सर्दियों में हार्ट अटैक ज्यादा होते हैं क्योंकि ठंड में शरीर को गर्म रखने के लिए हृदय को दुगनी मेहनत करनी पड़ती है। सर्दियों में रक्त की कोशिकाएं सिकुड़ जाती हैं। इससे हृदय सुचारू रूप से काम करने में ज्यादा दबाव और दिक्कत का सामना करता है जिससे सर्दियों में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इस समय भारत के उत्तरी हिस्से में शीत लहर चल रही है जिसकी वजह से ठंड ज्यादा पड़ रही है और तापमान में तेजी से गिरावट हो रही है। हृदय के रोगियों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है, अस्पतालों में इतना बेड नहीं है जितनी तेजी से मरीज बढ़ रहे हैं और बहुत दुख की बात है कि बहुत सारे हृदय रोगी अस्पताल ले जाने से पहले ही रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। ठंड की वजह से रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं ब्लड फ्लो में अधिक दबाव की आवश्यकता होती है और हृदय की मांसपेशियों में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलता, जिससे रक्त के थक्के बनाने लगते हैं जिससे हार्टअटैक तेजी से बढ़ता है।
आइए अब जान लेते हैं किन लोगों को सर्दियों में अपना खास ख्याल रखने की जरूरत है पहले के समय में हार्टअटैक 40 की उम्र के बाद लोगों को आता था पर आज के समय में हृदयघात आना एक 25 साल के युवक से लेकर 80 साल के वर्षों में किसी भी उम्र में पाया जा सकता है, क्योंकि प्रदूषण, तनाव और हमारी जीवन शैली बिल्कुल बदल गई है।
स्वास्थ्य
90 प्रतिशत मरीज गलत तरीके से लेते हैं इन्हेलर : डॉ. सलिल भार्गव
इन्हेलर दवाई लेने का वह उपकरण है जिससे वाष्पीकृत दवा मुँह से ले जाती है और जो स्वांस नलिका में जाकर एक सेकेन्ड के अन्दर अपना कार्य संपादित करने लगती है तथा मरीज को त्वरित लाभान्वित करती है। इन्हेलर उपकरण से स्वांस, दमा, सर्दी, ब्रोंकाइटिस, सीओपीडी आदि के रोगियों को दवा लेने की सलाह दी जाती है। लेकिन यह जानकर आश्चर्य होगा कि 90 प्रतिशत लोग इन्हेलर गलत तरीके से लेते हैं। जब दवा ही ठीक से नहीं ली जायेगी तो मरीज ठीक कैसे होगा ? किसी से भी डॉक्टर पूछता है कि वह इन्हेलर लेना जानता है, प्रथमतः वह कह देता है- हाँ, जानते हैं। प्रायःकर लोगों ने फिल्मों में देखा होता है, किसी दमा की मरीज महिला से जबरन नृत्य करवाया जाता है, उसकी स्वांस फूलने लगती है, वह इन्हेलर निकालती है तो उससे वह छीन लिया जाता है या निकट कहीं रखा होता है, तो उसे लेने नहीं दिया जाता। तंग करने के उपरांत जब उसके प्राणों पर बन आती है तब उसे इन्हेलर लेने देते हैं। इन दृश्यों को देखकर लोग समझते हैं, केवल इन्हीं आपात स्थितियों में ही इन्हेलर लिया जाता है, जबकि संबंधित रोगियों को इन्हेलर लेना एक नियमित दवा है।
Read More »पैदल चलिए, मोटापा घटाएं
बदन का भारी होना, मोटापा, भोजन का ठीक से एवं समय से न पचना तथा कब्ज की षिकायत का आए दिन बने रहना, खट्टी डकारें, छाती की जलन, गैस, थकान एवं बदन के जोड़-जोड में दर्द और अकड़न का रहना इन तमाम षिकायतों का एक ही सटीक इलाज है- घूमना यानी पैदल चलना। आज जब इंसान भौतिक सुख-सुविधाओं की लिप्सा एवं दौड़भाग में पड़ा है, उसके पास वक्त की निहायत कमी हो गई है। जरा भी कहीं चार कदम भी चलना पड़ता है, तो वह गाड़ी, स्कूटर की जरुरत महसूस करता है।
