ्रेक्चरिंग और नलकूपों की सफाई, नहरों की नेटवर्किंग को बढ़ाना तथा पुरानी नहरों में सुधार, सामुदायिक रूप से चेक डैम, तथा उप सतह बन्धियों का निर्माण, नदियों के किनारे तालाब एवं वृक्षारोपण, वर्षा एवं बाढ़ के जल का संरक्षण, वाटर शेड प्लान बनाये जाये। उन्होंने कहा कि वन विभाग द्वारा सड़कों एवं नदियों के तटबंधों के किनारे वृक्षारोपण एवं नर्सरी की स्थापना एवं वेट लैण्ड का विकास एवं कम सिंचाई वाले वृक्षों की प्रजातियों के संबंध में व्यापक प्रचार-प्रसार तथा ऐसे प्रजातियों का उगान कराया जाये। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग द्वारा सभी तालाबों की पैमाइश कर अतिक्रमण मुक्त कराना, चक नाली/मृत नदियों का पैमाइश कराकर अतिक्रमण मुक्त कराना, कलेक्ट्रेट एवं तहसीलों भवनों में रैन वाहर हारवेस्टिंग कराया जाये।
मुख्य सचिव ने यह भी निर्देश दिये हैं कि परम्परागत जल निकायों यथा-तालाबों, खेत तालाब, कूपों एवं नदियों इत्यादि का पुर्नरूद्धार, सघन वृक्षारोपण, सामुदायिक एवं व्यक्तिगत परिवारों के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर का निर्माण, व्यक्तिगत एवं सामुदायिक सोक पिट एवं रिचार्ज पिट का निर्माण कराया जाये। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर जन समुदाय की सहभागिता एवं जागरूकता हेतु गांवों एवं विद्यालयों में नुक्कड़ नाटक एवं लोक गीत के माध्यम से जल संचयन एवं संरक्षण के लिए किया जाये। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्राॅनिक एवं पिण्ट मीडिया के माध्यम से जल संरक्षण तथा समुचित जल प्रबंधन के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाये तथा उन्होंने कहा कि न्यूनतम सिंचाई वाली फसलों के चयन हेतु जागरूकता अभियान चलाया जाये एवं न्यूनतम सिंचाई वाले पौधों के रोपण पर बल दिया जाये तथा स्थानीय स्तर पर नेहरू युवा केन्द्र संगठन, सरकारी स्कूल के छात्र, इंजीनियरिंग काॅलेज के छात्र, गैर सरकारी संगठन को इस अभियान में सम्मिलित किया जाये। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों के छात्रों एवं वैज्ञानिकों की क्षेत्रीय स्तर पर सहभागिता सुनिश्चित की जाये।
बैठक में प्रमुख सचिव, ग्राम्य विकास, श्री अनुराग श्रीवास्तव सहित सम्बंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।