Saturday, May 18, 2024
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मनोरंजन

‘वीरे’ और ‘गीत’ के बीच परदे से अलग भी अद्भुत रिश्ता

पारिवारिक मनोरंजक फिल्म वीरे की वेडिंग का हाल ही में ट्रेलर लांच होने के साथ ही फिल्म के लीड एक्टर पुलकित सम्राट (वीरे) और कीर्ति खरबंदा (गीत) ने दर्शकों को अपनी आॅनस्क्रीन केमिस्ट्री की झलक दिखा दी है। निर्विवाद रूप से दोनों के बीच आश्चर्यजनक समीकरण हैं। न केवल स्क्रीन पर, बल्कि स्क्रीन से अलग भी दोनों के बीच अच्छी केमिस्ट्री है। जबकि, वे वीरे की वेडिंग में पहली बार एक दूसरे के सामने दिखाई देंगे।
दर्शकों को दोनों से पहले से ही प्यार है और फिल्म में उन्हें एक साथ देखने का उत्सुकता से इंतजार किया जा रहा है।
इन अभिनेताओं के मुताबिक, उनके प्यार का पहला बंधन तो फिल्म के सेट पर खाने के दौरान ही बन गया। सच्चे पंजाबी एक्टर होने के नाते खाना तो उनके जुनून का हिस्सा है और हमेशा ही शाॅट्स के बीच-बीच में जब समय मिलता है वे शानदार नाश्ता साझा करते रहे हैं! वे एक दूसरे को अच्छी तरह समझते हैं और स्क्रीन से अलग भी यही संबंध बना है।
कीर्ति और पुलकित दोनों का कहना है कि उन्होंने फिल्म इसलिए साइन की, क्योंकि उन्हें एक-दूसरे के साथ काम करने का मौका मिल रहा था। उन्होंने यह भी कहा है कि भविष्य में भी मौका मिला तो वे एक-दूसरे के साथ काम करने के लिए उत्साहित होंगे।

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‘मंत्रीजी का बयान’ की रिलीजिंग डेट आई सामने

एम. टी. डी. मीडिया वर्क्स के बैनर तले नवनिर्मित हिंदी शॉर्ट फिल्म ‘मंत्री जी का बयान’ की रिलीजिंग डेट आ चुकी है। इस शॉर्ट फिल्म का पोस्ट प्रोडक्शन रेनवॉज के सौजन्य से सम्पन्न हुआ है। आपको बता दें कि 25 फरवरी, दिन रविवार को यूट्यूव चैनल एम. टी. डी. मीडिया वकर््स पर रिलीज किया जायेगा। इसके बाद कई साईट्स व केबिल चैनलों पर भी इस शॉर्ट फिल्म को प्रदर्शित किये जाने का प्रस्ताव है।
आपको बतादें कि शॉर्ट फिल्म – ‘मंत्री जी का बयान’ एक संदेशात्मक फिल्म है। कहानी लघु है परन्तु संदेश राष्ट्रहित में है, किस तरह राजनीति अपने उलटते-पुलटते बयानों से आम जनमानस को बेवकूफ बना देती है। राजनीति का आश्रय लेकर ढोंगी बाबा बड़े-बड़े सम्मान – पुरस्कार हथिया लेते हैं और राजनीति को बदले में मिलते हैं भक्तों के वोट। परन्तु जब बाबाओं की काली करतूतें सामने खुलकर आती हैं तो इसके तार कहीं न कहीं राजनेताओं से जुड़े होते हैं। किन्तु अपने आकर्षक बयानों से राजनेता दूध के धुले ही बने रहते हैं, तो देखिए होली के इस पावन पर्व पर शॉर्ट फिल्म – ‘मंत्री जी का बयान’।

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कलाकारों का अब नहीं होगा शोषण- नुपुर अलंकार

