कानपुरः जन सामना ब्यूरो। महिला पुलिसकर्मी की ब्लैकमेलिंग से परेशान होकर उप निरीक्षक अनूप सिंह के द्वारा आत्महत्या जैसे कदम उठाने के मामले को लेकर सुर्खियों में फजलगंज इंस्पेक्टर देवेंद्र दुबे भी आ गये हैं। पुलिस विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो देवेंद्र दुबे की भूमिका ‘उपनिरीक्षक आत्महत्या कांड’ में संदिग्ध है जो गोपनीय जाँच में सामने आ सकती है?
वहीं अतीत पर नजर डालें तो कमिश्नरेट थाना फजलगंज में तैनात इंस्पेक्टर देवेंद्र दुबे गालीबाज दरोगा के नाम से जाने जाते हैं। दुबे पर लखनऊ जिले के गाजीपुर थानाध्यक्ष के पद पर तैनाती के दौरान एक मुकदमा आई पी एस नवनीत सिकेरा के आदेश पर मुअसं 0551/2016- 504, 506 की धाराओं के अन्तर्गत दर्ज किया गया था। यह गोमतीनगर थानाध्यक्ष श्याम बाबू शुक्ला के साथ गाली-गलौज और अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने के आरोप में दर्ज किया गया था। जाँच के दौरान गाली-गलौज, अमर्यादित भाषा के आरोप भी सही पाये गए थे। यह माला माननीय न्यायालय में मामला विचाराधीन है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि मामला विचाराधीन होने के बावजूद और दागी छवि के नाम से मशहूर इंस्पेक्टर देवेंद्र दुबे को शहर के फजलगंज थाना की कमान क्यों दी गई ? वहीं सोशल प्लेटफॉर्म्स पर सवाल उठने लगे हैं कि पुलिस कमिश्नरेट के उच्चाधिकारी, इंस्पेक्टर देवेन्द्र दुबे पर मेहरबान क्यों हैं? वहीं आशंका यह है कि देवेन्द्र दुबे घटित ‘उपनिरीक्षक आत्महत्या कांड’ में भी अपना प्रभाव दिखा सकते हैं!