Tuesday, November 26, 2024
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बेहतर सैन्य फैसलों के लिए याद रहेंगे नेता जी

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का 82 साल की उम्र में विगत दिनों निधन हो गया। वे लम्बे समय से बीमार चल रहे थे और हरियाणा के मेदांता अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में हुआ था। वे राम मनोहर लोहिया के विचारों से काफी प्रभावित थे। सन् 1950 के दषक में वे राजनीति में सक्रिय हुए और किसानों के लिए लड़ाई लड़ी। उनके संघर्श तथा जुझाारूपन के लिए पुर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह उन्हें ‘लिटिल नैपोलियन’ कहकर पुकारते थे। मुलायम सिंह यादव तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और 1 जून 1996 से 19 मार्च 1998 तक देश के रक्षा मंत्री भी रहे। रक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने कुछ ऐतिहासिक फैसले लिए जो विशेष उपलब्धि वाले हैं जिन्हें सैन्य क्षेत्र के लोग कभी नहीं भूल सकते हैं।
1990 के दशक में मुलायम सिंह यादव जब उत्तर प्रदेश की सत्ता से हटे तो उन्होंने केन्द्रीय राजनीति में प्रवेश किया। इस समय तक वे लम्बे अनुभव के बाद राजनीति में काफी पारंगत हो चुके थे। वे यह समझ चुके थे कि कब और कहां उन्हें अपनी अहमियत साबित करनी है। वे राजनीति के माहिर खिलाड़ी थे और इसका फायदा भी उठाया। सन् 1996 में जब लोक सभा चुनाव हुए तो उनकी पार्टी ने 17 सीटों पर विजय हासिल की। यह वो समय था जब देश में अस्थिरता का दौर चल रहा था। इस चुनाव के बाद श्री अटल बिहारी वाजपेई की सरकार बनी लेकिन वह मात्र 13 दिन में ही गिर गई। इसके बाद एच. डी. देवगौड़ा की सरकार बनी जिसमें मुलायम सिंह यादव पहले एच. डी. देवगौड़ा और उसके बाद इन्द्र कुमार गुजराल की सरकार में तकरीबन दो साल तक रक्षा मंत्री रहे। अपने इसी कार्यकाल के दौरान उन्होंने रक्षा क्षेत्र के लिए कुछ महत्वपूर्ण फैसले लिए जिसके कारण वे देश के सफल रक्षा मंत्री के रुप में जाने जाते हैं।मुलायम सिंह यादव देश के ऐसे पहले रक्षा मंत्री हैं जो सैनिकों का मनोबल बढ़ानें के लिए दुनिया के सबसे उंचे बर्फीले युद्ध क्षेत्र सियाचिन ग्लैशियर पर गए थे। रक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने कश्मीर व पूर्वाेत्तर की अग्रिम सीमाओं पर जाकर सैनिकों से मुलाकात कर उनके उत्साह में वृद्धि की थी। भारत के दो पड़ोसी देशों में से चीन को लेकर मुलायम सिंह यादव का रवैया हमेशा कठोर रहा। उन्होंने भारत के लिए हमेशा पाकिस्तान की तुलना में चीन को बड़ा दुश्मन माना। वे खुले मंच से चीन का विरोध करते थे। नेता जी जब तक रक्षा मंत्री रहे तब तक यही कहा कि यदि भारत को आगे बढ़ना है तो उसे चीन की सैन्य शक्ति के मुकाबले अपनी सैन्य शक्ति मजबूत करनी होगी। आज उनकी भविष्यवाणी सच साबित हो रही है और देश को चीन के मुकाबले अपनी तीनों सेनांगों की सैन्य ताकत बढ़ानी पढ़ रही है। उनके रक्षा मंत्रित्व काल में सीमा पर भारतीय सेना ने चीन की पीछे ढकेल दिया था। पाक सीमा की तरफ से होने वाली घुसपैठ पर वे हमेशा सख्त रहे। इसीलिए पाकिस्तान ने कभी भी सीज फायर का उल्लंघन नहीं किया और जब तक वे रक्षा मंत्री रहे तब तक पाक सीमा पर गोलीबारी नहीं हुई थी।
