आजकल मैं सोशल मीडिया पर छोटी छोटी रील्स देख रही हूं। शुरू शुरू में दिलचस्पी बढ़ी तो स्क्रोल करते गई। आधा एक घंटा कब गुजर गया पता ही नहीं चला लेकिन जल्दी इन छोटे.छोटे वीडियोज़ से मुझे घुटन होने लगी। अजीब बेहूदा अंदाज़ रहता है लोगों का, बेहूदे डांस, फूहड़ पहनावा और उस पर अम्मा की उम्र की महिला लचकती हुई। कुछ- कुछ बहु, भाभी की उम्र की भी महिलाएं रहतीं हैं। ना ही शरीर के डील डौल का ख्यालए ना कपड़े पहनने का तरीकाए ना ही डांस का तरीका और ना ही गाने की धुन का ख्याल बस किसी तरह से लोगों को दिखना है। बच्चों को क्या कहें जब बड़ी उम्र की महिलाएं वीडियो बनाने में उनसे पीछे नहीं है। समझ में नहीं आता है कि यह अपने आप को लोगों के सामने परोस रही है या कौन सी कला का प्रदर्शन कर रही हैं। लड़कियाँ भी बड़े उत्साह से उत्तेजक और भद्दे नृत्य का प्रदर्शन करती हैं। ये जाहिर सी बात है कि वो अपना शोषण खुद करती हैं।
कभी सोचती हैं यह महिलाएं कि इनके बच्चों पर इन सबका क्या असर पड़ता होगा। खुद उनके बारे में लोगों की क्या राय होती होंगी। इस तरह की वीडियो से बच्चों का कैसा विकास होता होगा। भोजपुरी गीत वैसे तो बहुत लोकप्रिय है लेकिन फूहड़ता और अश्लीलता में भी अव्वल है, और आजकल चलन भी इसी का है। जिसे देखो वही भोजपुरी गीत में बेहूदा पहनावे में वीडियो पोस्ट करते जा रहा है। सर पर घूंघट तो रहेगा लेकिन बाकी का शरीर अजब गजब तरीके से ता ता थैया करता रहेगा। इन सारे वीडियोज में बमुश्किल एक आध वीडियो अच्छे और सहज होते हैं जो देखने लायक होते हैं।
हमारे यहां इंटरनेट और देशों की अपेक्षा ज्यादा सस्ता है इसलिए दुरुपयोग भी बहुत ज्यादा है। इस तरह के घटिया वीडियो बैन होने चाहिए क्योंकि आजकल छोटे-छोटे बच्चों के पास भी मोबाइल है। इंस्टाग्राम, फब और भी पता नहीं कौन कौन से एप का इस्तेमाल बच्चे करते हैं। इस तरह के वीडियोज बच्चों के मस्तिष्क पर बुरा असर डालते हैं और एक तरह की विकृति पनपने लगती है। कुछ तो अनजाने में अपराध भी कर जाते हैं और ऐसे ही वीडियोज के कारण अपराध भी बढ़ते हैं।हम अक्सर पुरुष की मानसिकता को दोष देते हैं लेकिन हम किस प्रकार के पहनावे और फूहड़ता को बढ़ावा दे रहे हैं। यह भी सोचने वाली बात है। महिलाओं के प्रति बढ़ते हुए अपराधों में इनकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
प्रियंका वरमा माहेश्वरी( गुजरात)