कानपुर, जन सामना ब्यूरो। एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर ने कानपुर संवासिनी केस में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष शिकायत प्रस्तुत करते हुए प्रभावित बालिकाओं को यथोचित क्षतिपूर्ति दिए जाने तथा प्रकरण में उच्चस्तरीय जाँच कराते हुए दोषी अफसरों के खिलाफ कार्यवाही किये जाने की मांग की है।
नूतन ने अपनी शिकायत में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान रिट याचिका संख्या 4/2020 में अपने अत्यंत विस्तृत आदेश दिनांक 03 अप्रैल 2020 में कोविड काल में बाल सुरक्षा गृहों हेतु कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए, जिसकी प्रति ईमेल के माध्यम से सभी प्रदेश के मुख्य सचिवों को भेजी गयी। इस आदेश में कोविड से बचाव के लिए तमाम बिन्दुओं पर अत्यंत विस्तार से निर्देश दिए गए हैं।
नूतन के अनुसार इसके बाद भी कानपुर संवासिनी गृह में उक्त आदेशों का पालन नहीं किया गया। जहाँ उक्त संवासिनी गृह की अधिकतम क्षमता 100 बच्चियों की थी, वहीँ वहां 171 बच्चियां तथा 26 स्टाफ रखे गए थे, जो निर्धारित संख्या से बहुत अधिक थे। इसी प्रकार 07 बच्चियां गर्भवती थीं और लगभग 06 माह से वहां रह रही थीं, इसके बाद भी उनके स्वास्थ्य के प्रति कोई भी अपेक्षित ध्यान नहीं दिया गया।
अतः उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की खुली अवहेलना किये जाने के संबंध में अविलंब क्षतिपूर्ति एवं जाँच कराते हुए कार्यवाही की मांग की है।