इलाहाबाद, जन सामना ब्यूरो। विकास की तस्वीर गावों के कैनवस पर बनाने की पहल उत्तर प्रदेश सरकार के अन्त्योदय संकल्प की झलक पंचम राज राज्य वित्त आयोग की मण्डलीय बैठक में दिखाई दी। इलाहाबाद सर्किट हाउस के सभागार में पंचम राज्य वित्त आयोग ने मिर्जापुर और इलाहाबाद मण्डलों की संयुक्त बैठक की। इस बैठक में राज्य वित्त आयोग ने विकास कार्यों की रूपरेखा तय करने की पहल ग्राम पंचायतों और क्षेत्र पंचायतों के स्तर से शुरू की। राज्य वित्त आयोग की इस बैठक में वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री आनंद मिश्र एवं इलाहाबाद मण्डल के मण्डलायुक्त डॉ0 आशीष कुमार गोयल, आयोग के सदस्य जगदेव सिंह के साथ इलाहाबाद और मिर्जापुर मण्डल के ग्राम प्रधान और ब्लाक प्रमुख भी बैठे थे। पंचम राज्य वित्त आयोग की मण्डल स्तरीय बैठक में राज्य के वित्तीय संसाधनों को पंचायतों में वितरित करने की प्रक्रिया को व्यवहारसम्मत तरीके से प्रस्तुत करते हुये ग्रामीण विकास के सम्बन्ध में पंचायतीराज संस्थाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला गया। मण्डलायुक्त डॉ0 आशीष कुमार गोयल ने इस बैठक के विषय का प्रवर्तन करते हुए राज्य के विकास में गांवों और पंचायतीराज संस्थाओं के महत्व पर प्रकाश डाला। इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष आनंद मिश्र, मण्डलायुक्त डॉ0 आशीष गोयल और सदस्य जयदेव सिंह ने द्वीप प्रज्ज्वलित कर किया। बैठक का विषय प्रवर्तित करते हुए डॉ0 आशीष कुमार गोयल ने वित्त आयोग को यह सुझाव भी दिया कि विकास के कार्यों में पंचायतीराज संस्थाओं की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण और सर्वोच्च होती है। पिछले दशकों में आधुनिक जीवनशैली के प्रभावस्वरूप गावों का स्वरूप भी बदला है तथा वहां आबादी भी बढ़ी है। इस प्रकार गावों में जनसुविधाओं की आवश्यकता भी उसी अनुपात में बढ़ी है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बिजली, पेयजल और गावों की सफाई का मुद्दा है। कमिश्नर ने कहा कि यद्यपि गावों में बिजली आपूर्ति की संस्थागत व्यवस्था उपलब्ध हो जाती है, लेकिन सफाई और पेयजल के इंतजाम गावों में व्यवस्थित और संगठितरूप से उस स्तर तक सुनिश्चित नहीं हो पाते, जिस स्तर तक विकसित हो रहे गावों में इन जनसुविधाओं की जरूरत होती है। मण्डलायुक्त ने राज्य वित्त आयोग से यह अनुरोध किया कि इन बुनियादी सुविधाओं को केन्द्र में रखते हुए वित्त आयोग वित्तीय संसाधन पंचायतीराज संस्थाओं को आवंटित करे। उन्होंने इस दिशा में कई व्यावहारिक सुझाव दिये, जिसमें गांवों के युवा मानव संसाधन को सफाई कार्याें हेतु बिना सरकारी कर्मचारी के रूप में नियुक्त किये ही ग्राम पंचायतों के माध्यम से गांवों में सफाई की संस्थागत व्यवस्था संचालित कराने का सुझाव प्रमुख था। इसी प्रकार पेयजल की बुनियादी सुविधा गांवों में उपलब्ध कराने के लिये व्यवस्था की कई व्यवहारिक कमियों पर उन्होंने प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि गांवों के लिये पेयजल योजनाएं सरकारी प्रयासों से प्रारम्भ तो हो जाती हैं, लेकिन बजट और मेंटेनेंस के अभाव में वे अपेक्षित समय तक संचालित नहीं रह पातीं और गांवों में पेयजल के अभाव की समस्या बनी रह जाती है। इस पर प्रकाश डालते हुये मण्डलायुक्त ने वित्त आयोग से अनुरोध किया कि गांवों की पंचायतीराज संस्थाओं को यदि इन स्थापित योजनाओं के संचालित करने तथा मेंटेनेंस के लिये धनराशि उपलब्ध करायी जाए, तो पंचायतें हैण्डपम्प तथा पाइप पेयजल योजनाओं को अपने स्तर से चलाती रह सकती हैं। इसी तरह उन्होंने गांवों में स्ट्रीट लाईट की व्यवस्था को आवश्यक बताते हुए इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि गांवों कें घरों में विद्युतीकरण तो होता है लेकिन बस्ती की गलियों और मार्गों में अक्सर अंधेरा ही रहता है। गांवों के मार्गों पर प्रकाश के लिये उन्होंने पंचायतीराज संस्थाओं को वित्तीय संसाधन दिये जाने के सुझाव दिये। मण्डलायुक्त ने ग्रामीण जीवन की व्यवहारिक असुविधाओं और कठिनाईयों को बड़ी बारीकी से राज्य वित्त आयोग के सामने रखा। गांवों के एक और अनछुए पहलू पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने इस ओर राज्य वित्त आयोग का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा गांवों में अबतक खडंजे और नाली के इंतजाम तो होते हैं लेकिन ग्रामीण बस्तियों से निकलने वाले ठोस कचरे और अपशिष्ट जल के प्रबन्धन की कोई व्यवस्था नही होती, जबकि देश और प्रदेश की दो तिहाई आबादी गांवों में निवास करती है। उन्होंने राज्य वित्त आयोग से कहा कि गांवों से निकलने वाले ठोस कचरे और अपशिष्ट जल को नालों और गड्ढों में परम्परागत रूप से एकत्रित रखने से ग्रामीण जीवन में बीमारियों का खतरा रहता है। इस विषय पर उन्होंने राज्य वित्त आयोग से यह अनुरोध किया कि पंचायतीराज संस्थाओं को लघु स्तर पर वेस्ट मैनेजमेंट के छोटे प्लान्ट्स दिये जाने चाहिए, जिससे गांव स्वच्छ रहें और पर्यावरण भी सुरक्षित रहे। डॉ0 आशीष कुमार गोयल द्वारा दिये गये सुझावों को बैठक के केन्द्र बिन्दु में रखते हुए वहां उपस्थित पंचायत प्रतिनिधियों से ग्रामीण जीवन में विकास के सुझाव मांगे तथा प्रत्येक प्रतिनिधि से एक निर्धारित प्रपत्र पर उससे सम्बन्धित पंचायत में होने वाले विकास कार्यों एवं वित्तीय आवश्यकताओं का विवरण लिया। राज्य वित्त आयोग की इस बैठक में यह व्यक्त किया गया कि राज्य सरकार विकास के वित्तीय ढ़ांचे को गांवों पर केन्द्रित रखना चाहती है।