मुलायम सिंह यादव के देश के रक्षा मंत्री बनने से पहले जब भी सेना का कोई जवान शहीद होता था तो उसका पार्थिव शरीर उसके घर नहीं पहंुचाया जाता था। सैनिक के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार सेना के जवान स्वयं करते थे और बाद में जवान की टोपी, वर्दी तथा अन्य सामान परिजनों के पास सम्मान के साथ पहुंचाया जाता था। जब मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री बने तो उन्होंने यह ऐतिहासिक कानून बनाया कि अब जब भी कोई सैनिक शहीद होगा तो उसका शव पूरे आदर व राजकीय सम्मान के साथ उसके घर तक पहंुचाया जाएगा। वहां के जिलाधीश व एसपी, शहीद जवान के घर जाएंगे। उसके बाद से देश की सीमा की रक्षा करते हुए यदि कोई जवान शहीद हो जाता है तो उसका पार्थिव शरीर पूरे सम्मान के साथ उसके परिजनों तक पहंुचाया जाता है। इसके अलावा भारत सरकार तथा सेनाओं द्वारा बेहतर व्यवस्था करके इस बात का ध्यान रखा जाता है कि उसके सम्मान में कोई कमी न रहने पाए।
मुलायम सिंह यादव ने अपने कार्यकाल में वेतन आयोग की सिफारिशों पर सैनिकों की आपत्तियों को सुनने की व्यवस्था की और आपत्तियों को दूर करने का प्रयास किया। उनके कार्यकाल के दौरान अग्नि मिसाइल का परीक्षण किया गया। जबकि उस समय अमेरिका द्वारा यह दबाव बनाया जा रहा था कि भारत मिसाइल कार्यक्रम से पीछे हट जाए लेकिन मुलायम सिंह यादव इस दबाव में नहीं आए और वैज्ञानिकों से कहा कि वे इस योजना पर कार्य जारी रखें। विदित हो कि भारत के पास सबसे अधिक लम्बी दूरी तक की मारक क्षमता वाली मिसाइलें अग्नि श्रेणी की ही हैं। अग्नि-5 मिसाइल की मारक क्षमता 5000 किलोमीटर तक है और अग्नि-6 मिसाइल पर विकास कार्य चल रहा है। उम्मीद है कि इसका परीक्षण भी शीघ्र कर लिया जाएगा।
भारतीय वायु सेना की रीढ़ कहे जाने वाले सबसे ताकतवर सुखोई लड़ाकू विमानों की खरीद का समझौता भी मुलायम सिंह के कार्य काल में हुआ था। उनके काल में ही सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों की आपूर्ति रूस से हुई थी। विदित हो कि वर्श 1996 के आम चुनाव से पहले पी वी नरसिम्हा राव की सरकार के अंतिम दिनों में रूस के साथ सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों की खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। तब भारतीय जनता पार्टी ने इस समझौते का जमकर विरोध किया था। भारतीय जनता पार्टी का कहना था कि नरसिम्हा राव सरकार लड़ाकू विमानों की खरीद का समझौता जल्दबाजी में कर रही है। मजे की बात यह रही भारतीय जनता पार्टी चुनाव में जीत दर्ज कर सत्ता में आ गई और सुखोई लड़ाकू विमानों की खरीद समझौते पर कुछ कर पाती कि इससे पहले ही अटल बिहारी सरकार गिर गई लेकिन पूर्व कैबिनेट मंत्री जसवंत सिंह इस समझौते से जुड़े सभी कागजात देख चुके थें। देवगौड़ा सरकार बनने पर राजनीतिक रुप से विरोधी होने के बावजूद देश हित की बात आने पर अटल बिहरी वाजपेई व मुलायम सिंह यादव लड़ाकू विमानों की खरीद पर एकमत हो गए और वाजपेई जी ने कहा कि अगर यह अच्छा लड़ाकू विमान है तो घोटाले की बेबुनियाद बातों से विमान खरीद नहीं रुकनी चाहिए। इसके बाद इन विमानों की खरीद हो सकी।
-डॉ0 लक्ष्मी शंकर यादव