हैपकिडो बॉक्सिंग में देश का नाम रोशन करना चाहती है फलवाले वाले की बेटी
कानपुर, महेंद्र कुमार। “”लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती”” यह कविता इस नन्ही खिलाडी की ज़िंदगी पर बिलकुल सही बैठती है क्योंकि कुछ इसी तरह का जज्बा इस नन्हीं प्रतिभा संजना के अंदर नजर आता है जो अपने पिता का सपना पूरा करने के लिए गरीबी और मुफलिसी का सामना करते हुए हैपकिडो में जोरदार प्रदर्शन कर अपने घरवालो और गुरु के साथ ही देश का नाम भी रोशन करने का ख़्वाब अपने मन में संजोये हुए है। डबल पुलिया चौराहे पर फल का ठेला लगाने वाले जयप्रकश नगर काकादेव निवासी फूलचन्द और उनकी पत्नी लक्ष्मी जो की इस बच्ची के माता-पिता है। उनकी ख्वाहिश है कि उनकी बेटी पढाई के साथ ही खेल की दुनिया में आसमान चूमे वंही बेटी भी उनके सपने को पूरा करने के लिए दिनरात पसीना बहाने में जुटी हुई है। प्रतिभा की धनी संजना ने हेपकीड़ो बॉक्सिंग में जान लगा दी और अपने परिवार के संघर्ष को अंतर्राष्ट्रीय मुकाम दे दिया। संजना मेधा का परचम लहराने के लिये भूटान जाने वाली है, जंहा होने वाली हेपकीड़ो बॉक्सिंग प्रतियोगिता में वह भारतीय टीम का हिस्सा बनेगी और सब जूनियर वर्ग में देश भर के 42 खिलाड़ियों के साथ पदक के लिये दावा पेश करेगी। संजना भले ही गरीब परिवार से ताल्लुकात रखती हो लेकिन उसके हौसले काफी बुलंद है। उसके बुलंद हौसले का ही नतीजा है कि 2018 में हरदोई में हुये स्टेट मुकाबले में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद तो संजना ने पदको की झड़ी लगा दी, सहारनपुर स्टेट में गोल्ड, पटना नेशनल में स्वर्ण पदक व गुजरात में हुये नेशनल में स्वर्ण पदक जीता। 2018 में दिल्ली में हुये स्कूल गेम्स में स्वर्ण पदक हासिल किया। संजना का सपना आगे चलकर देश के लिये स्वर्ण पदक लाना है, उसका कहना है कि जिस जगह हम रहते है वंहा पर लड़कियों को बढ़ावा नहीं दिया जाता है लेकिन उनको दिखाना चाहते है कि सभी अपनी लड़कियों को मेरी जैसी बनाये हर खिलाडी का कोई ना कोई आदर्श होता है लेकिन संजना अपने माता पिता को ही अपना आदर्श मानती है।
संजना के हौसले की उड़ान को उस समय पंख लग गये जब उसकी मेहनत और लगन को देखते हुये कोच आजाद ने उसको ट्रेनिंग देनी शुरू की। कोच आजाद का कहना है कि वह किस्मत वाले है जो उन्हें ऐसी बच्ची मिली है, उन्होंने ढाई से तीन साल पहले उसे ट्रेनिंग देनी शुरू करी थी और तब से अब तक संजना ने कई मैडल जीते है और यह उसकी मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि वह भूटान में होने वाले इंटर नेशनल हेपकीड़ो बॉक्सिंग में भाग लेने जा रही है जंहा पदक के लिए दावा पेश करेगी।
संजना की माँ लक्ष्मी अपनी बेटी की इस सफलता से बहुत खुश है उन्होंने बताया कि संजना अपने पिता व भाई के साथ फल के ठेले पर मदद करती है। हम उसे वो सब नहीं दे पाये जिसकी वो हकदार थी लेकिन अपनी लगन के बूते वो शहर ही नहीं अपने देश का नाम दुनिया में रोशन करेगी।
संजना के घरवालों और उनके कोच का कहना की वह उसकी सफलता के लिए कोई भी कसर नहीं छोडे़ंगे हर जतन करके उसे आगे बढ़ाएंगे। अब ऐसे में सरकारो को इस बच्ची की ओर ध्यान देने की जरुरत है क्योकि कंही ऐसा न हो कि आर्थिक तंगी इस नन्ही प्रतिभा के आड़े आ जाये और उसके सपने पूरे होने से पहले दम तोड़ दे।