राजीव रंजन नाग: नई दिल्ली। पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के लिए आखिर चुनाव का बिगुल बज गया है। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की तारीख का ऐलान कर दिया। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने घोषणा की कि हिमाचल की 68 सीटों के लिए 12 नवंबर को मतदान होगा, जिसे एक ही चरण में पूरा कर लिया जाएगा। 8 दिसंबर को चुनाव के नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार द्वारा सिर्फ हिमाचल की चुनावी तारीखों का ऐलान किए जाने के बाद पत्रकारों ने उन पर सवालों की बौछार कर दी। उनसे पूछा गया कि एक साथ दोनों राज्यों में चुनाव क्यों नहीं कराए जा रहे, इसके पीछे क्या वजह है ?
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है। कुमार ने कहा, ‘दोनों राज्यों की विधानसभाओं की समाप्ति के बीच 40 दिनों का अंतर है। नियमों के अनुसार, यह कम से कम 30 दिन होना चाहिए ताकि एक परिणाम दूसरे को प्रभावित न करे।’ गुजरात विधानसभा का कार्यकाल फरवरी में और हिमाचल प्रदेश का कार्यकाल जनवरी में समाप्त हो रहा है। दोनों राज्यों में बीजेपी सत्ता में है।उन्होंने कहा, ‘मौसम जैसे कई कारक हैं। हम हिमपात शुरू होने से पहले हिमाचल चुनाव कराना चाहते हैं।’ मुख्य चुनाव आयुक्ता ने स्पष्टीकरण जारी रखते हुए बताया कि आयोग ने ‘विभिन्न हितधारकों’ के साथ परामर्श किया था। आदर्श आचार संहिता हिमाचल प्रदेश में कम दिनों के लिए लागू होगी। 70 के बजाय 57 दिन। दोनों राज्यों ने परंपरागत रूप से आमतौर पर एक ही समय में मतदान किया था। आयोग द्वारा शुक्रवार को गुजरात के लिए मतदान की तारीखों की घोषणा करने की भी उम्मीद थी।
आज गुजरात चुनाव की घोषणा नहीं किए जाने को लेकर यहां के राजनीतिक गलियारों में अनेक तरह के कयास लगाये जा रहे हैं। इस पर आश्चर्य इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि दोनों विधानसभाओं की मियाद छह महीने के भीतर समाप्त होंगी। ऐसे मामलों में, सभी राज्यों के चुनावों की घोषणा एक साथ की जाती है और परिणाम भी एक ही तारीख को घोषित किए जाते हैं।
हिमाचल प्रदेश में मतदान और परिणामों के बीच असामान्य रूप से लंबे अंतराल को देखते हुए कई पत्रकारों ने इस पर सवाल उठाया। लंबे समय से अटकलें लगाईं जा रही थी कि आयोग गुजरात में जल्द ही चुनाव घोषित करने की तैयारी में है लेकन ‘‘अज्ञात’’ कारणों से फिलहाल इसकी घोषणा नहीं की गई। 2017 में दोनों राज्यों में अलग-अलग चुनाव की घोषणा की गई थी, लेकिन नतीजे उसी दिन दिसंबर में घोषित किए गए थे। गुजरात में दो चरणों में मतदान हुए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को इस बार अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) की चुनौती मिल रही है। इस साल की शुरुआत में पंजाब में अपनी मेगा जीत के बाद आठ साल पुरानी पार्टी गुजरात में आक्रामक रूप से प्रचार कर रही है। राज्य में आप पार्टी को मिल रहे समर्थन के मद्देनजर भाजपा को लगातार अपनी रणनीति बदलनी पड़ रह है।
2017 के हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में, भाजपा ने कुल 68 में से 44 सीटें जीतीं, जिसमें वोट शेयर 48.8 प्रतिशत था। 1982 में पहली बार चुनाव लड़ने के बाद से राज्य में पार्टी का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन बताया गया।
हालांकि, किन्नौर, चंबा, हमीरपुर, सोलन और कांगड़ा में वह पांच सीटें मामूली अंतर से हार गईं। कांग्रेस को केवल 21 सीटें मिलीं। गुजरात विधानसभा का कार्यकाल अगले साल 18 फरवरी को समाप्त हो रहा है। गुजरात की 182 सीटों वाली विधानसभा में इस समय 111 भारतीय जनता पार्टी और 62 कांग्रेस विधायक हैं। आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की तारीख से आदर्श आचार संहिता लागू की जाएगी और चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक लागू रहेगी।
निर्वाचन आयोग के मुखिया ने आगे तर्क दिया कि कई राज्यों में चुनावों की घोषणा से कुछ के परिणामों के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. वहीं इससे आचार संहिता की अवधि भी लंबी हो जाती है. उन्होंने आगे बताया कि इन चुनावों के दौरान सोशल मीडिया पर आयोग की तरफ से लगातार नजर रखी जाएगी. किसी भी तरह की फर्जी खबर को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा और उस पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। पार्टी घोषणा पत्रों में चुनावी वायदों को लेकर उन्होंने कहा कि इस बारे में विचार-विमर्श जारी है। मुफ्त चुनावी घोषणाओं, सौगातों पर सीईसी राजीव कुमार ने स्पष्ट कहा कि हम सभी चुनावी प्रदेशों में किसी भी तरह के प्रलोभन को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति रखेंगे।