⇒हुरंगा देखने को देश विदेश से पहुंचे लोग, अद्भुत था नजारा
मथुरा। बृज के राजा बलदाऊ की नगरी बलदेव में हजारों लोग अलौकिक हुरंगे का साक्षी बने। बलदेव के मुख्य दाऊजी मंदिर प्रांगण में खेले गये इस हुरंगे में हुरियारिनें हुरियारों के कपडे फाड़कर उसके कोड़ा बनाती हैं और हुरियारों पर कोडों की प्यार भरी मार मारती हैं। इस बीच प्यार भरी तीखी नोक झोंक भी होतो है। हुरंगे को कपड़ा फाड़ होली भी कहा जाता है। इस अद्भुत होली को देखने के लिए देश विदेश से हजारों श्रद्धालु दाऊजी पहुंचे। बृज में होने वाले 40 दिन के होली उत्सव के दौरान बृज के राजा बलदाऊ जी की नगरी बलदेव में हुरंगे का आयोजन किया गया। मंदिर प्रांगण में खेली जाने वाली इस होली का यहां व्यापक रूप देखने को मिलने की वजह से इसे हुरंगा कहा जाता है, इस होली की परम्परा ये रही है कि इसमें महिलाएं और पुरुष ही शामिल होते हैं। सबसे पहले मंदिर प्रांगण में इकठ्ठा हुई हुरियारिन और हुरियारों ने बलदाऊ जी के मुख्य भवन की परिक्रमा की। जैसे ही मंदिर के मुख्य भवन के अन्दर से ऊंची केसरिया झंडी बाहर प्रांगण में आई यहां मौजूद हुरियारिनों ने हुरियारों के कपड़े फाड़ना शुरू कर दिया। इसके बाद इन कपड़ों को टेसू के फूलों से बने रंगों में भिगोकर हुरियारों पर बरसाना शुरू कर दिया। अपना बचाव करने के लिये हुरियारे बाल्टी में रंग भरकर हुरियारिनों के ऊपर डालते रहे। हुरंगे के दौरान हुरियारे इतने उत्साहित हो जाते हैं कि वह कभी अपने साथियों को कंधे पर बिठा लेते है और कभी उन्हें गिरा देते है। इस दौरान लगातार कपड़े के बनाये हुए कोड़े से हुरियारिन इन ग्वालों पर वार करती रहती हैं। इसे देखकर यहां आने वाले देशी विदेशी पर्यटक भाव विभोर हुए बिना नहीं रह पाते।