Read More »एलोवेरा में बड़े-बड़े गुण
यह ‘कुमारी’ हमारे आपके सबके परिचय की है। इसे ही कन्या, घृतकुमारी, घीकुआर, ग्वारपाठा, स्थूलदला या ‘एलोएवेरा’ कहते हैं।
कुमारी के बाहर के पत्तों के सूखने पर भी इसके भीतर से नए पल्लव़ आते रहते हैं। यह हमेशा ताजी रहती है, इसलिए इसे कुमारी कहते हैं। हम इसे अपने घर में भी लगा सकते हैं। यदि वनस्पति जड़ के साथ घर में लटका दी जाए फिर भी काफी दिनों तक ताजी रहती है। यह इसकी विशेषता है। इसका पेड़ छोटा होता है, पत्ते लंबे, रसपूर्ण और किनारे से कांटेदार होते हैं। पुराना हो जाने पर इस पेड़ के मध्य से एक डंडी निकलती है और उस पर काले रंग के फूलों का गुच्छा आ जाता है।
घृतकुमारी स्वाद में बहुत कड़वी होती है परंतु शरीर पर इसका षीत प्रभाव पड़ता है।
प्रतिवर्ष 70 लाख लोगों की जान ले रहा है वायु प्रदूषण – योगेश कुमार गोयल
स्विस संगठन ‘आईक्यू एयर’ द्वारा हाल ही में 2021 की ‘वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट’ जारी की गई है, जिसमें दुनियाभर के कुल 117 देशों के 6475 शहरों के डेटा का विश्लेषण करने के बाद यह निष्कर्ष सामने आया है कि विश्व का कोई भी शहर ऐसा नहीं है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित किए गए मानकों पर खरा उतरता हो। डब्ल्यूएचओ की यूएन एनवायरमेंट प्रोटेक्शन एजेंसी द्वारा इस रिपोर्ट के आधार पर विश्वभर के शहरों की एयर क्वालिटी की जो रैंकिंग जारी की गई है, उसके मुताबिक वायु प्रदूषण के मामले में भारत की स्थिति तो बेहद खराब है। इस रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित देशों में भारत छठे स्थान पर है लेकिन चौंकाने वाली स्थिति यह है कि प्रदूषण पर लगाम लगाने की तमाम कवायदों के बावजूद देश की राजधानी दिल्ली फिर से दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी के रूप में सामने आई है।
Read More »मेडिटेशन से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाइए
अगर यह बात पौराणिक संदर्भ में कही जाती तो शायद यकीन नहीं होता, लेकिन अब विज्ञान भी मानने लगा है कि ध्यान से एक अदृश्य कवच जैसा बनता है। उस माहौल में वह कवच शरीर के आस-पास छाए संक्रमणों से बचाता है। हॉवर्ड विश्वविद्यालय में कार्डियो फैकल्टी में शोध निर्देशक डॉ. हर्बर्ट वेनसन का कहना है कि नियमपूर्वक 20 मिनट प्रतिदिन ध्यान (मेडिटेशन) किया जाए, तो शरीर में ऐसे बदलाव आने लगते हैं कि वह रोग और तनाव के आक्रमणों का मुकाबला करने लगता है। इसके लिए अलग से चिकित्सकीय सावधानी बरतनी पड़ती।
Read More »शीतकाल में सर्दी-जुकाम
इस ऋतु में आमतौर से होने वाले रोगों में से खांसी-जुकाम या सर्दी एक साधारण रोग होता है। वैसे तो सर्दी या खांसी-जुकाम कभी भी और किसी भी कारण से हो सकता है लेकिन शीतकाल में शीत प्रकृति के लोगों को यह रोग प्रायः हो जाता है।
कारणः- आयुर्वेद के मतानुसार खांसी-जुकाम होने का दो प्रधान कारण बताया गया है। एक शरीर में एकत्र होने वाले विजातीय तत्वों का प्रभाव तथा दूसरा अपचपूर्ण आहार-विहार का सेवन माना गया है। पूर्वसंचित विजातीय विकार, कब्ज, श्वास-रोग, टांसिल बढ़ना, शारीरिक कमजोरी आदि कारणों से कितना भी सावधानी रखने पर बार-बार सर्दी- जुकाम हो जाता है।
शाकाहार क्यों?