देश के दूर-दराज के गांवों, कस्बों व शहरों से लड़के-लड़कियां फिल्मी दुनिया में भविष्य के सुनहरे सपने लेकर आते हैं, लेकिन यहां आकर वो सब एक ऐसे भंवर में फंस जाते हैं जिससे उनका जीवन धीरे-धीरे दर्द भरा हो जाता है। काम के नाम पर निर्माता उनका इतना अधिक शोषण करते हैं कि कम पैसों पर अधिक से अधिक काम लिया जाता है। जिस कारण एक्टर्स भिन्न-भिन्न बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। मनोरंज की दुनिया में जनता उनके एक सुखमय जीवन की सोच रखती है, लेकिन क्या हम जानते हैं कि पर्दे के पीछे रियल लाइफ में उनका जीवन किन परेशानियों से भरा पड़ा है।
इंडस्ट्री में एक्टर्स के हित में काम करने वाली संस्था ‘’सिने एण्ड टीवी आर्टिस्टएसोसिएशन’’ (सिंटा) ने इनकी समस्याओं को लेकर अब बहुत ही गंभीर हो गयी है। जिसके के परिणाम स्वरूप मायानगरी में रह रहे कलाकरों को तनाव व जटिलताओं से मुक्त जीवन जीने में मदद करने के लिए संस्था विभिन्न प्रकार की वर्कशॉप का आयोजन कर रही है। सिंटा की ऐसी कुछ योजनाओं के बारे हमको जानकारी दे रही हैं इस संगठन की एक्टिव मेम्बर नुपुर अलंकार। जोकि टीवी और फिल्म की दुनिया में काम करने वाले और यहां आने वाले लोगों के लिए बहुत ही लाभकारी साबित होगी। तो आगे पढ़ते हैं उनके द्वारा दी गयी उपयोगी बातों को-
किसी भी शूटिंग के सेट पर जाने के लिए लगभग 2.30 से 3 घंटे का समय कलाकारों को लगता है। चूंकि यहां जो कलाकार काम करने के लिए आते हैं उनके अंदर जोश और जुनून कूट-कूट कर भरा होता है। इनकी आयु भी 20 से 25 वर्ष की होती है। जिसका गलत फायदा उठाते हुए निर्माता उनसे इतना अधिक काम लेते हैं कि धीरे-धीरे उनकी तबियत खराब होने लगती है, बीमार होने पर उनको हटा कर दूसरे कलाकार को ले लिया जाता है। जो एक्टर्स बहुत दिनों से इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं उन सब की सेहत में गलत प्रभाव पड़ रहा है। हमसे पहले जो भी लोग सिंटा कि कमेटी में रहे है उन्होंने एक्टर्स की ऐसी समस्याओं के लिए कोई भी सशक्त कदम नहीं उठाए। जिस कारण ऐसी समस्याएं दिन पर दिन विकराल होती चली गयीं। इसी का एक ज्वलंत उदाहरण है टीवी सीरियल ऐसी दिवानगी देखी नहीं कहीं के सेट पर अभिनेत्री ज्योति शर्मा चार बार मुर्छित हुयी, तो मुझे सेट पर जा कर उसकी मदद करनी पड़ी। वहीं अभिनेता प्रनव मिश्रा को टांग में सूजन व दर्द होने के बावजूद 4 माह तक छुट्टी नहीं दी गयी। जिस कारण काम के भीषण दबाव व तनवा के चलते दोनों ने खुद को इस सीरियल से अलग कर लिया। इसन दोनों से 18 से 20 घंटे का काम लिया जा रहा था। ऐसा सिर्फ इन दोनों एक्टर्स के साथ ही नहीं हो रहा है इस पंक्ति में ऐसे बहुत से एक्टर्स शामिल हैं। लेकिन अब सिने एण्ड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन (सिंटा) की केअर कमेटी ऐसे मामलों में एक्टर्स की मदद करने का बीड़ा है। सिंटा अब एक्टर्स का शोषण नहीं होने देगा। जिसके लिए ऐसे एक्टर्स की काउंसलिंग की जाएगी, उनको यह बताया जाएगा कि ओवर वर्क करने से उनको आगे क्या बीमारियां होने वाली है जिसके चलते उनको काम भी नहीं मिलेगा। 

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बाइक चलाना सीख रहीं हैं श्वेता भट्टाचार्या

