शिवली/कानपुर देहात, जन सामना संवाददाता। जय जागेश्वर मंदिर समिति का दसवां वार्षिकोत्सव की शुरुआत कलश यात्रा निकालकर शुरू कर दी गई। वहीं दूसरे दिन भगवत आचार्य ने भागवत के प्रवचन सुनाते हुए दर्शक प्रवचन सुनते रहे। ठंड पर आस्था का सैलाब भारी दिखा कथा पंडाल से महिलाएं की छोरियां सिर पर कलश रखकर पदयात्रा में मंगल गान करती हुई पांडव नदी के तट पर पहुंची। वहां मंत्रोच्चार से वरुण पूजन कराया गया। इसके बाद कलश भरकर नगर भ्रमण के लिए कलश यात्रा वापस हुई। इसके बाद कस्बे में मंदिर में कलश पूजन कराया गया। वहीं भक्त जयकारा लगाते हुए झूमते नजर आए रास्ते में कलश पर पुष्प वर्षा कर जगह-जगह पूजन और यात्रा का स्वागत किया गया। कलश यात्रा वापस कथा पंडाल में पहुंची वहां यज्ञ चार बनारस के रमेश शास्त्री ने पृथ्वी पूजन गणेश पूजन कर कलश स्थापना कराई। शाम को पोती पूजन का भी आयोजन किया गया। वही दिन सोमवार को कथा व्यास अचार पंडित श्री राघवेंद्र शास्त्री केरल वाले ने कथा सुनाते हुए भक्तों को बताया कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। उन्होंने कहा कि जीव परमात्मा का अंश है इसलिए जीव में अपार शक्ति रहती है। यदि कोई कमी रहती है तो वह मात्र संकल्प की होती है संकल्प व कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे। उन्होंने महारास लीला में उधर चरित प्रश्न माथुर गमन व रुक्मणी विवाह महोत्सव प्रशांत पर विस्तृत विवरण दिया। उन्होंने कहा कि रुकमणी के भाई ने उनका विवाह शिशुपाल के साथ सुनिश्चित किया था लेकिन रुक्मणी ने संकल्प लिया था कि वह शीशपाल को नहीं केवल गोपाल को पति के रूप में वर्णन करेंगी। शीशपाल असत मार्गी जबकि द्वारकाधीश भगवान श्री कृष्ण सत्य मार्ग पर चलने वाले थे। इसलिए असत्य के बजाय सत्य को अपनाने का फैसला लेकर इसे पूरा किया। भगवान कृष्ण को पति के रूप में वर्णन किया कथावाचक ने कहा इस प्रश्न को श्रद्धा के साथ सेवन करने से कन्याओं को अच्छे घर और वर की प्राप्ति होती है। श्री भगवत कथा आयोजन के दौरान सैकड़ों भक्त गण मौजूद रहे वहीं संयोजक अवधेश कुमार शुक्ला चेयरमैन, संरक्षक फुल कुमार साहू, कार्यवाहक अध्यक्ष गोपाल द्विवेदी, अध्यक्ष विमलेश अग्निहोत्री ने बताया कि कथा 29 तारीख दिन रविवार से शुरू 8 जनवरी तक कार्यक्रम का संचालन होगा। वही समापन के दौरान विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा। मुख्य रूप से गोपाल, अतुल, रिशु प्रजापति, रवि सहित सैकड़ों भक्त गण मौजूद रहे।