कुछ लोग के मन में हमेशा एक द्वंद होता रहता हैं कि क्या खाया जाए, शाकाहार या मांसाहर इनका हल ये पढ़ने के बाद अपने आप समझ आ जायेगा। ग्लोबल शाकाहार दिन के उपलक्ष में ये तथ्य समझना जरूरी हैं।
मांसाहारी कभी कभी शाकाहारी लोगो को घासफूस खाने वाला कहते हैं, उसके विपरीत शाकाहारी लोग मांसाहारी लोगो को प्राणियों के प्रति क्रूर कहते हैं। लेकिन सब को अपने आहार का चयन करने का हक हैं लेकिन शाकाहार के फायदों को जानना भी आवश्यक हैं। दुनिया की 740 करोड़ की जनसंख्या में 50 करोड़ लोग ही पूरी तरह से शाकाहारी हैं ऐसा फ्रेंड्स ऑफ अर्थ संस्था का कहना हैं।संस्था के मुताबिक शाकाहारियों को अल्प संख्यक कह सकते हैं। इसी संस्था के मुताबिक 2014 में किए गए मीट एटलस की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सबसे ज्यादा शाकाहारी बसते हैं। भारत में 31% लोग शाकाहारी हैं। अमेरिका की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के नए रिसर्च के मुताबिक अगर शाकाहार को बढ़ावा मिले तो धरती को ज्यादा स्वस्थ, ज्यादा ठंडा और ज्यादा दौलतमंद बनाया जा सकता हैं।
स्वास्थ्य
उबटन से त्वचा की रक्षा
उबटन लगाने से किसी प्रकार का चर्मरोग नहीं होता तथा त्वचा स्वच्छ, कोमल और स्निग्ध बनी रहती है। उबटन का प्रयोग हर मौसम में किया जा सकता है। मगर सर्दी के मौसम में उबटन लगाने से त्वचा रुखी नहीं होती है, फटती नहीं, शरीर निरोगी और कांतिमय रहता है।
उबटन में महीन पिसी सरसों, चिरौंजी, पिस्ता, मूंग, हल्दी, बेसन, जौ का आटा आदि का उपयोग किया जाता है। उबटन के लिए इनका चूर्ण लेकर पानी में घोल तैयार कर शरीर पर मालिश करनी चाहिए। इसके बाद सरसों का तेल लगाकर छुड़ा लें और स्नान कर लें।
सेहत के रखवाले हैं लाल फल-सब्जियां
सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं फल-सब्जियां, पर अगर इनका रंग हो लाल तो बढ़ जाता है कमाल-
टमाटर
अगर लाल रंग के पोषक तत्व की बात की जाए तो वह है लाइकोपीन। टमाटर में यह सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है। प्रोस्टेट कैंसर को रोकने के साथ ही लाइकोपीन विभिन्न प्रकार के कैंसर के खतरे को भी कम करता है। इसमें पाए जाने वाले कई तरह के मिनरल्स, विटामिन ए, सी और के इम्यून सिस्टम, स्किन प्रॉब्लम और आंखों को दुरुस्त रखने में मदद करते हैं। इसमें कॉपर, फॉलेट, पोटैषियम जैसे लाभकारी तत्व भी पाए जाते हैं, जो हड्डियों को मजबूत करने और धमनियों की सुरक्षा के साथ ही ब्लड शुगर को भी संतुलित रखने के लिए जरूरी होते हैं।
चिंताजनक है डेंगू का बढ़ता प्रकोप
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के प्रकोप से हम अभी तक उबरे भी नहीं हैं और विशेषज्ञ कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को लेकर भी बार-बार चेता रहे हैं, ऐसे विकट दौर में डेंगू ने जो कोहराम मचाना शुरू किया है, उससे चिंता बढ़ने लगी है। इन दिनों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित देश के कई राज्यों के अनेक इलाके डेंगू और वायरल बुखार के कोप से त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। डेंगू के एक नए प्रतिरूप ने तो स्वास्थ्य तंत्र के समक्ष एक नई और गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। डेंगू नामक बीमारी कितनी भयावह हो सकती है, उसका अनुमान इसी पहलू से आसानी से लगाया जा सकता है कि समय से उपचार नहीं मिलने के कारण डेंगू पीडि़त व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। बीते दिनों देश के विभिन्न राज्यों और विशेषकर उत्तर प्रदेश में डेंगू से पीडि़त हुए कई मरीजों की मौत के आंकड़े इसकी पुष्टि भी करते हैं।
पोषण प्रबंधन से नियंत्रित होगा मोटापा और डायबिटीज
न्यूट्रोबोलिज्म पर प्रथम अंतरराष्ट्रीय सेमिनार संपन्न
मुम्बई। मोटापे और डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए कुशल पोषण प्रबंधन ही कारगर उपाय है। उचित पोषण के माध्यम से सेहतमंद रहने के तरीके को बढ़ावा देने और मोटापे व डायबिटीज के बढ़ते रोग को रोकने संबंधी विषयों पर एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार यहाँ मुंबई में पवई स्थित रेनासंस होटल में संपन्न हुआ। सुप्रसिद्ध न्यूट्रोबाॅलिस्ट डॉ शशांक शाह और एलओसी की पहल पर आयोजित यह प्रथम न्यूट्रीबोलिज्म इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑनलाइन हुई। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे सहित देश-विदेश से अनेक पोषण विशेषज्ञों ने इसमें अपनी महत्वपूर्ण विचार पेश किए।