मोटरसाइकिल चलाना आजकल एक ऐसा स्टाइल स्टेटमेंट बन गया है कि महिला कलाकारों ने भी बाइक चलाना शुरू कर दिया है। कुछ अभिनेत्रियाँ अपनी स्क्रिप्ट की मांग से इतर भी बाइक चलाना सीखने को लेकर जुनूनी हैं। ऐसी ही एक साहसी अभिनेत्री हैं श्वेता भट्टाचार्या जो शो ‘जय कन्हैया लाल की’ में डाॅली की भूमिका निभा रहीं हैं। हाल ही में, ऐसी खबर थी कि श्वेता ‘जय कन्हैया लाल की’ के सेट पर अपने को-स्टार विशाल वशिष्ठ से हिंदी सीख रहीं हैं। श्वेता हमेशा नई चीजें सीखने में खुद को व्यस्त रखती हैं। उसकी इस सूची का नवीनतम शगल बाइक चलाना है। श्वेता बेसब्री से बाइक चलाना सीख रही हैं। बाइक चलाने के बारे में कोई जानकारी नहीं होने के कारण श्वेता ने कोशिश करने का फैसला किया और अभी तक सफल रही हैं।
इस बारे में बताते हुए श्वेता कहती हैं, “मुझे हमेशा से बाइक चलाने में डर लगता था। मेरा एक दोस्त बाइक चलाना सीखाने में मेरी मदद कर रहा है। मैंने सोचती थी कि बाइक खतरनाक स्पीड मशीन है लेकिन मैंने बाइक चलाना सीखकर अपना डर दूर करने का फैसला किया। बाइक चलाना आसान नहीं है। इसके लिए कड़ी मेहनत और समर्पण की जरूरत है।

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काल भैरव रहस्य की एक्ट्रेस सरगुन कौर को पसंद है पेंटिंग

स्टार भारत की मिस्ट्री थ्रिलर ‘काल भैरव रहस्य’ ने अपनी रोमांचक कहानी से दर्शकों को बांध रखा है। एक्टिंग के अलावा शो के कुछ कलाकारों की छिपी हुई प्रतिभाएं उनके खाली समय में सामने आती रहतीं हैं। ऐसी ही एक एक्टर सरगुन कौर हैं जो न केवल खूबसूरत हैं बल्कि चित्रकार भी हैं। उन्हें पेंटिंग पसंद है। शूटिंग से मिले खाली समय में वह पेंटिंग करना उनका शगल है।
पेंटिंग से अपने लगाव के बारे में सरगुन कहती हैं, “मुझे आर्ट पसंद है। कला हमारे जीवन में रंग भरती है, कल्पनाशील बनाती है और हमें ऐसी दुनिया प्रदान करती है जिसमें उड़ान भर सकते हैं. जब मैं पेंटिंग कर रही होती हूँ तब मुझे अंदर और बाहर शांति की अनुभूति होती है। मेरे लिए पेंटिंग एक जीवित भाषा है जो एहसास और भावनाओं को अभिव्यक्त करती है। मैं कोई महान चित्रकार नहीं हूँ लेकिन जो भी मैं पेंट करती करती हूँ वह सीधे मेरे दिल से आता है। दिल्ली में मेरे माता-पिता मेरी पेंटिंग की प्रदर्शनी लगाते हैं। आपको अपने जुनून को जिंदा रखना जरूरी है।

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कभी देखा है पर्दे पर ऐसा रंगीला डॉन?

डॉन या गैंगस्टर… सिल्वर स्क्रीन पर ये किरदार बहुत पुराने हैं दर्शकों का खूब मनोरंजन किया है मगर समय के अनुसार ये किरदार और इनके स्वरूप बदलते रहे। 70 के दशक में डॉन खूब छाए पर्दे पर। अगर किसी खलनायक ने डॉन की भूमिका निभाई तो वो किरदार अक्सर नेगेटिव होते थे जहां खून खराबे, स्मगलिंग, महिलाओं की तस्करी वगैरह करता था वो गैंगस्टर लेकिन अगर जब कोई हीरो पर्दे पर डॉन बनता था तब वो या तो जुल्म से सताए जाने के बाद डॉन बनता था या फिर गरीबी से तंग आकर गैंगस्टर बनता था हालांकि वो भी खतरों से खेलता था और ड्रनग्स या सोने की तस्करी करता था। डॉन का लुक और अंदाज भी निराले हुवा करते थे।
मगर मिलेनियम आने के बाद फिल्मों का रुख हुवा कॉमेडी की तरफ लेहाजा इन कॉमेडी फिल्मों में अगर कोई डॉन बना तो वो भी कॉमिक डॉन बन गया। डेविड धवन की कई फिल्मों में आशीष विद्यार्थी कॉमिक गैंगस्टर बने। सलमान खान की फिल्म पार्टनर में राजपाल यादव छोटा डॉन बने थे और खूब मनोरंजन किया था दर्शकों का। पिछले साल आई फिल्म मुन्ना माइकल में नवाजुद्दीन सिद्दीकी गैंगस्टर बने थे। ये गैंगस्टर एक लड़की के प्यार में डांस सीखने के पीछे पागल था ताकि वो उस लड़की पर अपना प्रभाव छोड़ सके।

