पवन कुमार गुप्ताः रायबरेली। प्रदेश का मुख्यमंत्री हो या कोई भी मंत्री हो गड़बड़ करने वालों के खिलाफ केवल भाषण ही दे सकता है, कार्यवाही करने में इन सभी की राजनीति बीच में आ जाती है और फिर कमजोर पड़ जाते हैं। इनके साथ साथ प्रशासन भी गड़बड़ करने वाले भू माफियाओं, असामाजिक तत्वों से निपटने में भी लापरवाही बरतने लगता है।
बता दें कि अब सरकार और प्रशासन की ढुलमुल रवैए का असर यह हो रहा है कि गांव में घूम रहे असामाजिक तत्वों की वजह से उत्पन्न हो रहे जमीनी विवाद में आज भी लोगों की उम्र बीत जाती है, परंतु मामले का हल नहीं निकल पाता । गांव में घूम रहे हैं ऐसे असामाजिक तत्व कानून की कमजोरी ढूंढ कर ग्रामीणों को ऐसे विवादों में उलझाते रहते हैं। बताते चलें कि ऐसा ही एक मामला रायबरेली जनपद की ऊंचाहार तहसील क्षेत्र के बरसंवा मजरे कंदरावा गांव का है। गांव निवासी मनोज कुमार पुत्र छेदी लाल ने बताया कि उनकी जमीन गाटा संख्या 4021, 4022, 4023 पर गांव के दबंग भूमाफिया ने लेखपाल कानूनगो की मिलीभगत से उसे करीब 12 वर्षों से परेशान किया जा रहा है। इसके साथ ही धारा 41 के मुकदमे में 12 साल से बेवजह से पीड़ित को फसाया गया है। पीड़ित को भूू माफिया तहसील और कमिस्नरी कोर्ट कचहरी के चक्कर लगवा रहे हैं।
पीड़ित द्वारा बताया गया कि हल्का लेखपाल अधिकारियों और शासन को अपनी रिपोर्ट गलत ढंग से पेश करके भूमाफिया को कानूनी कार्यवाही से बचा रहा है। वहीं सरकार के निर्देश पर प्रशासन गांव-गांव में सुशासन सप्ताह की बैठक करके लोगों की समस्याओं को जानने का प्रयास कर रहा है , साथ यह भी बताया जा रहा है कि सुशासन का मतलब बिना कुछ लेन देन के तय समयसीमा में जनता को लाभ दिलाया जाए। लेकिन जब तहसील प्रशासन जनता की समस्याओं का कारण बनकर खड़ा हुआ तो इसका निवारण कैसे होगा.?
Home » मुख्य समाचार » यह कैसा सुशासन! 12 वर्षों से स्वयं की भूमि पर कब्जा पाने को भूमाफिया से कानूनी लड़ाई लड़ रहा ग्रामीण