हम सब व्यायाम और शारीरिक सक्रियता के फायदे के बारे में तो जानते हैं लेकिन क्या हम ये भी जानते हैं कि इनका हमारे दिलोदिमाग पर भी सकारात्मक असर पड़ता है। व्यायाम का संबंध सेरोटोनिन और डोपामीन जैसे मस्तिष्क रसायनों के पैदा होने से है। सेरोटोनिन और डोपामीन के बढ़े हुए स्तर आपके मूड को बेहतर बना सकते हैं और इनसे विद्वेष या कटुता कम हो जाती है तथा ये रसायन आपको सामाजिक रूप से अधिक सक्रिय बनाते हैं, आपकी भूख, याददाश्त और यौनेच्छा में बृद्धि कर देते हैं। आप बेहतर नींद ले पाते हैं और दूसरे कार्यों में आपका ध्यान और फोकस बढ़ जाता है। इससे आपका आत्मसम्मान बढ़ता है और आपके जीवन में उद्देश्य और अपनी गुणवत्ता का बोध बढ़ जाता है।
आप इस बात को जानते हैं कि व्यायाम की एक अच्छी आदत आपको फिट रखती है, इससे आपके बीमार पड़ने की आशंका भी कम हो जाती है क्योंकि ये आपके प्रतिरोधक सिस्टम को मजबूत बनाता है। नियमित व्यायाम से आप रोजमर्रा के तनावों से निबाह कर सकते हैं। व्यायाम के अन्य भावनात्मक फायदे इस तरह से हैं-
स्वस्थ रहने से आप खुद के बारे में बेहतर महसूस करेंगे।
व्यायाम उपलब्धि और विश्वास का बोध कराते हैं। उदाहरण के लिए अगर आप फैसला करें कि आप एक सप्ताह में कुछ निश्चित समय के लिए व्यायाम करेंगे भले ही आप कितने व्यस्त हों और आप उस लक्ष्य को हासिल कर पाते हैं तो आप उस बात का संतोष महसूस करेंगे और इससे आपको नैतिक ताकत मिलेगी।
अगर आप शारीरिक सक्रियता में व्यस्त हैं तो आपका दिमाग सकारात्मक रूप से व्यस्त रहेगा और रोजाना की जिंदगी की चिंताओं और तनावों से मुक्त रहेगा।
आउटडोर शारीरिक सक्रियता आनंददायक हो सकती है। सामाजिक अंतःक्रिया की संभावना भी इससे बढ़ जाती है जिससे आपके मूड में भी सुधार हो सकता है।
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरवनखेड़ा में कार्यरत व्यायाम प्रशिक्षक राजेश बाबू कटियार का कहना है कि हमारी पुरानी पीढ़ी श्रम आधारित रोजगार में व्यस्त रहती थीं और उनका ज्यादा सक्रिय जीवन था। हमारे दौर में मशीनें ज्यादा आ गई हैं। गुणात्मकता बढ़ाने के लिए मशीनों का इस्तेमाल ज्यादा हो रहा है और मनुष्य प्रयत्न (शारीरिक श्रम) कम हो रहे हैं। छोटी सी दूरियों के लिए हम वाहन का इस्तेमाल कर रहे हैं, सीढ़ियों के बजाय लिफ्ट और स्वचालित सीढ़ियों का इस्तेमाल कर रहे हैं और यहां तक कि हमारे दांतों की सफाई के ब्रश भी मोटर वाले हो गए हैं। इसी दौरान चिंता और अवसाद से पीड़ित लोगों की संख्या हमारे स्वस्थ जीवन के लिए सवाल खड़े करती है। मानसिक विकारों के लिए व्यायाम की कमी कोई सीधा कारण तो नहीं है फिर भी इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि अगर आप नियमित रूप से व्यायाम करते हैं तो आपके तनाव का लेवल भी कम हो जाता है। लगातार और नियमित शारीरिक व्यायाम करने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ती है। व्यायाम मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है और तनाव को रोकने में भी मदद करता है।
डिप्रेशन से निजात दिलाता है नियमित व्यायाम, मूड भी रखता है दुरुस्त
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। लॉकडाउन के कारण घर और सामान्य जीवन में भी माहौल बदल गया है जिसका असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। माहौल और दिनचर्या बदल जाने से लोगों में चिड़चिड़ापन, तनाव, अवसाद, चिंता और घबराहट, तेज गुस्सा, शक करना जैसे लक्षण आम हैं। काम पर न जाने से भी दिमाग पर असर पड़ रहा है। दिमाग एक प्रेशर कुकर के जैसा हो गया है। वायरस से संक्रमित होने का डर भी इसमें इजाफा करता है। टीवी पर कोरोना संबंधी रोज बढ़ते मामलों को देखकर भी इन दिनों लोग अवसाद और चिंता महसूस कर रहे हैं। ऐसे में फिजिकल एक्टिविटी करके हम अवसाद के चक्र को तोड़ सकते हैं। यह तो सभी जानते हैं कि एक्सरसाइज यानी व्यायाम से शरीर हृष्ट-पुष्ट रहता है और कई प्रकार की बीमारियां भी दूर रहती हैं। कम लोग ही यह जानते हैं कि व्यायाम से मिजाज अच्छा रहता है और ये अवसाद व अन्य तनाव संबंधी विकारों से लड़ता है क्योंकि ये मस्तिष्क में एन्डॉरफिन पैदा करता है।