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‘नित खैर मांगा’ आज रिलीज हुआ

लखनऊ हमेशा सांस्कृतिक रूप से समृद्ध रहा है और इसकी सुंदरता रेड के अगले मधुर ट्रैक नित खैर मांगा की धुनों में घुली-मिली हैं, जो ख्यात गायक नुसरत फतेह अली खान के गीतों का पुनः संस्करण है। कई प्रमुख फिल्मे इस प्रतिष्ठित शहर में फिल्माई गईं हैं लेकिन बहुत कम फिल्म निर्माताओं ने लखनऊ की वास्तविक खासियत का प्रदर्शन किया है। निर्देशक राजकुमार गुप्ता ने गीतों के सौंदर्य चित्रण के साथ लखनऊ की सुंदरता और खासियत को वास्तव में बढ़ाया है। यह रोमांटिक ट्रैक अजय देवगन पर चित्रित किया गया है।

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चर्चा मेंः अमृत सिन्हा की फिल्म ‘‘फैरस’’

बिहार के छोटे से शहर सहरसा का एक लड़का इन दिनों मुंबई की माया नगरी में फिल्म निर्देशन के जरिए अपनी धाक जमा रहा है जिसका नाम है अमृत सिन्हा। अमृत सिन्हा ने रंगमंच के द्वारा फिल्मों का सफर तय किया है। अमृत सिन्हा ने महज दो वर्ष पूर्व तनय इंटरनेशनल फिल्म प्रोडक्शन हाउस की नीव रखी थी जो आज सफलता का पर्याय साबित हुआ है। विगत वर्ष 2016 में आयी अमृत सिन्हा और आनंद दाय गुप्ता की फिल्म खजुरवाटिका फिल्म का प्रदर्शन भी देश सहित अंतरराष्ट्रीय मंचो पर किया गया था। इस फिल्म में खजुराहो में बने पोराणिक मंदिर की मूर्तिकला को व उससे जुड़े तथ्यों का फिल्मांकन किया गया था। इसके बाद 2017 इसी फिल्म का नाम व पटकथा परिवर्तन करके नयी खजुरवाटिका फिल्म का निर्माण हुआ जो विश्व पटल पर काफी सराही गयी। जोकि काफी फिल्म अवार्ड अपने नाम कर पाने में सफल रही। फिर 2017 में आयी फिल्म रक्तप्रदाता जीवनदाता जोकि हैदराबाद के ब्लड डोनर पर आधारित थी जिसमें रक्तदान के प्रति जागरूकता दिखाई गयी थी। इसी क्रम में अमृत की दूसरी फिल्म ए शॉल देट बीट्स आयी जोकि खाने की बर्बादी के प्रति जागरूकता फैलाती फिल्म थी। यह दोनों सामाजिक फिल्में अवार्ड के लिये बेस्ट फिल्म के नाम से नॉमीनेट हो चुकी है। और अब अमृत सिन्हा और शौर्य सिंह की दो घंटे दस मिनट अवधि की फिल्म ‘‘फैरस’’ चर्चा में हैं जोकि आज के परिदृश्य में देश में बढ़ते क्राईम पर आधारित है जिसमें मुख्य भूमिका में वॉलीवुड के चर्चित अभिनेता विजय राज, जाकिर हुसैन, गोपाल सिंह, विक्रमजीत, पंकज झा, राहुल सिन्हा, दियांश शर्मा व मीरा जोशी हैं। अमृत सिन्हा कम समय में अपनी बेमिसाल फिल्मों के जरिए दर्जनों फिल्म फेस्टिवल जैसे- मियामी इपीक ट्रेलर फेस्टिवल, इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, आचार्य तुलसी शार्ट फिल्म फेस्टिवल,चिल्ड्रन एनीमेशन अवार्ड, इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल ओडिशा, में प्रतिभागी बन चुके हैं और उनकी फिल्में कई श्रेणी में शामिल हो चुकी हैं।