कुछ लोग के मन में हमेशा एक द्वंद होता रहता हैं कि क्या खाया जाए, शाकाहार या मांसाहर इनका हल ये पढ़ने के बाद अपने आप समझ आ जायेगा। ग्लोबल शाकाहार दिन के उपलक्ष में ये तथ्य समझना जरूरी हैं।
मांसाहारी कभी कभी शाकाहारी लोगो को घासफूस खाने वाला कहते हैं, उसके विपरीत शाकाहारी लोग मांसाहारी लोगो को प्राणियों के प्रति क्रूर कहते हैं। लेकिन सब को अपने आहार का चयन करने का हक हैं लेकिन शाकाहार के फायदों को जानना भी आवश्यक हैं। दुनिया की 740 करोड़ की जनसंख्या में 50 करोड़ लोग ही पूरी तरह से शाकाहारी हैं ऐसा फ्रेंड्स ऑफ अर्थ संस्था का कहना हैं।संस्था के मुताबिक शाकाहारियों को अल्प संख्यक कह सकते हैं। इसी संस्था के मुताबिक 2014 में किए गए मीट एटलस की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सबसे ज्यादा शाकाहारी बसते हैं। भारत में 31% लोग शाकाहारी हैं। अमेरिका की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के नए रिसर्च के मुताबिक अगर शाकाहार को बढ़ावा मिले तो धरती को ज्यादा स्वस्थ, ज्यादा ठंडा और ज्यादा दौलतमंद बनाया जा सकता हैं।
उबटन से त्वचा की रक्षा
उबटन लगाने से किसी प्रकार का चर्मरोग नहीं होता तथा त्वचा स्वच्छ, कोमल और स्निग्ध बनी रहती है। उबटन का प्रयोग हर मौसम में किया जा सकता है। मगर सर्दी के मौसम में उबटन लगाने से त्वचा रुखी नहीं होती है, फटती नहीं, शरीर निरोगी और कांतिमय रहता है।
उबटन में महीन पिसी सरसों, चिरौंजी, पिस्ता, मूंग, हल्दी, बेसन, जौ का आटा आदि का उपयोग किया जाता है। उबटन के लिए इनका चूर्ण लेकर पानी में घोल तैयार कर शरीर पर मालिश करनी चाहिए। इसके बाद सरसों का तेल लगाकर छुड़ा लें और स्नान कर लें।
सेहत के रखवाले हैं लाल फल-सब्जियां
सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं फल-सब्जियां, पर अगर इनका रंग हो लाल तो बढ़ जाता है कमाल-
टमाटर
अगर लाल रंग के पोषक तत्व की बात की जाए तो वह है लाइकोपीन। टमाटर में यह सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है। प्रोस्टेट कैंसर को रोकने के साथ ही लाइकोपीन विभिन्न प्रकार के कैंसर के खतरे को भी कम करता है। इसमें पाए जाने वाले कई तरह के मिनरल्स, विटामिन ए, सी और के इम्यून सिस्टम, स्किन प्रॉब्लम और आंखों को दुरुस्त रखने में मदद करते हैं। इसमें कॉपर, फॉलेट, पोटैषियम जैसे लाभकारी तत्व भी पाए जाते हैं, जो हड्डियों को मजबूत करने और धमनियों की सुरक्षा के साथ ही ब्लड शुगर को भी संतुलित रखने के लिए जरूरी होते हैं।