अनेक रोगों की जड़ है कब्ज
अर्वाचीन मानव जाने-अनजाने प्रकृति से विमुख होता जा रहा है। अशुद्ध आहार, प्रकृति से संघर्ष एवं अप्राकृतिक जीवन के कारण मनुष्य नाना प्रकार के रोगों का शिकार बन रहा है। इन्हीं रोगों में एक है ‘कब्जियत’ जिसने लगभग 70 प्रतिषत लोगों को चंगुल में फंसा रखा है।
प्राचीन चिकित्साविदो से लेकर आधुनिक चिकित्साशास्त्रियों तक ने एक स्वर में इस तथ्य को स्वीकार किया है कि ‘पेट मानव का भंडार घर है और कब्ज रोगों की जड़’। साधारण समझा जाने वाला यह मर्ज वाकई बहुत नुकसानदेह है। कब्ज के कारण अल्सर, बवासीर, यकृतदोष, पेटदर्द, सिरदर्द, घबराहट, अजीर्ण आदि अनेक रोगों के होने की आशंका बढ़ जाती है। कब्ज की बीमारी में स्वाभाविक ढंग से मल साफ नहीं होता है और इसका बुरा प्रभाव यकृत और आंतों पर सबसे पहले पड़ता है।
संतुलित खानपान और जीवनशैली से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं
कभी-कभी बीमार होना सामान्य बात है, पर कई लोग ऐसे होते हैं जो अक्सर ही बीमार रहते हैं। ऐसा या तो रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से होता है या उन्हें एलर्जी की शिकायत होती है। लेकिन बार-बार बीमार पड़ना न केवल हमारे शरीर बल्कि हमारे दिमाग को भी प्रभावित करता है। इससे व्यक्ति धीरे-धीरे कमजोर और चिड़चिड़ा हो जाता है। संक्रामक तो वजह है ही मौसम बदलने और एलर्जी की वजह से भी लोग बीमार पड़ते हैं, पर कुछ लोग इन सब चीजों से दूसरों की अपेक्षा ज्यादा प्रभावित होते हैं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से होता है।
CHC के समानांतर चल रही क्लीनिक के आरोपी को 3 दिन की मिली मोहलत
कारनामा वायरल होने के बाद जागा स्वास्थ विभाग, क्लीनिक पर चस्पा हुई नोटिस
रायबरेली, पवन कुमार गुप्ता। सड़क के किनारे सीएचसी के समानांतर दूसरे के नाम की डिग्री बोर्ड पर लिखकर इलाज का व्यवसाय करने वाले झोलाछाप के विरुद्ध आखिरकार स्वास्थ विभाग की नींद टूट गई है। शनिवार को सीएचसी अधीक्षक ने झोलाछाप की दुकान पर नोटिस चस्पा कर तीन दिन के अंदर जवाब अभिलेख तलब किया है।
मामला रोहनियां सीएचसी के पास हनुमानगंज पुल के पास चल रही एक दवा की दुकान का है। कई वर्षों से यहां पर एक झोलाछाप सीएचसी के समानांतर अस्पताल चला रहा था।
नींबू ! तुझमें अपार गुण
नींबू भारतवर्ष में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। यह भारत में सर्वत्र पाया जाता है तथा फलाहार योग्य न होने पर भी फलों में सर्वाधिक उपयोगी है। इसके तने की लम्बाई 5-7 फुट होती है। औषधीय उपयोग के अतिरिक्त इसका उपयोग अचार, सलाद और स्क्वैष आदि बनाने में किया जाता है। बरसात और ग्रीष्म ऋतु में नींबू का उपयोग लाभदायक होता है। विविध व्याधियों, व्यंजन और सफाई में उपयोगी होने के कारण प्रत्येक घर में इसकी उपस्थिति अनिवार्य प्राय हो गई है।
दुनिया को भारत की सौगात, एम-योगा ऐप से अलग-अलग भाषाओं में होगा योग का प्रसार
सातवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2021 की थीम, मानव तंदुरुस्ती और कल्याण के लिए योग – भारत के लिए सौभाग्य की बात – एड किशन भावनानी
वैश्विक महामारी कोविड-19 के बीच 21 जून 2021 को योग दिवस को पूरे विश्व में बहुत उत्तेजना, उत्साह खुशी और एक स्वास्थ्य डोज़ के रूप में मनाकर दिखा दिया कि स्वस्थ्य जीवन के लिए योग का कितना महत्व है। भारत के पीएम ने भी कहाहै कि वैश्विक महामारी के दौरान दुनिया के लिए, योग एक उम्मीद की किरण और इस मुश्किल समय में आत्मबल का स्त्रोत बना रहा और योग हमें तनाव से शक्ति का और नकारात्मकता से रचनात्मकता का रास्ता दिखाता है। चिकित्सा विज्ञान जितना उपचार पर ध्यान केन्द्रित करता है, उतना व्यक्ति को निरोगी बनाने पर भी करता है और योग ने लोगों को स्वस्थ बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।