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‘तेनाली रामा’ में मिनिषा लाम्बा की विषकन्या के रूप में हुईं एंट्री

‘तेनाली रामा’ के चाहने वालों के लिये एक नया ट्विस्ट इंतजार कर रहा है। दुश्मन राज्य विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय को नुकसान पहुंचाने के लिये एक गुप्तघाती को भेजा गया है।
बाॅलीवुड की खूबसूरत अभिनेत्री मिनिषा लाम्बा छल से हत्या करने वाली चंद्रकला का किरदार निभा रही हैं। वह एक विषकन्या है, जिसके खून में जहर है। चंद्रकला एक सुंदर महिला है और वह अपनी संुदरता से अपने दुश्मनों को जाल में फंसा सकती है। बहुत ही छोटी उम्र से उसे थोड़ा-थोड़ा जहर खाने में दिया जाता है और उस जहर के काट को भी। इस वजह से ही वह जहर को पचा लेती है। समय के साथ-साथ उसका शरीर जहरीला बन गया है।
चंद्रकला विजयनगर पहुंचती है और राजा के करीब जाने का जाल बिछाती है। वह तथाचार्य (पंकज बेरी) को महल में घुसने का माध्यम बनाती है। राजा की हत्या को अंजाम देने के लिये वह रानी तिरूमलम्बा से दोस्ती कर लेती है! रूप बदलने में माहिर चंद्रकला कई अलग-अलग रूप धारण करती है, वह अपने काम को पूरा करने के लिये किसी भी हद तक जा सकती है।
क्या चंद्रकला अपने दुश्ट इरादों में सफल हो पायेगी? क्या तेनाली रामा उसके छुपे इरादों को समझ पायेगा और राजा को बचा पायेगा?

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मातृभाषा दिवस पर अभिनेत्री-निर्माता नीतू चंद्रा जारी करेंगी एक गीत

मुंबईः जन सामना ब्यूरो। अभिनेत्री- निर्माता नीतू चंद्र जल्द ही अपने नए भोजपुरी गीत को अपने यूट्यूब चैनल पर, जिसे पहले नियो बिहार के नाम से जाना जाता था, रिलीज करेंगी। उनके भाई और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक नितिन चंद्रा द्वारा निर्देशित इस गीत का लक्ष्य भोजपुरी भाषा और इसकी समृद्ध संस्कृति के महत्व को बताना है। इस गीत को दुनिया भर में मातृभाषा दिवस पर रिलीज किया जाएगा। गीत के बारे में नीतू चन्द्रा कहती हैं, मुझे इस पर गर्व है कि डिजिटल प्लेटफाॅर्म पर इस वीडियो को रिलीज कर के मुझे अपनी जड़ से जुड़ने का अवसर मिला है। मैं दुनिया को अपनी मातृभाषा भोजपुरी से रूबरू करना चाहती हूं, ताकि दुनिया भर के लोग इस भाषा की जीवंतता और समृद्ध संस्कृति के बारे में जान सके।
भारत, अमरीका, संयुक्त अरब अमीरात, कनाडा, सिंगापुर, नीदर लैंड, आॅस्ट्रेलिया और ब्रिटेन सहित आठ देशों में इस गीत के लिए वीडियो शूट किया जा रहा है। ये उस गर्व को दर्शाता है, जो नीतू चन्द्रा को अपनी मातृभाषा भोजपुरी को ले कर है। नीतू चन्द्रा हमेशा अपनी मातृभाषा का समर्थन करने वाली अभिनेत्री के रूप में जानी जाती है। नीतू हमेशा बिहार और दुनिया के दूसरे हिस्सों में रहने वाले भोजपुरी भाषी लोगों को अपनी मातृभाषा पर गर्व महसूस करने की वजह देती है। डिजिटली इस गाने को रिलीज करने के बारे में नीतू का मानना है कि डिजिटलीकरण के कारण यह गीत दुनिया भर के दर्शकों के लिए सुलभ हो सकेगा और यही उनका मकसद भी है।

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