हिजाब, बनाम भगवा स्कार्फ़ किसके दिमाग की उपज है ये तो नहीं पता, पर अगर आज की युवा पीढ़ी ऐसे मामलों में अटकी और उलझी रहेगी तो देश का भविष्य धुँधला समझो। युवाओं की काबिलियत पर देश का भविष्य टिका होता, है देश की रीढ़ होता है युवाधन। पर आजकल देश में जो माहौल दिख रहा है वो देश के भविष्य पर एक प्रश्नार्थ खड़ा करता है। युवा स्वार्थी हो गया है या यूँ कहे की भटक गया है। वो देश की तरक्की के बारे में न सोच कर सिर्फ अपने बारे में सोचता है या नेताओं के भड़काऊँ भाषणों से प्रभावित होते अपने लक्ष्य से भटक रहे है। नारे और पत्थरबाज़ी में अटक गए है। डेमोक्रेसी का गलत फ़ायदा उठाते देश में अशांति और अराजकता फैलाने में लगी युवा पीढ़ी पर अंकुश लगाना होगा और सही दिशा में मूड़ना होगा।
कर्नाटक में स्कूल-कॉलेज में छात्राओं के हिजाब पहनने को लेकर विवाद जारी है और कुछ अलग ही दिशा का रुख़ करते बहस आगे बढ़ रही है। कुछ जगहों पर छात्रों द्वारा भगवा स्कार्फ पहनकर इसका विरोध भी किया जा रहा है। भगवा स्कार्फ पहने कुछ लोग हिजाब पहनी हुई लड़की के सामने नारेबाजी कर रहे हैं। लड़के ‘जय श्री राम’ के नारे लगा रहे है, वहीं लड़की ‘अल्लाहू अकबर’ कह रही है। आठ दस साल की बच्चियों के हाथ में नारे बाज़ी के स्लोगन थमा दिए है जिनको धर्म और विवाद की समझ तक नहीं। स्कूलों में पढ़ाई का महत्व होना चाहिए न कि पहनावे का, धर्म और पहनावे के आधार पर शिक्षा तय होनी चाहिए या एक ही कानून सब पर लागू होना चाहिए?
आख़िर किस मुद्दे पर बहस छिड़ी है। ये लड़कियाँ पढ़ाई के लिए लड़ रही है या मज़हब के लिए, और क्यूँ? जिस उम्र में अपनी पढाई और करियर पर फ़ोकस करते खुद को प्रस्थापित करने की मशक्कत करनी चाहिए, वहाँ हरा केसरिया करते एक फालतू मुद्दे पर कट्टरवाद को बढ़ावा दे रही है। और मिडिया वाले बढ़ा चढ़ाकर इस मुद्दे को धार्मिक रंग देने की कोशिश करते दो कोमो के बीच वैमनस्य फैलाने की कोशिश कर रहा है।
युवाओं को एक ज़िम्मेदार नागरिक बनना चाहिए, देश के प्रति ज़िम्मेदारी निभाते ऐसे बहुत से मुद्दें है जिन पर काम करना चाहिए जैसे वोट डालने के लिए सबको प्रेरित करना, देश को स्वच्छ रखना, टैक्स भरना, घूस न लेना, न देना आदि को समझते देश की प्रगति में अपना योगदान देना चाहिए इसके बदले धर्म के नाम पर तू तू, मैं मैं में लगे है।
कर्नाटक के कई कॉलेजों में हिजाब को लेकर बवाल शुरू हो गया है, जिसके चलते कई जगहों पर पढ़ाई प्रभावित हो रही है और मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है।
कुछ शिक्षण संस्थानों में हालात काबू से बाहर हो गए है। एक जगह तिरंगा हटाकर भगवा झंडा लगाया गया। जहां हालात खराब है उन संस्थानों को कम से कम एक हफ्ते के लिए बंद कर देना चाहिए, और इस दौरान ऑनलाइन पढ़ाई होनी चाहिए, वरना ये विवाद मज़हबी रंग पकड़ते न जानें कहाँ तक पहुँचेगा। क्यूँकि कर्नाटक के बाद मध्य प्रदेश में भी ये विवाद सर उठा रहा है। यही हाल रहा तो ये आग पूरे देश में फैल कर देश को जला डालेगी। अब इस मुद्दे पर राजनीति खेलकर सांप्रदायिक रंग देते हुए नेताओं ने अब अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकनी भी शुरू कर दी है। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि हिजाब पर बैन का ये फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के खिलाफ है। अगर वो आज झुक गए तो हमेशा के लिए झुक जाएंगे। ओवैसी ने कहा कि, “अगर आज तुम थोड़ी देर के लिए खड़े हो जाओगे, देखो ये लोग जो तुम्हें डरा रहे है जो समझ रहे है कि हमारे सिर पर काले बादल मंडरा रहे है। याद रखो कि एक दिन हमारा भी सूरज उदय होगा, लेकिन भीख मांगने से बादल नहीं हटेंगे, जब वोट की ताकत दिखाओगे तभी दुनिया तुम्हारा हक देगी। यही बात साबित करती है की युवाओं को कौन गलत राह पर ले जा रहा है।
धर्म, मज़हब और कट्टरवाद ऐसे मुद्दे है जहाँ पर आकर इंसान की सोच गूँगी-बहरी हो जाती है। छोटी सी बात अहं बन जाती है और अपने अपने धर्म का प्रचार प्रसार करना मानों उनकी ज़िम्मेदारी हो ऐसे लाठियां लेकर लोग निकल पड़ते है। अभिभावकों को अपने बच्चों को सही राह दिखानी चाहिए, खुद का हित और देशहित किस मुद्दों से जुड़ा है ये बच्चों को समझाना चाहिए। सरकार और सुप्रीम कोर्ट को जल्दी से इस मामले पर सोच विचार करके हल निकालना होगा इससे पहले की इस आग की लपटें देश के कोने-कोने तक पहुँचे।
भावना ठाकर ‘भावु’ (बेंगलोर, कर्नाटक)