
इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित उन्नत तकनीकियों को प्रायोगिक स्तर पर खेत में प्रदर्शित करना चाहिये जिससे कि किसानों की समस्याओं का समाधान होने के साथ-साथ अधिक फायदा हो सकेगा। किसानों को कम लागत से सब्जी फसलों की उत्पादकता बढ़ानी चाहिये। सब्जियों की खेती की जोत व उत्पादकता को बढ़ाने के लिये रसायनों का सुरक्षित प्रयोग करना चाहिये जिससे मानव स्वास्थ्य को विषाक्त होने से बचाया जा सके। श्री मेंढे ने कहा कि किसानों को स्थानीय बाजार में सब्जियों के विपणन हेतु समयानुसार सब्जी की माँग का ज्ञान होना चाहिए जिससे सब्जियों की तुड़ाई उपरान्त हानि को कम कर अधिक लाभ प्राप्त कर सकें। श्री सुहास पी. वानी सलाहकार, अन्तर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, आई. सार्क वाराणसी ने सब्जियों द्वारा कृषि विविधीकरण की महत्ता को बताया। श्री वानी ने सब्जियों के विपणन एवं रसायनों के अवशेष प्रबंधन पर ध्यान देने की बात कही। इसी क्रम में अपराह्न में श्री एल. वेंकटराम रेड्डी, निदेशक, उद्यानिकी एवं रेशम कीट पालन (सेरीकल्चर), हैदराबाद, (तेलंगाना) एवं श्री वेणुगोपाल, उपनिेदेशक, उद्यानिकी, वाराणसी ने भी संस्थान का भ्रमण किया। श्री रेड्डी ने संस्थान के अनुसंधान प्रक्षेत्र का निरीक्षण करते हुये संस्थान के निदेशक के नेतृत्व में हो रहे शोध एवं प्रसार कार्यो की सराहना किया। उन्होंने कहा कि यह संस्थान देश भर के किसानों के लिये अखिल भारतीय शोध परियोजना (सब्जी फसल) द्वारा क्षेत्र विशेष हेतु उन्नत तकनीकियों को विकसित कर रहा है। जिससे किसान कम लागत में सब्जी उत्पादन कर अधिक आय प्राप्त कर रहे हैं। इस अवसर पर संस्थान के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक एवं आई सार्क के डॉ. उमा भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. नीरज सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. पी. एम. सिंह ने किया।